रांची: झारखंड के कुछ अस्पतालों में सुरक्षा कंपनियों के द्वारा करार किया गया है. ताकि घायल जवानों को एयरलिफ्ट कर सीधे अस्पताल पहुंचाया जा सके. किसी इमरजेंसी की स्थिति में हेलीकॉप्टर की लैंडिंग के लिए राज अस्पताल में हेलीपैड बनाया गया है लेकिन यहां आज तक एक भी हेलीकॉप्टर लैंड नहीं हो पाया है.
किसी भी एंबुश या अभियान में घायल जवान को गोली लगने पर उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाना सुरक्षा कंपनियों की जिम्मेदारी होती है. इसलिए जवानों को हेलीकॉप्टर के माध्यम से एयरलिफ्ट कर रांची लाया जाता है. रांची में इलाज के लिए जवानों को लाए जाने के बाद हेलीकॉप्टर के लैंडिंग के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है. अक्सर अस्पताल से कई किलोमीटर दूर हेलीकॉप्टर लैंड कराया जाता है, जिस वजह से घायल जवानों को इलाज में देरी होती है.
इन्हीं समस्याओं को देखते हुए राजधानी रांची के पुराने अस्पतालों में राज अस्पताल में हेलीपैड बनाया गया था ताकि अस्पताल के ऊपर ही हेलीकॉप्टर को लैंड किया जा सके और मरीज को आसानी से इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती किया जा सके. लेकिन अस्पताल के इस प्रयास को अब तक सरकार की तरफ से किसी भी तरह का रूप नहीं दिया गया है. जिस कारण अस्पताल में बना हेलीपैड यूं ही पड़ा हुआ है.
राज अस्पताल के डायरेक्टर योगेश गंभीर ने बताया कि 5 साल पहले इसी सोच के साथ हेलीपैड बनाया गया था कि अगर झारखंड के किसी जंगली क्षेत्र में जवान घायल होते हैं उन्हें तुरंत ही एयर लिफ्ट कर सीधे अस्पताल लाया जा सके. पिछली सरकार के दौरान उन्होंने सरकार के अधिकारियों को इसकी जानकारी दी थी. जिसके बाद अधिकारियों ने भरोसा दिया था कि जल्द ही इस हेलीपैड को शुरू कर दिया जाएगा, लेकिन सरकार बदलने के बाद अधिकारियों का भरोसा भी ठंडे बस्ते में चला गया.
राज अस्पताल के निदेशक योगेश गंभीर ने कहा कि पूर्व में भी उनके द्वारा यह प्रयास किया गया था कि अस्पताल के ऊपर बना हेलीपैड का उपयोग किया जाए. लेकिन अब तक हेलीपैड का उपयोग नहीं किया गया. उन्होंने ईटीवी भारत के माध्यम से सरकार का ध्यान आकृष्ट किया है कि सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसफ या झारखंड पुलिस के जवान अगर राज्य की रक्षा करते-करते घायल होते हैं तो उन्हें इलाज के लिए उस अस्पताल में ही भेजा जाए जिस अस्पताल में हेलीपैड बनाए गए हैं. ताकि वहां पर मरीज या फिर घायल जवानों को इलाज के लिए समस्या न झेलनी पड़े.