रांची: राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में अनुबंध पर कार्यरत कर्मियों को नियमित करने की तैयारी शुरू हो गई है. सरकार के द्वारा पिछले दिनों सभी विभागों में दस वर्ष से अधिक समय से कार्यरत कर्मियों की सूची तैयार की गई थी, जिसमें सर्वाधिक होमगार्ड जवानों की संख्या है. जानकारी के मुताबिक जिला से लेकर प्रदेश स्तर तक में करीब 2 लाख 28 हजार कर्मी अनुबंध पर हैं. अनुबंध पर काम करने वालों की संख्या स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास विभाग में सर्वाधिक है. सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के अनुरूप इन कर्मचारियों को नियमित करना सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. हालांकि राज्य सरकार के विभागों में रिक्तियां हैं. ऐसे में सरकार पूरी तरह मंथन करने के बाद इस पर निर्णय लेने के मूड में है.
ये भी पढ़ें: नीति आयोग के समक्ष राज्य सरकार ने बकाया को लेकर जताई नाराजगी, जानिए बैठक में क्या उठा मामला
न्यायालय आदेश पर आंशिक रूप से कर्मचारी हो रहे नियमित: झारखंड सरकार द्वारा न्यायालय आदेश के बाद कर्मचारियों को नियमित किया जा रहा है. हाल ही में इस कड़ी में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के दैनिक पारिश्रमिक चालक मोहम्मद नसीर उद्दीन खान को नियमित करने की स्वीकृति प्रदान की गई है. इसके अलावा विधि विभाग में झाड़ूकश पद पर कार्यरत सुनीता देवी जो दैनिक वेतन पारिश्रमिक पर कार्यरत थीं, उन्हें नियमित करने का आदेश दिया गया है. राज्य सरकार के द्वारा ऐसे दैनिक पारिश्रमिक पर कार्यरत कर्मचारियों के नियमितीकरण की दिशा में किए जा रहे प्रयास की सराहना झारखंड अराजपत्रित कर्मचारी संघ ने की है.
संघ के महासचिव मृत्युंजय कुमार झा ने कहा है कि दैनिक पारिश्रमिक पर कार्यरत सभी कर्मचारियों को चुनाव घोषणा पत्र के अनुरूप हेमंत सरकार नियमित करें. उन्होंने हाल के महीनों में कर्मचारियों के लिए सरकार द्वारा लिए गए निर्णय की सराहना की. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि डेली वेजेज पर कार्यरत महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश की मांग लंबे समय से की जा रही थी जिसे पूरा कर सरकार ने बड़ा फैसला लिया है.
नियमितीकरण का ये है प्रावधान: झारखंड में दैनिक पारिश्रमिकों के नियमितीकरण के लिए पूर्व में कर्नाटक सरकार और अन्य बनाम उमा देवी के अलावा 10.04. 2006 को पारित आदेश की तिथि को आधार माना गया है. इस तिथि के पूर्व न्यायालयों अथवा न्यायाधिकरण के द्वारा पारित आदेश से आच्छादित मामलों को छोड़कर सृजित पदों के विरुद्ध कार्यरत एवं कम से कम 10 वर्षों की लगातार सेवा करने वाले और नियमित रूप से नियुक्त कर्मियों की सेवा नियमितीकरण पर विचार किया जाने का प्रावधान रखा था. बाद में इसे संशोधित करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में दायर नरेंद्र कुमार तिवारी एवं अन्य बनाम झारखंड राज्य एवं अन्य में दिनांक 01.08. 2018 को पारित न्यायादेश के आलोक में सरकार ने इसे संशोधन किया था.
कार्मिक विभाग द्वारा 20.06.19 को जारी अधिसूचना के अनुसार न्यायादेश की तिथि आधार मानते हुए सृजित पदों के विरुद्ध कार्य एवं कम से कम 10 वर्षों की लगातार सेवा करने वाले और नियमित रूप से नियुक्त कर्मियों की सेवा नियमितीकरण पर विचार किया जा सकेगा. इसके अलावे मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदित सूची के आधार पर उम्मीदवारों की सेवा नियमितीकरण की कार्रवाई नियुक्ति प्राधिकार द्वारा की जाएगी.
10 वर्षों की लगातार सेवा पूरी करने वाले वैसे सभी अनियमित रूप से नियुक्त एवं कार्यरत जो 'झारखंड सरकार के अधीनस्थ अनियमित रूप से नियुक्त एवं कार्यरत कर्मियों की सेवा नियमितीकरण नियमावली 2015' में निर्धारित अन्य सभी शर्तों को पूरा करते हों कि सेवा के नियमितीकरण पर विचार कर लिए जाने तक यह नियमावली प्रभावी माना जाएगा.