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पुलिस के रडार पर अवैध हथियार के खरीदार, दबिश के लिए बनाई गई लिस्ट - रांची में मिनी गन फैक्ट्री पर कार्रवाई

रांची के ग्रामीण इलाकों में चोरी-छिपे चल रहे अवैध हथियार की फैक्ट्रियों में हथियार बनाने का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है. हाल के दिनों में रांची पुलिस अवैध हथियार फैक्ट्री का खुलासा करते हुए भारी मात्रा में हथियार बरामद किए थे. अब रांची पुलिस ने एक लिस्ट तैयार कर लिया है और उसी के आधार पर अपराधियों की तलाश की जा रही है.

पुलिस के राडार पर अवैध हथियार के खरीदार
Illegal arms buyer targeted by police in Jharkhand
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Published : Feb 12, 2021, 4:16 PM IST

Updated : Feb 12, 2021, 6:51 PM IST

रांची: राजधानी में चल रहे अवैध हथियार फैक्ट्री के खुलासे के बाद पुलिस अब वैसे अपराधियों की तलाश में भी जुट गई है, जिनके पास इन फैक्ट्री में बने हथियार की सप्लाई किए गए हैं. गिरफ्तार हथियार तस्करों से पूछताछ के आधार पर जिन्होंने इन फैक्ट्री से हथियार खरीदे थे, उसका रांची पुलिस ने एक लिस्ट तैयार कर लिया है. अब उस लिस्ट के आधार पर अपराधियों की तलाश में की जा रही है.

देखें स्पेशल खबर

जोर शोर से चल रहा है हथियार बनाने का धंधा

रांची के ग्रामीण इलाकों में चोरी-छिपे चल रहे मिनी गन फैक्ट्रियों में अवैध हथियार बनाने का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है. हाल के दिनों में रांची पुलिस ने मांडर और चान्हो इलाके में चल रही मिनी अवैध हथियार फैक्ट्री का खुलासा करते हुए भारी मात्रा में अर्ध निर्मित और बने हुए हथियार बरामद किए थे. इन अवैध हथियार फैक्ट्रियों में बने हथियार अपराधियों के साथ-साथ छोटे उग्रवादी संगठनों के पास भी सप्लाई की जाती थी. रांची के रूरल एसपी नौशाद आलम ने बताया कि गिरफ्तार हथियार तस्करों से पूछताछ के आधार पर वैसे अपराधी और उग्रवादियों की लिस्ट तैयार की गई है, जिनको अवैध हथियार फैक्ट्री से हथियार की सप्लाई की गई थी. लिस्ट के आधार पर अभी तक इस मामले में कई गिरफ्तारियां हो चुकी है.

ये भी पढ़ें-रांची के ग्रामीण इलाके में चल रहा था अवैध हथियार का कारोबार, हथियार और बनाने के सामान बरामद

एसेंबल कर बनाये जा रहे हथियार

अवैध हथियारों का निर्माण अब बिहार के मुंगेर तक ही सीमित नहीं रहा है. मुंगेर में बने हथियार झारखंड का एक बड़ा बाजार हुआ करता था, लेकिन अब पुलिस की दबिश से हथियार के सौदागरों ने कई छोटे-बड़े शहरों में अपना ठिकाना बना लिया है. अब हथियार तस्कर सीधे हथियार ना बनाकर उनके पार्ट्स का निर्माण कर रहे हैं और पार्ट्स को ही तस्करी के जरिए अपराधी और नक्सलियों तक पहुंचा रहे हैं. तस्करी के जरिए पहुंचे हथियार के पार्ट्स को हथियार तस्करों का एक एक्सपर्ट पूरे हथियार के रूप में तब्दील कर देता है. इसके लिए रांची में ही छोटे-छोटे कमरों में हथियार की फैक्ट्रियां चल रही हैं.

मिनी गन फैक्ट्री के लिए बड़े प्लांट की नहीं है जरूरत

अवैध हथियार फैक्ट्री चलाने के लिए किसी बड़े प्लांट की जरूरत नहीं है, बल्कि एक लेथ मशीन लगाकर आर्म्स डीलर कट्टा की बैरल, पिस्टल की बैरल और स्प्रिंग तैयार कर ले रहे हैं. इसके अलावा जो इंटरनल और कीमती पार्ट हैं, उन्हें अलग से मुंगेर और उत्तर प्रदेश से मंगवाया जा रहा है. अलग पार्ट्स लाकर असेंबल कर लेना आर्म्स तस्करों के लिए आसान खेल बन गया है. रांची के आर्म्स सप्लायर अब खुद ट्रेंड होकर देसी पिस्टल, देसी कट्टा, सिक्सर और कार्बाइन जैसे हथियार तैयार कर ले रहे हैं.

