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Delivery of Women: झारखंड में सिजेरियन डिलिवरी की संख्या में हो रहा है इजाफा, घरों में भी प्रसव कराने के मामले बढ़े, विस्तृत रिपोर्ट - घर में महिलाओं की डिलीवरी

झारखंड में सिजेरियन डिलीवरी का प्रतिशत बढ़ा है. वहीं घरेलू डिलीवरी के मामले भी बढ़े हैं. इतने जागरुकता अभियान चलाने के बावजूद घरेलू डिलीवरी के मामले में इजाफा सोचने वाली बात है.

hike in cesarean delivery in jharkhand
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Published : Feb 10, 2023, 10:21 PM IST

रांचीः झारखंड में ऑपरेशन यानी सिजेरियन विधि से बच्चों को जन्म देने की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. एक दौर था जब गांव की दाई मां घर में ही गर्भवती महिलाओं को संभाल लिया करती थीं. हालाकि इस दौरान काॉम्प्लिकेशन आने पर जच्चा-बच्चा की जिंदगी खतरे में पड़ जाती थी. लेकिन समय के साथ नॉर्मल डिलीवरी के बजाए सिजेरियन डिलीवरी को ज्यादा तवज्जो दिया जाने लगा है. खास बात है कि सिजेरियन डिलीवरी का प्रतिशत न सिर्फ निजी बल्कि सरकारी अस्पतालों में भी बढ़ा है.

झारखंड जैसे आदिवासी बहुल राज्य में भी सिजेरियन डिलीवरी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इस मामले में राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स, रांची की महिला प्रसूति विभागाध्यक्ष डॉ सरीता तिर्की ने कहा कि पहले तो यह देखना होगा कि किस स्तर पर डाटा तैयार किया गया है. उन्होंने कहा कि रिम्स में सिजेरियन और नॉर्मल डिलिवरी का अनुपात करीब-करीब बराबर है. यहां दूसरे सरकारी अस्पतालों की तुलना में ज्यादा सिजेरियन होता है, क्योंकि ज्यादातर मरीज कॉम्प्लिकेशन स्टेज में पहुंचते हैं. उन्होंने कहा कि यह इतना व्यापक मामला है कि इसके लिए लंबे डिबेट की जरूरत पड़ेगी.

hike in cesarean delivery in jharkhand
सिजेरियन डिलीवरी का प्रतिशत
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सिजेरियन डिलीवरी का प्रतिशत

सिजेरियन ऑपरेशन की बढ़ी है संख्याः नीचे दिए गये डाटा पर गौर करेंगे तो तस्वीर साफ हो जाएगी. राज्य के 24 जिलों में से 21 जिले ऐसे हैं जहां सिजेरियन ऑपरेशन की संख्या बढ़ रही है. सबसे ज्यादा जामताड़ा में सिजेरियन ऑपरेशन से बच्चों का जन्म हो रहा है. जामताड़ा में साल 2015-16 में 4.4 प्रतिशत सिजेरियन ऑपरेशन होता था, जो साल 2020-21 में बढ़कर 13.4 प्रतिशत हो गया है. बोकारो में 8 प्रतिशत, गढ़वा में 6 प्रतिशत, कोडरमा में 6 प्रतिशत और पलामू में 5 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. सिर्फ गोड्डा, हजारीबाग और रांची में मामूली कमी आई है.

hike in cesarean delivery in jharkhand
सिजेरियन डिलीवरी का प्रतिशत

घर में प्रसव की बढ़ी है संख्याःआश्चर्य की बात है कि एक तरफ सिजेरियन डिलीवरी की संख्या में इजाफा हुआ है तो दूसरी तरफ घरों में ट्रेंड दाई या मेडिकल स्टाफ के सहयोग से प्रसव दर में भी बढ़ोतरी हुई है. नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे की 2015-16 की रिपोर्ट की तुलना में 2020-21 में झारखंड के 24 में से 15 जिलों में ट्रेंड दाई के जरिए घरों में डिलीवरी कराने के मामले बढ़े हैं. खास बात है कि इस लिस्ट में संथाल के सबसे ज्यादा जिले हैं. देवघर, दुमका, गोड्डा, गुमला, हजारीबाग, खूंटी, लातेहार, लोहरदगा, पाकुड़, चाईबासा, रामगढ़, रांची, साहिबगंज, सरायकेला और सिमडेगा में मॉडर्न मेडिकल साइंस पिछड़ता नजर आ रहा है. घरेलू स्तर पर सबसे ज्यादा डिलीवरी देवघर, लातेहार, गोड्डा और साहिबगंज में हो रही है.

hike in cesarean delivery in jharkhand
घरेलू प्रसव का प्रतिशत
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घरेलू प्रसव का प्रतिशत
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घरेलू प्रसव का प्रतिशत

यह डाटा बता रहा है कि राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था कैसी है. सरकारी अस्पतालों में प्रसूति की व्यवस्था के बावजूद अगर घरों में डिलीवरी की संख्या बढ़ रही है तो यह बेहद चिंता वाली बात है. इसके पीछे गरीबी और जागरुकता की कमी एक बड़ा कारण है.

