रांचीः राजधानी रांची में जमीन घोटाला मामला में गुरुवार को ईडी के द्वारा गिरफ्तार किए गए रांची के पूर्व डीसी आईएएस अधिकारी छवि रंजन को एजेंसी ने जमीन लूट सिंडिकेट का अहम हिस्सा माना है. पूर्व में गिरफ्तार अंचल कर्मी भानु प्रताप, अफसर अली समेत अन्य आरोपियों ने अपने बयान में छवि रंजन को मास्टरमाइंड माना था. साथ ही छवि रंजन के खिलाफ गवाही भी दी थी. सभी की गवाही के बाद ही यह तय हो गया था कि छवि रंजन को भी गिरफ्तार किया जाएगा.
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ईडी के सवालों में उलझते चले गए छवि रंजनः आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल के बाद छवि रंजन झारखंड के दूसरे आईएएस अफसर हैं, जिन्हें ईडी ने गिरफ्तार किया है. गुरुवार की सुबह से ही यह तय माना जाने लगा था कि छवि रंजन देर शाम तक गिरफ्तार कर लिए जाएंगे और हुआ भी वही. ईडी सूत्रों के मुताबिक, गुरुवार को पूछताछ के दौरान ईडी अधिकारियों ने छवि रंजन को सेना जमीन, बजरा, चेशायर होम में फर्जी तरीके से जमीन के कागजात बनाने और उसकी रजिस्ट्री के कागजात तो दिखाए ही. इसके अलावा तकरीबन 20 ऐसे बड़े भूखंडों के कागजात ईडी अधिकारियों ने छवि रंजन को दिखाए, जहां कोलकाता के रजिस्ट्रार ऑफ एश्योरेंस और रांची के अंचल में कागजों की हेरफेर की गई. इसके बाद इन जमीनों की रजिस्ट्री भी हो गई. अपने खिलाफ तमाम सबूतों को देखने के बाद ईडी दफ्तर में ही छवि रंजन सिर पकड़ कर बैठ गए थे.
ईडी के सवालों पर कोई सटीक जबाब नहीं दे पाएः गुरुवार को पूछताछ के दौरान ईडी ने छवि रंजन से फर्जीवाड़े से जुड़े कागजात दिखाकर पूछताछ शुरू की लेकिन वो ज्यादातर सवालों के जवाब देने के बजाय चुप्पी साध ली. ईडी के द्वारा गिरफ्तार बड़गाईं अंचलकर्मी भानु प्रताप ने आरोप लगाया था कि डीसी रहते छवि रंजन ने उन्हें और कुछ जमीन कारोबारियों को बुलाया था. इसके बाद जमीन कारोबार में मदद करने की बात कही और इसके बदले में पैसे उगाही की बात भी भानु प्रताप के द्वारा कही गयी थी. इस बारे में छवि रंजन से ईडी ने जब पूरी बात पूछी तो वो इसका माकूल जवाब नहीं दे पाए.
अपने पूर्व परिचितों के नाम पर की जमीन की रजिस्ट्रीः बजरा के खाता 140 की 7.16 एकड़ जमीन की बिक्री को लेकर ईडी ने छवि रंजन से पूछताछ की. इस मामले में छवि रंजन के करीबियों के ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी भी की थी. उस दौरान यह जानकारी निकलकर सामने आई कि रांची में पोस्टिंग के बाद छवि रंजन ने इस जमीन की रजिस्ट्री अपने करीबी श्याम सिंह और रवि सिंह भाटिया के नाम पर करायी. सरकारी दर के मुताबिक उस जमीन की कीमत 29 करोड़ 88 लाख 93 हजार 800 रुपये है पर इसकी बिक्री 15 करोड़ 10 लाख 76 हजार यानी तकरीबन आधी कीमत में की गई थी.
एक दिन में रसीद क्यों काटा, नहीं बता पाए छवि रंजनः रांची के चान्हों निवासी विनोद सिंह के नाम पर तत्कालीन डीसी छवि रंजन ने एक ही दिन में एक मार्च 2021 को 83 साल का रसीद काट दी थी. ईडी ने जब छवि रंजन से इस बाबत पूछा कि एक ही दिन में जमीन की रसीद कैसे काटी गयी तो वो इसका संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए. जमीन की खतियानी सीताराम साहू के नाम पर दर्ज है. लेकिन फर्जी कागजातों के जरिए जमीन की खरीद 1938 में रुपनारायण सिंह के नाम पर दिखायी गई. इसके अलावा जमीन की लगान रसीद भी 1938 के बाद नहीं कटा दिखाया गया था.
लेकिन एक ही दिन तमाम रसीद काटा हुआ दिखाया गया, इसके बाद रुपनारायण सिंह के परपोते यानी पौत्र विनोद सिंह ने 22 से 24 मार्च 2021 को जमीन की रजिस्ट्री रवि सिंह भाटिया और श्याम सिंह के नाम कर दी गयी. इन चारों रजिस्ट्री की डीड में जिक्र है कि जमीन की खरीद का एग्रीमेंट रवि सिंह भाटिया ने 20 अक्टूबर 2013 को किया था. इसके लिए उन्होंने अपने सेंट्रल बैंक आफ इंडिया जमशेदपुर के खाते से चारो एकरानामे के लिए 50-50 हजार रुपये बैंक से ट्रांसफर किए थे, बाकि की रकम में एक-एक लाख रुपया एग्रीमेंट के वक्त कैश में दिया गया था. ईडी यह जांचेगी कि बैंक खाते से 2013 में विनोद सिंह के खाते में पैसे भेजे गए थे या नहीं.