रांचीः हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति मामले में झारखंड हाई कोर्ट से ऐतिहासिक फैसला आया है. अदालत ने यह माना है कि राज्य की ओर से हाई स्कूल नियुक्ति प्रक्रिया में 13 जिलों को 100% प्रतिशत आरक्षण किया जाना संविधान के अनुरूप नहीं है.
अदालत से फैसला आने के बाद निर्दलीय विधायक सरयू राय ने कहा कि किसी भी सरकार को समस्या को सिर्फ सुलझा देने के लिए नियम कानून नहीं बनाना चाहिए. ऐसे में कोर्ट का फैसला आया है आगे भी किसी भी तरह के का कानून संविधान नहीं बनाना चाहिए, इस मामले में भी ऐसा ही हुआ.
समान अधिकार से वंचित रखा जा रहा था
वहीं शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने मामले को लेकर कहा कि झारखंड हाई कोर्ट से यह फैसला आया है और इस फैसले को सब को मानना चाहिए. हालांकि पूरा जजमेंट अभी देखा नहीं गया है. देखने के बाद प्रक्रिया दी जा सकती है. वहीं पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने जितने भी फैसले लिए थे झारखंडी जन भावना के साथ खिलवाड़ था. एक राज्य में रहने वाले लोगों को समान अधिकार से वंचित रखा जा रहा था. ऐसे में आज झारखंड उच्च न्यायालय ने इस आदेश को निरस्त कर दिया और लंबे समय से राज्य के युवा छात्र इसे निरस्त करने की मांग कर रहे थे और झारखंड हाई कोर्ट से आ गया फैसला आया है सभी छात्र छात्राओं में उत्साह का माहौल है.
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बता दें कि, झारखंड में हाई स्कूल का 18,584 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए वर्ष 2016 में विज्ञापन निकाला गया था जिसमें पूर्ववर्ती सरकार रघुवर दास ने नियुक्ति के लिए नियोजन नीति बनाया था, उस नियोजन नीति में 13 जिलों को अनुसूचित जिला घोषित कर वह जिलों को सिर्फ उसी जिले के निवासियों को नौकरी के लिए आवेदन देने की नीति बनाई थी. राज्य के 11 जिलों को गैर अनुसूचित घोषित करते हुए उस जिले में सभी का आवेदन करने को कहा था राज्य सरकार के इसी नियोजन नीति से आहत होकर झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिस पर सोमवार को सुनवाई करते हुए अदालत ने हाई स्कूल नियुक्ति मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है.