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नई शिक्षा नीति बनाने में झारखंड कैडर के IAS अमित खरे की रही अहम भूमिका, पिछले साल मिला था उच्च शिक्षा विभाग का जिम्मा

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Published : Jul 29, 2020, 8:08 PM IST

मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है. बुधवार को कैबिनेट की बैठक में इसपर फैसला लिया गया. कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी. उन्होंने बताया कि 34 साल बाद भारत की नई शिक्षा नीति आई है. स्कूल-कॉलेज की व्यवस्था में बड़े बदलाव किए गए हैं.

Higher Education Secretary Amit Khare made significant contribution in new education policy 2020
नई शिक्षा नीति 2020 में उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने दिया महत्वपूर्ण योगदान

रांची: केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को नई शिक्षा नीति 2020 पर मुहर लगा दी. इस नीति को अमलीजामा पहनाने में उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. अमित खरे भारतीय प्रशासनिक सेवा के झारखंड कैडर के अधिकारी हैं. केंद्र सरकार ने उन्हें पिछले साल अक्टूबर में स्कूली शिक्षा विभाग और दिसंबर में उच्च शिक्षा विभाग का जिम्मा दिया था. उन्होंने मानव संसाधन मंत्रालय में तैनाती के साथ ही नई शिक्षा नीति को लागू करने की दिशा में तेजी से काम किया. विशेषज्ञों, राज्य सरकारों, पंचायत प्रतिनिधियों और आम लोगों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर एक ऐसी शिक्षा नीति को मूर्त रूप दिया है. इसमें भारतीय परंपराओं, संस्कृति और भाषा का ध्यान रखते हुए बदलते समाज की जरुरतों के हिसाब से बनाया गया है.

ये भी पढ़ें: इंटर डिस्ट्रिक्ट ट्रांसफर को लेकर झारखंड के शिक्षकों का आंदोलन, 7 हजार ट्वीट के जरिए CM को मामले से कराया अवगत

नई शिक्षा नीति में बच्चों में जीवन जीने के जरूरी कौशल और जरूरी क्षमताओं को विकसित करने पर खास फोकस किया गया है. अमित खरे के लिए 34 साल बाद लागू हो रहे इस नीति को अंतिम रूप देना आसान नहीं था. उनके सामने एक मुक्म्मल नीति तैयार करने की जिम्मेवारी थी. जो सभी के लिए उपयोगी हो सके, झारखंड के शिक्षा सचिव, रांची विश्वविद्यालय के कुलपति सहित केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय में संयुक्त सचिव और अतिरिक्त सचिव की जिम्मेदारी निभा चुके हैं. जिसकी वजह से देश की पुरानी शिक्षा नीति से भली भांति परिचित हैं. उनका यह अनुभव इस नीति को बनाने में काम आया. अमित खरे ने बताया कि नई शिक्षा नीति में उच्च शैक्षणिक संस्थानों में विश्वस्तरीय अनुसंधान और उच्च गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई पर जोर दिया गया है. वर्ल्ड क्लास रिसर्च पर फोकस किया जाएगा. वहीं, स्नातक प्रोग्राम के ढांचा में बदलाव किया जाएगा. अब कोर्स के दौरान कक्षा से निकलने या प्रवेश करने के कई विकल्प दिए जाएंगे, जिसका फायदा विद्यार्थियों को होगा.

क्या है नई शिक्षा नीति की खास बातें

मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है. इसका मतलब है कि रमेश पोखरियाल निशंक अब देश के शिक्षा मंत्री कहलाएंगे. जीडीपी का छह फ़ीसद शिक्षा में लगाने का लक्ष्य जो अभी 4.43 फ़ीसद है. नई शिक्षा का लक्ष्य 2030 तक 3-18 आयु वर्ग के प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करता है. छठी क्लास से वोकेशनल कोर्स शुरू किए जाएंगे. उच्च शिक्षा के लिए एक सिंगल रेगुलेटर रहेगा. उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फ़ीसद GER (Gross Enrolment Ratio) पहुंचाने का लक्ष्य है. पहली बार मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम लागू किया गया है. उच्च शिक्षा में कई बदलाव किए गए हैं. जो छात्र रिसर्च करना चाहते हैं उनके लिए चार साल का डिग्री प्रोग्राम होगा. जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वो तीन साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे. शोध करने के लिए नेशनल रिसर्च फ़ाउंडेशन (एनआरएफ़) की स्थापना की जाएगी. उच्च शिक्षा संस्थानों को फ़ीस चार्ज करने के मामले में और पारदर्शिता लानी होगी. ई-पाठ्यक्रम क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किए जाएंगे. वर्चुअल लैब विकसित की जा रही है और एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फ़ोरम (NETF) बनाया जा रहा है.

