रांची: झारखंड में हेमंत सरकार को गिराने की साजिश का मामला तूल पकड़ चुका है. पुलिस जांच में रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं. पूरे मामले में गिरफ्त में आए तीन आरोपियों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. आरोपियों के ऊपर आईपीसी (Indian Penal Code) एक्ट, राजद्रोह के साथ-साथ, आरपी एक्ट और पीसी एक्ट (Prevention of Corruption Act) की कई धाराएं लगाई गई हैं.
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आरोपियों को हो सकती है गंभीर सजा
सरकार गिराने की साजिश में गिरफ्त में आए तीन अपराधियों के खिलाफ जो धाराएं लगाई गई है वो काफी गंभीर है. वरिष्ठ अधिवक्ता संजय कुमार विद्रोही ने विभिन्न धाराओं की जानकारी देते हुए बताया कि किन-किन धाराओं में आरोपियों को कितनी सजा हो सकती है. उन्होंने यह भी बताया कि इन आरोपियों के ऊपर अगर आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो इन पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए. उनके मुताबिक जिस तरीके से विधायकों को प्रलोभन देकर खरीद फरोख्त की जा रही थी वह काफी गंभीर और संगीन है. ऐसे में अगर मामले पर पूर्ण खुलासा होता है तो निश्चित तौर पर उन लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए.
किन धाराओं में कितनी मिलेगी सजा
- आईपीसी की धारा 419,420: इंडियन पीनल कोड की धारा 419, 420 के तहत धोखा या धोखाधड़ी करने करने का केस दर्ज होता है. इसमें दोषियों को 3 साल से 7 साल तक की सजा हो सकती है.
- आईपीसी की धारा 124 A: इंडियन पीनल कोड की धारा 124 A राजद्रोह का केस दर्ज होता है. इसमें राज्य के खिलाफ लिखित या मौखिक तरीके नफरत फैलाना, सरकार के खिलाफ षडयंत्र करना जैसे मामले शामिल हैं. इसमें दोषियों को 10 साल और उम्र कैद तक की सजा हो सकती है.
- आईपीसी की धारा 34: इंडियन पीनल कोड की धारा 34 में एकमत होकर अपराध करने का मामला दर्ज किया जाता है. जिसमें दोषियों को 6 माह तक की सजा हो सकती है.
- आरपी एक्ट की धारा 147(B): धारा 147(B) सदस्यता लेकर दलबदल का मामला है. जिसमें 1 वर्ष तक की सजा हो सकती है.
- पीसी एक्ट की धारा 8/9 : इस धारा के तहत दर्ज किए गए केस मे पब्लिक सर्वेंट को पैसे का प्रलोभन देना या फिर पैसे देकर कार्य करवाने पर 5 वर्ष से 10 वर्ष तक की सजा हो सकती है.
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क्या है पूरा मामला
बता दें कि झारखंड में सरकार गिराने की साजिश की सूचना मिलने पर सबसे पहले रांची पुलिस ने 23 जुलाई की देर रात रांची के कई होटलों में छापेमारी की थी. पुलिस छापेमारी में तीन अपराधियों अभिषेक दुबे, अमित सिंह और निवारण प्रसाद महतो को गिरफ्तार किया गया था. तीनों से पूछताछ में जो खुलासे हुए उसमें कांग्रेस के तीन विधायकों के दिल्ली में बीजेपी के बड़े नेताओं से मुलाकात की बात सामने आई थी. जिसके बाद से झारखंड में सियासी हलचल मचा हुआ है. बहरहाल तीनों आरोपियों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजने के बाद पुलिस आगे की जांच में जुटी हुई है.
विधानसभा में संख्या बल
पुलिस जहां सरकार के खिलाफ सियासी साजिश की जांच कर रही है. वहीं हम आपको ये बताते हैं कि झारखंड सरकार विधानसभा में संख्याबल के हिसाब से कितनी सुरक्षित है. 2019 विधानसभा चुनाव नतीजों के मुताबिक जेएमएम के पास 30 विधायक हैं जबकि सहयोगी कांग्रेस के पास 16 और आरजेडी के पास एक विधायक है. वहीं जेवीएम के विलय के बाद दो विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की भी कांग्रेस में शामिल हो गए है. जिसके बाद कांग्रेस के विधायकों की संख्या 18 हो गई है. इसके अलावे राज्य सरकार को एनसीपी और सीपीआईएम के एक-एक विधायकों का समर्थन हासिल है. ऐसे में विधानसभा में सरकार के पास बहुमत के आंकड़े 41 से कहीं ज्यादा 51 विधायकों का समर्थन प्राप्त है.