रांची: राज्य में 60/40 नियोजन नीति के खिलाफ छात्रों का आंदोलन जारी है. विधानसभा घेराव के दौरान 23 मार्च को हुए लाठीचार्ज के विरोध में नाराज छात्रों ने शनिवार को मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया. मोराबादी में बड़ी संख्या में जमा हुए छात्रों ने इस दौरान ना केवल पुतला दहन किया बल्कि सरकार विरोधी नारे भी लगाए. नाराज छात्र सरकार पर आरोप लगाते हुए इस नियोजन नीति के वापस होने तक आंदोलन जारी रखने की घोषणा की है.
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छात्र नेता देवेंद्र नाथ महतो ने कहा कि झारखंडी छात्रों के द्वारा फिजिकल और डिजिटल आंदोलन चलाए जाने से सरकार बौखलाई हुई है. इस सरकार का बाहरी प्रेम अब खुलकर सामने आ गया है. विधानसभा महाघेराव के दौरान पुलिस द्वारा निहत्थे छात्रों पर की गई कार्रवाई जो बताती है कि सरकार क्या चाह रही है. झारखंडी छात्रों पर पुलिस के द्वारा जहरीली गैस के गोले, पत्थर फेंके गए, एयर फायरिंग किया गया, आंसू गैस के गोले दागे गए और जातिसूचक गाली भी दिया गया. इस घटना में कई छात्र जख्मी हैं जिनका इलाज अस्पताल में चल रहा है. इससे राज्य भर के छात्रों में आक्रोश है. सरकार के इस हकमार नियोजन नीति के खिलाफ छात्र संगठन एकजुट होकर पूरे राज्य भर में मुख्यमंत्री का पुतला दहन करके विरोध जताएंगे.
60/40 नियोजन नीति नाय चलतो: नियोजन नीति 2021 झारखंड हाई कोर्ट से रद्द होने के बाद हेमंत सरकार ने न्यायालय के सुझाव पर इस नियोजन नीति में कई बदलाव किए हैं जिसके तहत 60% सीट आरक्षित हैं जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10% सीट का प्रावधान किया गया है वहीं 40% सीट झारखंड सहित पूरे देश भर के छात्रों के लिए ओपन कर दिया गया है जिससे कहीं ना कहीं झारखंड के छात्र नाराज हैं और इसे मूलवासी छात्रों के हकमारी होने को मान रहे हैं. राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ छात्रों ने सोशल मीडिया के जरिए अभियान चलाया और इसमें यूट्यूब पर ट्विटर पर करीब पांच लाख छात्रों ने सरकार के खिलाफ विचार व्यक्त किए.
सोशल मीडिया पर आंदोलन सफल होने के बाद छात्रों ने मुख्यमंत्री आवास और विधानसभा घेराव करने का निर्णय लिया हालांकि 20 मार्च को होने वाले घेराव कार्यक्रम को मंत्री आलमगीर आलम की पहल पर छात्रों ने टाल दिया था मगर 23 मार्च को विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम दिन छात्रों ने महाघेराव आयोजित कर सरकार के लिए परेशानी खड़ी कर दी हालांकि इस दौरान छात्रों को पुलिस की लाठी भी खानी पड़ी. इसके बावजूद भी छात्रों का आंदोलन कमजोर नहीं हुआ है बल्कि आने वाले समय में जोरदार तरीके से आंदोलन को जारी रखने की बात कही गई है.