रांचीः झारखंड में ऑपरेशन यानी सिजेरियन विधि से बच्चों को जन्म देने की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. एक दौर था जब गांव की दाई मां घर में ही गर्भवती महिलाओं को संभाल लिया करती थीं. हालाकि इस दौरान काॉम्प्लिकेशन आने पर जच्चा-बच्चा की जिंदगी खतरे में पड़ जाती थी. लेकिन समय के साथ नॉर्मल डिलीवरी के बजाए सिजेरियन डिलीवरी को ज्यादा तवज्जो दिया जाने लगा है. खास बात है कि सिजेरियन डिलीवरी का प्रतिशत न सिर्फ निजी बल्कि सरकारी अस्पतालों में भी बढ़ा है.

झारखंड जैसे आदिवासी बहुल राज्य में भी सिजेरियन डिलीवरी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इस मामले में राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स, रांची की महिला प्रसूति विभागाध्यक्ष डॉ सरीता तिर्की ने कहा कि पहले तो यह देखना होगा कि किस स्तर पर डाटा तैयार किया गया है. उन्होंने कहा कि रिम्स में सिजेरियन और नॉर्मल डिलिवरी का अनुपात करीब-करीब बराबर है. यहां दूसरे सरकारी अस्पतालों की तुलना में ज्यादा सिजेरियन होता है, क्योंकि ज्यादातर मरीज कॉम्प्लिकेशन स्टेज में पहुंचते हैं. उन्होंने कहा कि यह इतना व्यापक मामला है कि इसके लिए लंबे डिबेट की जरूरत पड़ेगी.

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सिजेरियन डिलीवरी का प्रतिशत
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सिजेरियन डिलीवरी का प्रतिशत

सिजेरियन ऑपरेशन की बढ़ी है संख्याः नीचे दिए गये डाटा पर गौर करेंगे तो तस्वीर साफ हो जाएगी. राज्य के 24 जिलों में से 21 जिले ऐसे हैं जहां सिजेरियन ऑपरेशन की संख्या बढ़ रही है. सबसे ज्यादा जामताड़ा में सिजेरियन ऑपरेशन से बच्चों का जन्म हो रहा है. जामताड़ा में साल 2015-16 में 4.4 प्रतिशत सिजेरियन ऑपरेशन होता था, जो साल 2020-21 में बढ़कर 13.4 प्रतिशत हो गया है. बोकारो में 8 प्रतिशत, गढ़वा में 6 प्रतिशत, कोडरमा में 6 प्रतिशत और पलामू में 5 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. सिर्फ गोड्डा, हजारीबाग और रांची में मामूली कमी आई है.

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सिजेरियन डिलीवरी का प्रतिशत

घर में प्रसव की बढ़ी है संख्याःआश्चर्य की बात है कि एक तरफ सिजेरियन डिलीवरी की संख्या में इजाफा हुआ है तो दूसरी तरफ घरों में ट्रेंड दाई या मेडिकल स्टाफ के सहयोग से प्रसव दर में भी बढ़ोतरी हुई है. नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे की 2015-16 की रिपोर्ट की तुलना में 2020-21 में झारखंड के 24 में से 15 जिलों में ट्रेंड दाई के जरिए घरों में डिलीवरी कराने के मामले बढ़े हैं. खास बात है कि इस लिस्ट में संथाल के सबसे ज्यादा जिले हैं. देवघर, दुमका, गोड्डा, गुमला, हजारीबाग, खूंटी, लातेहार, लोहरदगा, पाकुड़, चाईबासा, रामगढ़, रांची, साहिबगंज, सरायकेला और सिमडेगा में मॉडर्न मेडिकल साइंस पिछड़ता नजर आ रहा है. घरेलू स्तर पर सबसे ज्यादा डिलीवरी देवघर, लातेहार, गोड्डा और साहिबगंज में हो रही है.

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घरेलू प्रसव का प्रतिशत
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घरेलू प्रसव का प्रतिशत
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घरेलू प्रसव का प्रतिशत

यह डाटा बता रहा है कि राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था कैसी है. सरकारी अस्पतालों में प्रसूति की व्यवस्था के बावजूद अगर घरों में डिलीवरी की संख्या बढ़ रही है तो यह बेहद चिंता वाली बात है. इसके पीछे गरीबी और जागरुकता की कमी एक बड़ा कारण है.

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