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आरक्षण देने वाली याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई, दलील पूरी नहीं होने पर मिली अगली तारीख - झारखंड हाई कोर्ट

सरकार के नियोजन नीति के तहत झारखंड हाई कोर्ट में आरक्षण देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई की गई. झारखंड हाई कोर्ट में शुक्रवार को मामले पर सुनवाई के दौरान सभी पक्षों की दलील पूरी नहीं हो सकी. जिसके बाद मामले की सुनवाई 17 अक्टूबर को निर्धारित की गई है.

राज्य सरकार के महाधिवक्ता अजीत कुमार
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Published : Sep 28, 2019, 9:27 AM IST

रांची: झारखंड में आरक्षण देने की मांग वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई की गई. सभी पक्षों की सुनवाई पूरी नहीं होने के कारण अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी. इससे पूर्व प्रार्थीओं की ओर से अधिवक्ता ने लार्जर बेंच को बताया कि एकीकृत बिहार के समय से और बंटवारे के बाद भी झारखंड और बिहार में उनकी जाति एसी, एसटी के रूप में शामिल है. उन्हें भी झारखंड में एसटी, एससी के आधार पर नामांकन और नियुक्ति पर आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए.

जानकारी देतें अजित कुमार

सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न आदेशों का उदाहरण देते हुए कहा गया कि एकीकृत बिहार के समय से स्थाई निवासी है और अभी झारखंड राज्य में रहते हैं, उन्हें एससी, एसटी कैटेगरी में आरक्षण के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है. वहीं, राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता अजीत कुमार और अपर महाधिवक्ता मनोज टंडन ने पैरवी करते हुए प्रार्थी की दलीलों का विरोध किया. उन्होंने कहा कि आरक्षण का लाभ लेने के लिए झारखंड का स्थानीय निवासी होना जरूरी है. जो व्यक्ति बिहार के किसी क्षेत्र के निवासी हैं, वह बिहार में एससी, एसटी आरक्षण का लाभ ले सकते हैं.

ये भी देखें -जय श्री राम का नारा लगाने पर 17 छात्रों को किया स्कूल से निष्कासित, कई संगठनों ने किया विरोध प्रदर्शन

प्रार्थी छोटे लाल यादव और अन्य की ओर से झारखंड हाई कोर्ट में अपील याचिका दायर की गई है. पूर्व में एकल पीठ ने प्रार्थीओं की याचिकाओं को खारिज कर दिया था. प्रार्थीओं ने अपील याचिका दायर कर एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी है. खंडपीठ ने अदालतों के अलग-अलग फैसले को देखते हुए मामले को लार्जर बेंच में ट्रांसफर किया है.

रांची: झारखंड में आरक्षण देने की मांग वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई की गई. सभी पक्षों की सुनवाई पूरी नहीं होने के कारण अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी. इससे पूर्व प्रार्थीओं की ओर से अधिवक्ता ने लार्जर बेंच को बताया कि एकीकृत बिहार के समय से और बंटवारे के बाद भी झारखंड और बिहार में उनकी जाति एसी, एसटी के रूप में शामिल है. उन्हें भी झारखंड में एसटी, एससी के आधार पर नामांकन और नियुक्ति पर आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए.

जानकारी देतें अजित कुमार

सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न आदेशों का उदाहरण देते हुए कहा गया कि एकीकृत बिहार के समय से स्थाई निवासी है और अभी झारखंड राज्य में रहते हैं, उन्हें एससी, एसटी कैटेगरी में आरक्षण के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है. वहीं, राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता अजीत कुमार और अपर महाधिवक्ता मनोज टंडन ने पैरवी करते हुए प्रार्थी की दलीलों का विरोध किया. उन्होंने कहा कि आरक्षण का लाभ लेने के लिए झारखंड का स्थानीय निवासी होना जरूरी है. जो व्यक्ति बिहार के किसी क्षेत्र के निवासी हैं, वह बिहार में एससी, एसटी आरक्षण का लाभ ले सकते हैं.

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प्रार्थी छोटे लाल यादव और अन्य की ओर से झारखंड हाई कोर्ट में अपील याचिका दायर की गई है. पूर्व में एकल पीठ ने प्रार्थीओं की याचिकाओं को खारिज कर दिया था. प्रार्थीओं ने अपील याचिका दायर कर एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी है. खंडपीठ ने अदालतों के अलग-अलग फैसले को देखते हुए मामले को लार्जर बेंच में ट्रांसफर किया है.

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बाइट--अजित कुमार महाधिवक्ता झारखंड हाई कोर्ट

सरकार के नियोजन नीति झारखंड में आरक्षण देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई जारी रही झारखंड हाईकोर्ट में शुक्रवार को मामले पर सुनवाई सुनवाई के दौरान सभी पक्षों की दलील पूरे नहीं हो सकी. और मामले पर सुनवाई जारी रहे मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर की तिथि निर्धारित की गई है इस मामले की सुनवाई लार्जर बेंच में हुई मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य कार्यकारी न्यायाधीश एचसी मिश्रा न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह और न्यायाधीश बीबी मंगलमूर्ति की पूर्ण बेंच में हुई


इससे पूर्व प्रार्थीओं की ओर से अधिवक्ता के द्वारा लार्जर बेंच को बताया गया कि एकीकृत बिहार के समय से बंटवारे के बाद झारखंड और बिहार में उनकी जाति एसी एसटी के रूप में शामिल है उन्हें भी झारखंड में एसटी एससी के आधार पर नामांकन व नियुक्ति पर आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए


Body:सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न आदेशों का उदाहरण देते हुए कहा गया कि एकीकृत बिहार के समय से स्थाई निवासी है तथा झारखंड राज्य में रहते हैं ऐसे में उन्हें एससी/ एसटी कैटेगरी में आरक्षण के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता.वहीं राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता अजीत कुमार और अपर महाधिवक्ता मनोज टंडन ने पैरवी करते हुए प्रार्थी की दलीलों का विरोध किया उन्होंने कहा कि आरक्षण का लाभ लेने के लिए झारखंड का स्थानीय निवासी होना जरूरी है जो व्यक्ति बिहार के किसी क्षेत्र के निवासी हैं वह बिहार में एससी एसटी आरक्षण का लाभ ले सकते हैं

प्रार्थी छोटे लाल यादव एवं अन्य के और से झारखंड हाईकोर्ट में अपील याचिका दायर की गई है पूर्व में एकल पीठ ने प्रार्थीओ की याचिकाओं को खारिज कर दिया था प्रार्थीओं ने अपील याचिका दायर कर एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी है खंडपीठ ने अदालतों के अलग-अलग फैसले को देखते हुए मामले को लार्जर बेंच में ट्रांसफर किया हैConclusion:
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