रांची: केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को नई शिक्षा नीति 2020 पर मुहर लगा दी. इस नीति को अमलीजामा पहनाने में उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. अमित खरे भारतीय प्रशासनिक सेवा के झारखंड कैडर के अधिकारी हैं. केंद्र सरकार ने उन्हें पिछले साल अक्टूबर में स्कूली शिक्षा विभाग और दिसंबर में उच्च शिक्षा विभाग का जिम्मा दिया था. उन्होंने मानव संसाधन मंत्रालय में तैनाती के साथ ही नई शिक्षा नीति को लागू करने की दिशा में तेजी से काम किया. विशेषज्ञों, राज्य सरकारों, पंचायत प्रतिनिधियों और आम लोगों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर एक ऐसी शिक्षा नीति को मूर्त रूप दिया है. इसमें भारतीय परंपराओं, संस्कृति और भाषा का ध्यान रखते हुए बदलते समाज की जरुरतों के हिसाब से बनाया गया है.

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नई शिक्षा नीति में बच्चों में जीवन जीने के जरूरी कौशल और जरूरी क्षमताओं को विकसित करने पर खास फोकस किया गया है. अमित खरे के लिए 34 साल बाद लागू हो रहे इस नीति को अंतिम रूप देना आसान नहीं था. उनके सामने एक मुक्म्मल नीति तैयार करने की जिम्मेवारी थी. जो सभी के लिए उपयोगी हो सके, झारखंड के शिक्षा सचिव, रांची विश्वविद्यालय के कुलपति सहित केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय में संयुक्त सचिव और अतिरिक्त सचिव की जिम्मेदारी निभा चुके हैं. जिसकी वजह से देश की पुरानी शिक्षा नीति से भली भांति परिचित हैं. उनका यह अनुभव इस नीति को बनाने में काम आया. अमित खरे ने बताया कि नई शिक्षा नीति में उच्च शैक्षणिक संस्थानों में विश्वस्तरीय अनुसंधान और उच्च गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई पर जोर दिया गया है. वर्ल्ड क्लास रिसर्च पर फोकस किया जाएगा. वहीं, स्नातक प्रोग्राम के ढांचा में बदलाव किया जाएगा. अब कोर्स के दौरान कक्षा से निकलने या प्रवेश करने के कई विकल्प दिए जाएंगे, जिसका फायदा विद्यार्थियों को होगा.

क्या है नई शिक्षा नीति की खास बातें

मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है. इसका मतलब है कि रमेश पोखरियाल निशंक अब देश के शिक्षा मंत्री कहलाएंगे. जीडीपी का छह फ़ीसद शिक्षा में लगाने का लक्ष्य जो अभी 4.43 फ़ीसद है. नई शिक्षा का लक्ष्य 2030 तक 3-18 आयु वर्ग के प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करता है. छठी क्लास से वोकेशनल कोर्स शुरू किए जाएंगे. उच्च शिक्षा के लिए एक सिंगल रेगुलेटर रहेगा. उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फ़ीसद GER (Gross Enrolment Ratio) पहुंचाने का लक्ष्य है. पहली बार मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम लागू किया गया है. उच्च शिक्षा में कई बदलाव किए गए हैं. जो छात्र रिसर्च करना चाहते हैं उनके लिए चार साल का डिग्री प्रोग्राम होगा. जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वो तीन साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे. शोध करने के लिए नेशनल रिसर्च फ़ाउंडेशन (एनआरएफ़) की स्थापना की जाएगी. उच्च शिक्षा संस्थानों को फ़ीस चार्ज करने के मामले में और पारदर्शिता लानी होगी. ई-पाठ्यक्रम क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किए जाएंगे. वर्चुअल लैब विकसित की जा रही है और एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फ़ोरम (NETF) बनाया जा रहा है.

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