रांची: भीषण गर्मी पड़ने से राज्य के कई इलाकों में पेयजल की किल्लत से लोगों की परेशानी को कई गुना बढ़ा दिया है. भूजलस्तर के नीचे जाने से बड़ी संख्या में चापाकल ठप हो गए और ज्यादातर कुएं सूख गए. पानी की इस जबरदस्त किल्लत को देखते हुए राज्य सरकार ने वर्षा जल को बचाने के लिए जल शक्ति अभियान की शुरुआत की है जो 15 सितंबर तक चलेगा.
वहीं, मुख्य सचिव डीके तिवारी ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभी जिलों के उपायुक्तों को बताया कि झारखंड का करीब 92% वर्षा जल बर्बाद हो जाता है और हर हाल में इस बार वर्षा जल को रोकना है. उन्होंने जल शक्ति अभियान का खाका उपायुक्तों से साझा करते हुए हर बिंदु पर क्रियान्वयन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. उन्होंने अभियान में शामिल सभी विभागों से समन्वय बनाकर कार्य करने का निर्देश देते हुए कहा कि इसका नोडल विभाग ग्रामीण विकास विभाग होगा.
मुख्य सचिव ने बताया कि केंद्र सरकार ने राज्य के दो जिलों बोकारो और धनबाद के पांच प्रखंडों को इसके लिए चयनित किया था. लेकिन जल संरक्षण की जरूरत को देखते हुए राज्य सरकार ने इसे पूरे राज्य में पंचायतस्तर पर चलाने का निर्देश दिया है. उन्होंने अभियान के तहत सात जुलाई को व्यापक जन जागरूकता के लिए हर स्तर के अधिकारियों, कर्मियों, जनता और जनप्रतिनिधियों से लेकर संगठनों और संस्थाओं को शामिल कर जल संरक्षण के लिए श्रमदान करने का निर्देश दिया है.
सरकारी भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर
मुख्य सचिव ने राज्य के तमाम सरकारी भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर बनाने का निर्देश दिया. इसकी शुरुआत समाहरणालय भवनों से की जाएगी. जल संरक्षण को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य स्तर पर बेहतर परिणाम देने वाले तीन जिलों को पुरस्कृत किया जाएगा. वहीं, जिलास्तर पर बेहतर प्रदर्शन करनेवाले वाले दो प्रखंड भी पुरस्कृत होंगे.
वहीं, जल शक्ति समिति के अध्यक्ष वासुदेव सिंह ने कहा कि इसमें लगने वाली राशि विभिन्न विभागों की समान प्रकृति की योजनाओं से ली जा सकती है. उन्होंने कहा कि आने वाले दस सालों में खनन और वन आधारित जीविका किसान की ओर शिफ्ट करेगी. इसलिए अभी से जल संरक्षण पर फोकस जरूरी हो गया है. उन्होंने जल संरक्षण के छोटे-छोटे स्ट्रक्चर बनाने पर बल देते हुए उपायुक्तों को अपनी योजना से जल शक्ति समिति को अवगत कराने का निर्देश दिया.