रांची: राजधानी रांची में मातृ उद्योग कहा जाने वाले एचईसी अब शायद अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है. सिर्फ कारखाना ही नहीं कारखाने में काम करने वाले कर्मचारियों के आशियाने भी जर्जर हो रहे हैं. एचईसी के कर्मचारियों को प्रबंधन की तरफ से रहने के लिए दिए गए घर की स्थिति काफी खराब है. किसी का घर टूटा हुआ है तो किसी के घर के दरवाजे या खिड़कियां टूटी हुई हैं. ऐसे में किसी भी दिन कोई बड़ा हादसा हो सकता है.
क्वाटर्स की स्थिति काफी खराब: एचईसी क्वाटर्स में रहने वाले लोगों की स्थिति इतनी खराब है कि लोग अपने घर के खिड़की दरवाजे पर प्लास्टिक के पर्दे लगाकर रख रहे हैं. कई मकानों की स्थिति तो इतनी जर्जर है कि छत के छज्जे गिर रहे हैं. एचईसी के रिवर साइड में रहने वाले रामजी प्रजापति बताते हैं कि एक तो लोगों को कई महीनों से वेतन नहीं मिला. वह अपने रोजमर्रे की जिंदगी में जद्दोजहद कर रहे हैं. कई कर्मचारी के राशन पर आफत हो गई है, तो कई कर्मचारियों के बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है.
मकानों की उम्र 50 साल से ज्यादा: एचईसी प्रबंधन के द्वारा बनाए गए भवनों में रहने वाले लोगों ने बताया कि जितने भी मकान बनाए गए हैं वे सभी 60 और 70 के दशक में बनाए गए हैं. सभी मकानों की उम्र करीब 50 साल से ज्यादा हो गई है. ऐसे में मकान की रिपेयरिंग बहुत जरूरी है, लेकिन रिपेयरिंग को लेकर ना तो प्रबंधन सजग है और ना तो मकान में रहने वाले लोग सक्षम हैं. क्योंकि रिपेयरिंग करने के पैसे लोगों के पास नहीं है.
एचईसी प्रबंधन द्वारा के द्वारा 11006 क्वार्टर बनाए गए थे. जिसमें एचईसी में काम करने वाले निम्न वर्ग के कर्मचारियों से लेकर अधिकारी तक निवास करते हैं. मिली जानकारी के अनुसार एचईसी प्रबंधन द्वारा बनाए गए करीब 1500 क्वार्टर को झारखंड सरकार ने खरीद लिए हैं. जिसमें फिलहाल झारखंड के कई अधिकारी और कर्मचारी रहते हैं.
वहीं, करीब पांच हजार क्वार्टर को लीज सिस्टम पर बेच दिया गया है. बाकि बचे क्वार्टरों में एचईसी के कर्मचारी रह रहे हैं, लेकिन सभी आवासों की स्थिति जर्जर है. कर्मचारियों ने कहा कि अगर प्रबंधन को भवन रिपेयरिंग करने के लिए कहा जाता है तो प्रबंधन मकान खाली करने की सलाह देता है. दूसरों के लिए आवाज उठाने वाले मजदूर नेता और एचईसी के पूर्व कर्मचारी भवन सिंह बताते हैं कि वर्तमान में प्रबंधन में मौजूद पदाधिकारी अवैध तरीके से लोगों को मकान मुहैया करा रहा है. प्रबंधन में मौजूद कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से एचईसी के क्वार्टर में वैसे लोग रह रहे हैं जिनका संबंध कारखाने से नहीं है.
झुग्गी में रहने को मजबूर कई कर्मचारी: एचईसी के कई कर्मचारी सड़क पर आने के लिए मजबूर हो रहे हैं. कई कर्मचारी तो जर्जर मकान को छोड़कर झुग्गी झोपड़ी में रहने को विवश हो गए हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह की स्थिति बनी हुई है ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा की 17 महीने से वेतन के बगैर नौकरी तो ना के बराबर है ही अब कर्मचारियों को मिले आशियाने भी खत्म हो जाएंगे. वही कर्मचारियों के जर्जर भवन की समस्या को लेकर हमने जब क प्रबंधन से बात करने की कोशिश की तो कर्मचारियों की समस्या पर अधिकारियों ने चुप्पी साध ली.
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