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एक 'पालना' जो कह रहा है पालो 'ना'! खड़े कर रहा है इंसानियत और व्यवस्था पर गंभीर सवाल

रांची में रिम्स के केली बंग्लो के बाहर पालना बना है. जिसमें या तो बिन ब्याही मां अपने नवजात को लोक लाज के डर से छोड़ जाती है या फिर झाड़ियों में पड़े किसी नवजात को कोई नेक इंसान यहां रख जाता है. जिसके बाद नवजात को संभालने की जिम्मेदारी समाज और प्रशासन की हो जाती है.

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केली बंग्लो के बाहर बना पालना
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Published : Oct 26, 2020, 4:36 PM IST

Updated : Oct 26, 2020, 6:31 PM IST

रांचीः तस्वीर देखकर आपको बहुत कुछ समझ आ गया होगा, यह पालना है. 'पालना' जहां या तो बिन ब्याही मां अपने नवजात को लोक लाज के डर से छोड़ जाती है या फिर झाड़ियों में पड़े किसी नवजात को कोई नेक इंसान यहां रख जाता है. इस पालना में पहुंचते ही लावारिस नवजात को संभालने की जिम्मेदारी समाज और प्रशासन की हो जाती है. इसी मकसद से रांची जिला प्रशासन ने राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल यानी रिम्स के कैंपस में एक पालना बना रखा है, ठीक केली बंगला के मेन गेट के सामने. जहां चारा घोटाला में सजायाफ्ता राजद सुप्रीमो लालू यादव स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं. इस बंगले में लालू यादव के शिफ्ट होने से पहले रिम्स के निदेशक रहा करते थे. इन बातों का जिक्र इसलिए किया गया ताकि आपको यह बताया जा सके कि लावारिस नवजात के लिए इस जगह 'पालना' क्यों बनाया गया.

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पालना में अंकित प्रशासन का नंबर

इंसानियत और व्यवस्था को चिढ़ा रहा है 'पालना'

बड़े जतन से इस 'पालना' को बनाया गया है, यहा लोहे का है ताकि कोई जानवर नवजात को नुकसान ना पहुंचा सके, मोटे चदरे की शेड भी है ताकि बारिश होने पर नवजात ना भीगे, गद्दा है ताकि नवजात को आराम मिले. जगह ऐसी है जहां नवजात रोए तो डॉक्टर और आम लोग सुन सकें. इसकी शेड पर पुलिस, चाइल्डलाइन सेवा, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी और बरियातू थाना पुलिस का नंबर भी अंकित है. जिससे पालने में पड़े बच्चे को देखकर कोई प्रशासन के लोगों को इत्तेला कर सके.

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पालना में लिखा दिल को छूने वाला संदेश

पालना में गंदगी का अंबार

लेकिन सच यह है कि इस पालने में कोई इंसान तो क्या कुत्ते का पिल्ला भी ना रखे, बेड पर धूल की मोटी परत जमी हुई है. कोरोना का दौर है बावजूद इसके बेड पर सर्जिकल ग्लव्स पड़ा हुआ है. लोहे के केज पर जंग लगी हुई है, आसपास बड़े-बड़े घास और गंदगी का अंबार है.

इसे भी पढ़ें- पिस्का नगड़ी में महिलाओं की मेहनत लाई रंग, बंजर भूमि पर लहलहाई फसल

क्या उपायुक्त का संदेश दिल छू सकता है ?

'पालना' के शेड पर रांची के उपायुक्त के हवाले से एक दिल को छूने वाला संदेश लिखा हुआ है. संदेश है- बच्चे ईश्वर की अनमोल देन हैं, इसे फेंके नहीं हमें दें. लेकिन सवाल है कि क्या इसमें किसी लावारिस नवजात को कोई रख पाएगा, बिल्कुल नहीं क्योंकि रूह कांप जाएगी.

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रिस्म परिसर का केली बंग्लो

आखिर क्यों बनाया गया है 'पालना'

80 के दशक में फिल्मों में अक्सर देखने को मिलता था कि कैसे कोई बिन ब्याही मां अपने नवजात को किसी मंदिर या चर्च के चौखट पर छोड़ कर चली जाती है. कैसे लाचार मां बाप अपने बीमार नवजात को धार्मिक स्थलों के पास पर छोड़ जाते थे. सिर्फ इंसानियत के भरोसे कि नवजात को सहारा मिल जाएगा. शायद इसी उम्मीद से रिम्स कैंपस में यह 'पालना' बनाया गया है. पर यह कहते हुए शर्म आती है कि आखिर क्यों बनाया गया है.

