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रिम्स में इलाज कराना पड़ रहा भारी, रजिस्ट्रेशन से लेकर जांच रिपोर्ट लेने में मरीजों को घंटों करना पड़ रहा मशक्कत - रिम्स में ओपीडी

रिम्स में जांच रिपोर्ट लेने में घंटों मशक्कत करना पड़ता है. स्थिति यह है कि अलग-अलग कमरा में जांच सैंपल देना पड़ता है. वहीं सुबह से शाम तक इस कमरा से उस कमरा तक चक्कर लगाने के बाद भी समय से जांच रिपोर्ट नहीं मिलती है.

test report in RIMS
रिम्स में इलाज कराना पड़ रहा भारी
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Published : Mar 30, 2022, 9:27 PM IST

रांचीः झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स, जहां दिन प्रतिदिन इलाज करवाने वाले मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. लेकिन सुविधा में बढ़ोतरी नहीं की जा रही है. स्थिति यह है कि भीषण गर्मी में मरीज और उनके परिजनों को घंटों लाइन में खड़ा होकर रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है और सुबह से शाम तक चक्कर लगाने पर जांच रिपोर्ट.

यह भी पढ़ेंःरांची में रिम्स को एम्स बनाने का था सपना, पर आज भी मरीजों को जांच के लिए जाना पड़ता है बाहर

रिम्स में बेहतर इलाज के लिए राज्यभर से मरीज पहुंचते हैं. इन मरीजों को सबसे पहले रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है, फिर संबंधित रोग के विशेषज्ञ डॉक्टर के चैंबर के समीप इलाज के लिए मशक्कत करना पड़ता है. घंटों मशक्कत के बाद डॉक्टर देखते हैं तो कुछ ना कुछ जांच करवाने की सलाह देते हैं. डॉक्टर की सलाह पर मरीज अलग-अलग कमरा में जाकर जांच सैंपल देते हैं, फिर मरीज के परिजन सुहब से शाम तक जांच रिपोर्ट के लिए इस कमरे से उस कमरे तक भटकने को मजबूर होते हैं. क्योंकि एक काउंटर पर सभी रिपोर्ट उपलब्ध करवाने की सुविधा नहीं है.


सेंट्रल पैथोलॉजी विभाग में जांच रिपोर्ट लेने पहुंचे नौसब्बा, नरेंद्र, अंजली और विनीता घंटों कतार में खड़ी थी. लेकिन रिपोर्ट नहीं मिल रही थी. नौसब्बा कहती है कि मरीज को बाहर बैठा कर रिपोर्ट लेने के लिए लाइन में खड़े हैं. एक रिपोर्ट मिली है और तीन रिपोर्ट के लिए शाम में बुलाया जा रहा है. वहीं, नरेंद्र कहते हैं कि मेरी पत्नी हार्ट के मरीज हैं और इमरजेंसी में भर्ती करवाया है. जांच सैंपल दे दिया. लेकिन जांच रिपोर्ट समय से नहीं मिल रही है. उन्होंने कहा कि अस्पताल की अव्यवस्था पर किसी का ध्यान नहीं है. यही स्थिति अंजली और विनीता की भी है.

रिम्स के जनसम्पर्क अधिकारी ने फोन पर कहा कि दिन प्रतिदिन मरीजों का भार बढ़ रहा है. इससे कुछ दिक्कत है, जिसे रिम्स प्रबंधन दूर करने के लिए गंभीर है. रिम्स मेडिकल डॉक्टर्स एसोसिएशन के डॉ प्रभात कुमार कहते हैं कि ज्यादातर बड़े असपतालों में जांच रिपोर्ट संबंधित डॉक्टर को भेज दिया जाता है. डॉक्टर अपने लैपटॉप में रिपोर्ट देख मरीज को दवा लिख देते हैं. लेकिन रिम्स में यह सुविधा नहीं है. उन्होंने कहा कि जांच सैंपल कलेक्शन की भी सेंट्रलाइज व्यवस्था नहीं है.

रांचीः झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स, जहां दिन प्रतिदिन इलाज करवाने वाले मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. लेकिन सुविधा में बढ़ोतरी नहीं की जा रही है. स्थिति यह है कि भीषण गर्मी में मरीज और उनके परिजनों को घंटों लाइन में खड़ा होकर रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है और सुबह से शाम तक चक्कर लगाने पर जांच रिपोर्ट.

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रिम्स में बेहतर इलाज के लिए राज्यभर से मरीज पहुंचते हैं. इन मरीजों को सबसे पहले रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है, फिर संबंधित रोग के विशेषज्ञ डॉक्टर के चैंबर के समीप इलाज के लिए मशक्कत करना पड़ता है. घंटों मशक्कत के बाद डॉक्टर देखते हैं तो कुछ ना कुछ जांच करवाने की सलाह देते हैं. डॉक्टर की सलाह पर मरीज अलग-अलग कमरा में जाकर जांच सैंपल देते हैं, फिर मरीज के परिजन सुहब से शाम तक जांच रिपोर्ट के लिए इस कमरे से उस कमरे तक भटकने को मजबूर होते हैं. क्योंकि एक काउंटर पर सभी रिपोर्ट उपलब्ध करवाने की सुविधा नहीं है.


सेंट्रल पैथोलॉजी विभाग में जांच रिपोर्ट लेने पहुंचे नौसब्बा, नरेंद्र, अंजली और विनीता घंटों कतार में खड़ी थी. लेकिन रिपोर्ट नहीं मिल रही थी. नौसब्बा कहती है कि मरीज को बाहर बैठा कर रिपोर्ट लेने के लिए लाइन में खड़े हैं. एक रिपोर्ट मिली है और तीन रिपोर्ट के लिए शाम में बुलाया जा रहा है. वहीं, नरेंद्र कहते हैं कि मेरी पत्नी हार्ट के मरीज हैं और इमरजेंसी में भर्ती करवाया है. जांच सैंपल दे दिया. लेकिन जांच रिपोर्ट समय से नहीं मिल रही है. उन्होंने कहा कि अस्पताल की अव्यवस्था पर किसी का ध्यान नहीं है. यही स्थिति अंजली और विनीता की भी है.

रिम्स के जनसम्पर्क अधिकारी ने फोन पर कहा कि दिन प्रतिदिन मरीजों का भार बढ़ रहा है. इससे कुछ दिक्कत है, जिसे रिम्स प्रबंधन दूर करने के लिए गंभीर है. रिम्स मेडिकल डॉक्टर्स एसोसिएशन के डॉ प्रभात कुमार कहते हैं कि ज्यादातर बड़े असपतालों में जांच रिपोर्ट संबंधित डॉक्टर को भेज दिया जाता है. डॉक्टर अपने लैपटॉप में रिपोर्ट देख मरीज को दवा लिख देते हैं. लेकिन रिम्स में यह सुविधा नहीं है. उन्होंने कहा कि जांच सैंपल कलेक्शन की भी सेंट्रलाइज व्यवस्था नहीं है.

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