रांची: शहर के बरियातू में सेना की 4.55 एकड़ जमीन की खरीद बिक्री से जुड़े मामले में शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की टीम ने पश्चिम बंगाल से लेकर झारखंड में कई जगहों पर एक साथ छापेमारी की तो हड़कंप मच गया. हाई कोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार से जुड़े मामले में जेल में बंद कारोबारी अमित अग्रवाल के कोलकाता स्थित दफ्तर और धनबाद में छापेमारी हुई. ईडी ने रांची के नामचीन व्यवसायी और न्यूक्लियस मॉल के मालिक विष्णु अग्रवाल के दफ्तर और कांके रोड स्थित आवास पर भी छापेमारी की. इसके अलावा कोलकाता के कारोबारी व जगत बंधु टी स्टेट के निदेशक दिलीप घोष और सुजीत घोष के ठाकुरिया स्थित आवास, जमीन कारोबारी प्रदीप बागची, रांची के सब रजिस्ट्रार वैभव मणि त्रिपाठी और पूर्व सब रजिस्ट्रार घासी राम पिंगुआ के ठिकानों पर छापेमारी की (ED Raid in Jharkhand).
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बताया जाता है कि प्रदीप बागची ने सेना की जमीन में फर्जी तरीके से रजिस्ट्री डीड कराई थी (Illegal Occupation of Army Land). इसी के मद्देनजर उनके कोलकाता स्थित ठिकानों पर छापेमारी हुई. जबकि सेना की उसी जमीन की रजिस्ट्री में अहम भूमिका निभाने वाले रांची के सब रजिस्ट्रार वैभव मणि त्रिपाठी, पूर्व रजिस्ट्रार घासीराम पिंगुआ के यहां भी छापेमारी की. इस दौरान ईडी को जमीन की खरीद बिक्री से जुड़े कई कागजात और अवैध कमाई से जुड़े साक्ष्य हाथ लगे हैं. विष्णु अग्रवाल के बारे में ईडी को जानकारी मिली है कि वह कई लोगों के समूह बनाकर रियल एस्टेट में निवेश करते थे. उनके कई बड़े नेताओं और अधिकारियों से तालुकात की भी पड़ताल की गई है.
दूसरी तरफ ईडी को जानकारी मिली है कि जगत बंधु टी स्टेट नाम की कंपनी के जरिए अमित अग्रवाल ने सेना की जमीन को फर्जी तरीके से कोलकाता के ठाकुरिया निवासी कारोबारी दिलीप घोष और संजय घोष के जरिए जमीन की खरीद में लगा था.
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आपको बता दें कि रांची के तत्कालीन आयुक्त नितिन मदन कुलकर्णी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि प्रदीप बागची ने फर्जी रैयत बनकर जगत बंधु टी स्टेट के निदेशक दिलीप कुमार घोष को जमीन बेच दी थी. जमीन की खरीद बिक्री के लिए बागची के दो होल्डिंग भी जांच में फर्जी पाए गए थे. जबकि सेना वाली जमीन के असली मालिक की पहचान जयंत करनाड के रूप में हुई थी. इसी आधार पर नगर निगम के कर संग्रहकर्ता दिलीप शर्मा ने बरियातू थाने में केस दर्ज कराया था. बाद में ईडी ने केस को टेकओवर कर लिया था. इस मामले में उपेंद्र कुमार नामक शख्स ने एक अन्य प्राथमिकी के लिए कोर्ट में आवेदन दिया था. जिसमें तत्कालीन नगर आयुक्त मुकेश कुमार, प्रदीप बागची, जगत बंधु टी स्टेट के दिलीप घोष और वैभव मणी त्रिपाठी, समेत अन्य को आरोपी बनाया गया था.