रांचीः तस्वीर देखकर आपको बहुत कुछ समझ आ गया होगा, यह पालना है. 'पालना' जहां या तो बिन ब्याही मां अपने नवजात को लोक लाज के डर से छोड़ जाती है या फिर झाड़ियों में पड़े किसी नवजात को कोई नेक इंसान यहां रख जाता है. इस पालना में पहुंचते ही लावारिस नवजात को संभालने की जिम्मेदारी समाज और प्रशासन की हो जाती है. इसी मकसद से रांची जिला प्रशासन ने राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल यानी रिम्स के कैंपस में एक पालना बना रखा है, ठीक केली बंगला के मेन गेट के सामने. जहां चारा घोटाला में सजायाफ्ता राजद सुप्रीमो लालू यादव स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं. इस बंगले में लालू यादव के शिफ्ट होने से पहले रिम्स के निदेशक रहा करते थे. इन बातों का जिक्र इसलिए किया गया ताकि आपको यह बताया जा सके कि लावारिस नवजात के लिए इस जगह 'पालना' क्यों बनाया गया.

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पालना में अंकित प्रशासन का नंबर

इंसानियत और व्यवस्था को चिढ़ा रहा है 'पालना'

बड़े जतन से इस 'पालना' को बनाया गया है, यहा लोहे का है ताकि कोई जानवर नवजात को नुकसान ना पहुंचा सके, मोटे चदरे की शेड भी है ताकि बारिश होने पर नवजात ना भीगे, गद्दा है ताकि नवजात को आराम मिले. जगह ऐसी है जहां नवजात रोए तो डॉक्टर और आम लोग सुन सकें. इसकी शेड पर पुलिस, चाइल्डलाइन सेवा, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी और बरियातू थाना पुलिस का नंबर भी अंकित है. जिससे पालने में पड़े बच्चे को देखकर कोई प्रशासन के लोगों को इत्तेला कर सके.

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पालना में लिखा दिल को छूने वाला संदेश

पालना में गंदगी का अंबार

लेकिन सच यह है कि इस पालने में कोई इंसान तो क्या कुत्ते का पिल्ला भी ना रखे, बेड पर धूल की मोटी परत जमी हुई है. कोरोना का दौर है बावजूद इसके बेड पर सर्जिकल ग्लव्स पड़ा हुआ है. लोहे के केज पर जंग लगी हुई है, आसपास बड़े-बड़े घास और गंदगी का अंबार है.

इसे भी पढ़ें- पिस्का नगड़ी में महिलाओं की मेहनत लाई रंग, बंजर भूमि पर लहलहाई फसल

क्या उपायुक्त का संदेश दिल छू सकता है ?

'पालना' के शेड पर रांची के उपायुक्त के हवाले से एक दिल को छूने वाला संदेश लिखा हुआ है. संदेश है- बच्चे ईश्वर की अनमोल देन हैं, इसे फेंके नहीं हमें दें. लेकिन सवाल है कि क्या इसमें किसी लावारिस नवजात को कोई रख पाएगा, बिल्कुल नहीं क्योंकि रूह कांप जाएगी.

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रिस्म परिसर का केली बंग्लो

आखिर क्यों बनाया गया है 'पालना'

80 के दशक में फिल्मों में अक्सर देखने को मिलता था कि कैसे कोई बिन ब्याही मां अपने नवजात को किसी मंदिर या चर्च के चौखट पर छोड़ कर चली जाती है. कैसे लाचार मां बाप अपने बीमार नवजात को धार्मिक स्थलों के पास पर छोड़ जाते थे. सिर्फ इंसानियत के भरोसे कि नवजात को सहारा मिल जाएगा. शायद इसी उम्मीद से रिम्स कैंपस में यह 'पालना' बनाया गया है. पर यह कहते हुए शर्म आती है कि आखिर क्यों बनाया गया है.

Last Updated : Oct 26, 2020, 6:31 PM IST
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