ये भी पढ़ें-ठेकेदार बन अपराधियों के पास पहुंची पुलिस, अवैध हथियार के साथ एक हुआ गिरफ्तार

5 हजार से लेकर 40 हजार तक रेट

पुलिस के अनुसार, राजधानी रांची से पकड़े गए अवैध हथियार फैक्ट्री में कई तरह के हथियारों का निर्माण होता था. हथियारों की कीमत उसके उम्दा होने पर निर्भर करता था. बेहद स्टाइलिश और चमकता हुआ हथियार उचित कीमत पर बिकता था. 5 हजार से लेकर 40 हजार तक पिस्टल का मूल्य था, जबकि कार्बाइन 90 हजार से लेकर एक लाख तक बिकता था.

शहर के अपराधियों के पास भी पहुंचे हैं हथियार

पुलिस के जांच में यह बात भी सामने आई है कि चान्हो और मांडर की अवैध हथियार फैक्ट्रियों में बने हथियार शहर के छोटे से बड़े अपराधियों तक पहुंचाया गया है. जानकारी हासिल होने के बाद रांची पुलिस वैसे अपराधियों पर विशेष नजर रखे हुए हैं, जो आर्म्स एक्ट के केस में पहले भी जेल जा चुके हैं. जिन लोगों के पास आर्म्स की सप्लाई की गई है. उन पर मुखबिरों के जरिए नजर रखी जा रही है, ताकि उनकी गिरफ्तारी कर आर्म्स को बरामद किया जा सके.

ये भी पढ़ें-गढ़वा पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी, 20 हथियार के साथ 7 कारोबारी गिरफ्तार

पीएलएफआई है छोटे हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार

झारखंड पुलिस के लिए चुनौती बने उग्रवादी संगठन पीएलएफआई छोटे हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार है. पुलिस को मिली जानकारी के अनुसार, राजधानी में चल रहे अवैध हथियार फैक्ट्रियों से हथियारों की सप्लाई पीएलएफआई तक भी होती थी, क्योंकि छोटे हथियार आसानी से छिपाया जा सकते हैं, इसलिए इनका प्रयोग पीएलएफआई उग्रवादी संगठन बड़े पैमाने पर करते हैं.

मुंगेर जाकर प्रशिक्षण लेते हैं आर्म्स तस्कर

जानकारी के अनुसार, कई तस्कर हथियार बनाने का प्रशिक्षण भी ले चुके हैं. मुंगेर में प्रशिक्षण लेने के बाद वह आते समय वहां से हथियार के पार्ट्स को लेकर भी आते हैं और फिर उसे पूर्ण रूप से बनाकर राजधानी में अपराधियों को सप्लाई करते हैं. 22 मार्च 2019 को रांची के सदर थाना क्षेत्र में चल रहे अवैध हथियार फैक्ट्री का पुलिस ने खुलासा किया था और वहां से तीन हथियार तस्करों को गिरफ्तार किया गया था. हथियार फैक्ट्री बिहार के मुंगेर से हथियार बनाने का प्रशिक्षण ले चुका विजय कुमार शर्मा चला रहा था. फैक्ट्री में बने हथियार की डिलीवरी के दौरान ही विजय के अलावा तीन और लोग पकड़े गए थे. उनके पास से उस समय 13 बैरल, लेथ मशीन, 12 मैगजीन और कई देसी कट्टा बरामद हुआ था.

रांची: राजधानी में चल रहे अवैध हथियार फैक्ट्री के खुलासे के बाद पुलिस अब वैसे अपराधियों की तलाश में भी जुट गई है, जिनके पास इन फैक्ट्री में बने हथियार की सप्लाई किए गए हैं. गिरफ्तार हथियार तस्करों से पूछताछ के आधार पर जिन्होंने इन फैक्ट्री से हथियार खरीदे थे, उसका रांची पुलिस ने एक लिस्ट तैयार कर लिया है. अब उस लिस्ट के आधार पर अपराधियों की तलाश में की जा रही है.

देखें स्पेशल खबर

जोर शोर से चल रहा है हथियार बनाने का धंधा

रांची के ग्रामीण इलाकों में चोरी-छिपे चल रहे मिनी गन फैक्ट्रियों में अवैध हथियार बनाने का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है. हाल के दिनों में रांची पुलिस ने मांडर और चान्हो इलाके में चल रही मिनी अवैध हथियार फैक्ट्री का खुलासा करते हुए भारी मात्रा में अर्ध निर्मित और बने हुए हथियार बरामद किए थे. इन अवैध हथियार फैक्ट्रियों में बने हथियार अपराधियों के साथ-साथ छोटे उग्रवादी संगठनों के पास भी सप्लाई की जाती थी. रांची के रूरल एसपी नौशाद आलम ने बताया कि गिरफ्तार हथियार तस्करों से पूछताछ के आधार पर वैसे अपराधी और उग्रवादियों की लिस्ट तैयार की गई है, जिनको अवैध हथियार फैक्ट्री से हथियार की सप्लाई की गई थी. लिस्ट के आधार पर अभी तक इस मामले में कई गिरफ्तारियां हो चुकी है.

