रांचीः प्रदेश का मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार अलग-अलग प्रोजेक्ट की वजह से विस्थापित हो रहे लोगों के प्रति संवेदनशील है. उन्होंने कहा कि पूरे राज्य में खनिज संपदा भरी पड़ी है. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से कई बड़े उद्योग राज्य में लगाए गए हैं. इसको लेकर कई तरह की समस्या आ रही है.
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हेमंत सोरेन ने कहा कि 20-25 साल पहले अधिकृत जमीन पर अब जाकर काम हो रहा है. मौजूदा स्थिति में ग्रामीण इलाकों और झारखंडियों में आक्रोश भी है. मुख्यमंत्री ने इसका संज्ञान लिया है, भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में इसका प्रावधान है. उन्होंने कहा कि प्रावधान के अनुसार चार गुना मुआवजा देने का सरकार का निर्णय है. उन्होंने कहा कि इसमें कुछ चीजें ऐसी हैं जो व्यवहारिक रूप से अलग दिखाई देती हैं, राज्य सरकार गंभीर है.
कांग्रेस की अंबा प्रसाद ने उठाया सवाल
दरअसल कांग्रेस की अंबा प्रसाद ने बड़कागांव इलाके में एनटीपीसी के लग रहे प्रोजेक्ट में प्रभावित परिवारों के मुआवजे को लेकर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा कि जो मुआवजा प्रभावित परिवारों को दिया जा रहा है. वह अपेक्षाकृत काफी कम अनुपात का है. ऐसे में राज्य सरकार को इस बाबत फैसला करना चाहिए. उन्होंने कहा कि जो मुआवजा प्रभावित परिवारों को दिया जा रहा है वह अपेक्षाकृत काफी कम अनुपात का है. ऐसे में राज्य सरकार को इस बाबत फैसला करना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक तरफ लोग उस प्रोजेक्ट के लिए अपनी जमीन दे रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उन्हें पर्याप्त मुआवजा नहीं मिल रहा है.
भानु ने उठाया सवाल
वहीं सदन ने बुधवार को बीजेपी के भानु प्रताप शाही ने राज्य सरकार के कैबिनेट डिसीजन पर भी सवाल खड़े किए. शाही ने कहा कि सरकार के स्थानीयता नीति को पुनर्परिभाषित करने के निर्णय को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है. उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकारी है कि राज्य सरकार 1932 के खतियान को आधार बनाने जा रही है. ऐसे में कई ऐसे लोग हैं जो उस वक्त भूमिहीन थे ऐसी परिस्थिति में उनका क्या होगा.