रांची: जमशेदपुर एक महिला की मौत मामले में हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन की तरफ से संज्ञान लेते हुए मामले पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान उन्होंने मौखिक रूप से कहा कि, महिला की तो मौत हो गई, लेकिन सिस्टम पर सवाल खड़े कर गई है. उन्होंने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि, काश! हम इस मामले को पहले सुन सकते थे, लेकिन नहीं सुन पाए. अगर सुन लेते तो आज कुछ और होता, इस बात का अफसोस रहेगा. उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं आत्मा को झकझोर देती हैं. यह कैसा सिस्टम है की एक अधजली हुई महिला तड़पती रही. समय से न इलाज हो सका न एक बेड मिल सका.
महिला को उसके पति ने जलाया
बता दें कि चक्रधरपुर की महिला को उनके पति ने 14 फरवरी को केरोसिन शरीर पर डालकर जला दिया था और जली हुई महिला को एक व्यक्ति ने एम.जी.एम अस्पताल जमशेदपुर में भर्ती करवाया. जमशेदपुर के एम.जी.एम अस्पताल में उन्हें नीचे लिटा दिया गया था, क्योंकि जमशेदपुर के एम.जी.एम अस्पताल में ऐसा बेड नहीं था, जिससे कि ऊपर से वह गिर न सके. वह सुरक्षित बेड पर रह सके. प्लेन बेड होने के कारण गिरने के डर से उन्हें बेड पर न रखकर नीचे में ही सुला दिया था. जब यह बात मीडिया में आई तो आनन-फानन में एम.जी.एम के डॉक्टरों ने उसका इलाज शुरू किया. यह बात जब हाई कोर्ट के अधिवक्ता अनूप अग्रवाल को पता चली तो उन्होंने मेल के माध्यम से चीफ जस्टिस को पत्र भेजा. अधिवक्ता के उसी पत्र पर मुख्य न्यायाधीश ने संज्ञान लेते हुए मामले पर सुनवाई की और झालसा को जांच कर रिपोर्ट पेश करने को कहा. मामले की अगली सुनवाई 25 फरवरी को होगी.