रांची: झारखंड में लगतार न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है. इससे झारखंड शीतलहर की चपेट में है और लोग कड़ाके की ठंड महसूस कर रहे हैं. इस कंपकपाती ठंड ने रिम्म में भर्ती मरीजों और उनके परिजनों की मुसीबत बढ़ा दी है. स्थिति यह है बिना कंबल के मरीजों और उनके परिजनों को रात बितानी पड़ रही है.
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राज्य में बढ़ती ठंड की वजह से रिम्स के न्यूरो विभाग में लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही है. मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण अधिकतर मरीजों को बेड नहीं मिल रहा है. मजबूरन मरीजों को जमीन पर लिटा कर इलाज किया जा रहा है. लेकिन जमीन पर लेटे मरीजों और उनके परिजनों को अस्पताल प्रबंधन की ओर से कंबल मुहैया नहीं कराई जा रही है.
शुरू किया गया था कंबल बैंक
गरीब मरीजों को ठंड के दिनों में परेशानी नहीं हो. इसको लेकर रिम्स के पूर्व निदेशक डॉ. डीके सिंह ने वर्ष 2019 में कंबल बैंक की शुरुआत की थी. शुरुआती दिनों में इस कंबल बैंक के जरिए रिम्स में भर्ती मरीजों और उनके परिजनों के बीच कंबल वितरण किया गया. लेकिन अब हकीकत कुछ और ही है.
हजारों रुपये में खरीदना पड़ रहा कंबल
ईटीवी भारत की टीम रिम्स के कंबल बैंक की हकीकत जानने पहुंची तो एक भी मरीजों को कंबल उपलब्ध नहीं कराया गया था और नहीं कंबल वितरण की कोई व्यवस्था दिखी. न्यूरो वार्ड में जमीन पर अपना इलाज करा रहे मरीजों ने कहा कि कंबल रिम्स प्रबंधन की ओर से उपलब्ध नहीं कराया जाता है. वहीं धनबाद से आए मरीज ने बताया कि अपना कंबल लेकर आने में काफी परेशानी होती है. कंबल लेकर नहीं आए हैं तो हजारों रुपये में कंबल खरीदना पड़ा है. लेकिन कंबल बैंक से कोई सहयोग नहीं मिला.
शीघ्र उपलब्ध कराया जाएगा कंबल
रिम्स के पीआरओ डॉ. डीके सिन्हा ने बताया कि कंबल बैंक को फिर से चालू किया जा रहा है. प्रबंधन की लापरवाही मानते हुए उन्होंने कहा कि कंबल की व्यवस्था की जा रही है और शीघ्र ही कंबल बैंक से मरीजों को कंबल मुहैया कराने की व्यवस्था की जाएगी.