ये भी पढ़ें-रांची के ग्रामीण इलाके में चल रहा था अवैध हथियार का कारोबार, हथियार और बनाने के सामान बरामद

एसेंबल कर बनाये जा रहे हथियार

अवैध हथियारों का निर्माण अब बिहार के मुंगेर तक ही सीमित नहीं रहा है. मुंगेर में बने हथियार झारखंड का एक बड़ा बाजार हुआ करता था, लेकिन अब पुलिस की दबिश से हथियार के सौदागरों ने कई छोटे-बड़े शहरों में अपना ठिकाना बना लिया है. अब हथियार तस्कर सीधे हथियार ना बनाकर उनके पार्ट्स का निर्माण कर रहे हैं और पार्ट्स को ही तस्करी के जरिए अपराधी और नक्सलियों तक पहुंचा रहे हैं. तस्करी के जरिए पहुंचे हथियार के पार्ट्स को हथियार तस्करों का एक एक्सपर्ट पूरे हथियार के रूप में तब्दील कर देता है. इसके लिए रांची में ही छोटे-छोटे कमरों में हथियार की फैक्ट्रियां चल रही हैं.

मिनी गन फैक्ट्री के लिए बड़े प्लांट की नहीं है जरूरत

अवैध हथियार फैक्ट्री चलाने के लिए किसी बड़े प्लांट की जरूरत नहीं है, बल्कि एक लेथ मशीन लगाकर आर्म्स डीलर कट्टा की बैरल, पिस्टल की बैरल और स्प्रिंग तैयार कर ले रहे हैं. इसके अलावा जो इंटरनल और कीमती पार्ट हैं, उन्हें अलग से मुंगेर और उत्तर प्रदेश से मंगवाया जा रहा है. अलग पार्ट्स लाकर असेंबल कर लेना आर्म्स तस्करों के लिए आसान खेल बन गया है. रांची के आर्म्स सप्लायर अब खुद ट्रेंड होकर देसी पिस्टल, देसी कट्टा, सिक्सर और कार्बाइन जैसे हथियार तैयार कर ले रहे हैं.

ये भी पढ़ें-ठेकेदार बन अपराधियों के पास पहुंची पुलिस, अवैध हथियार के साथ एक हुआ गिरफ्तार

5 हजार से लेकर 40 हजार तक रेट

पुलिस के अनुसार, राजधानी रांची से पकड़े गए अवैध हथियार फैक्ट्री में कई तरह के हथियारों का निर्माण होता था. हथियारों की कीमत उसके उम्दा होने पर निर्भर करता था. बेहद स्टाइलिश और चमकता हुआ हथियार उचित कीमत पर बिकता था. 5 हजार से लेकर 40 हजार तक पिस्टल का मूल्य था, जबकि कार्बाइन 90 हजार से लेकर एक लाख तक बिकता था.

शहर के अपराधियों के पास भी पहुंचे हैं हथियार

पुलिस के जांच में यह बात भी सामने आई है कि चान्हो और मांडर की अवैध हथियार फैक्ट्रियों में बने हथियार शहर के छोटे से बड़े अपराधियों तक पहुंचाया गया है. जानकारी हासिल होने के बाद रांची पुलिस वैसे अपराधियों पर विशेष नजर रखे हुए हैं, जो आर्म्स एक्ट के केस में पहले भी जेल जा चुके हैं. जिन लोगों के पास आर्म्स की सप्लाई की गई है. उन पर मुखबिरों के जरिए नजर रखी जा रही है, ताकि उनकी गिरफ्तारी कर आर्म्स को बरामद किया जा सके.

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पीएलएफआई है छोटे हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार

झारखंड पुलिस के लिए चुनौती बने उग्रवादी संगठन पीएलएफआई छोटे हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार है. पुलिस को मिली जानकारी के अनुसार, राजधानी में चल रहे अवैध हथियार फैक्ट्रियों से हथियारों की सप्लाई पीएलएफआई तक भी होती थी, क्योंकि छोटे हथियार आसानी से छिपाया जा सकते हैं, इसलिए इनका प्रयोग पीएलएफआई उग्रवादी संगठन बड़े पैमाने पर करते हैं.

मुंगेर जाकर प्रशिक्षण लेते हैं आर्म्स तस्कर

जानकारी के अनुसार, कई तस्कर हथियार बनाने का प्रशिक्षण भी ले चुके हैं. मुंगेर में प्रशिक्षण लेने के बाद वह आते समय वहां से हथियार के पार्ट्स को लेकर भी आते हैं और फिर उसे पूर्ण रूप से बनाकर राजधानी में अपराधियों को सप्लाई करते हैं. 22 मार्च 2019 को रांची के सदर थाना क्षेत्र में चल रहे अवैध हथियार फैक्ट्री का पुलिस ने खुलासा किया था और वहां से तीन हथियार तस्करों को गिरफ्तार किया गया था. हथियार फैक्ट्री बिहार के मुंगेर से हथियार बनाने का प्रशिक्षण ले चुका विजय कुमार शर्मा चला रहा था. फैक्ट्री में बने हथियार की डिलीवरी के दौरान ही विजय के अलावा तीन और लोग पकड़े गए थे. उनके पास से उस समय 13 बैरल, लेथ मशीन, 12 मैगजीन और कई देसी कट्टा बरामद हुआ था.

Last Updated : Feb 12, 2021, 6:51 PM IST

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