रांची: झारखंड में आरक्षण देने की मांग वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई की गई. सभी पक्षों की सुनवाई पूरी नहीं होने के कारण अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी. इससे पूर्व प्रार्थीओं की ओर से अधिवक्ता ने लार्जर बेंच को बताया कि एकीकृत बिहार के समय से और बंटवारे के बाद भी झारखंड और बिहार में उनकी जाति एसी, एसटी के रूप में शामिल है. उन्हें भी झारखंड में एसटी, एससी के आधार पर नामांकन और नियुक्ति पर आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न आदेशों का उदाहरण देते हुए कहा गया कि एकीकृत बिहार के समय से स्थाई निवासी है और अभी झारखंड राज्य में रहते हैं, उन्हें एससी, एसटी कैटेगरी में आरक्षण के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है. वहीं, राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता अजीत कुमार और अपर महाधिवक्ता मनोज टंडन ने पैरवी करते हुए प्रार्थी की दलीलों का विरोध किया. उन्होंने कहा कि आरक्षण का लाभ लेने के लिए झारखंड का स्थानीय निवासी होना जरूरी है. जो व्यक्ति बिहार के किसी क्षेत्र के निवासी हैं, वह बिहार में एससी, एसटी आरक्षण का लाभ ले सकते हैं.
ये भी देखें -जय श्री राम का नारा लगाने पर 17 छात्रों को किया स्कूल से निष्कासित, कई संगठनों ने किया विरोध प्रदर्शन
प्रार्थी छोटे लाल यादव और अन्य की ओर से झारखंड हाई कोर्ट में अपील याचिका दायर की गई है. पूर्व में एकल पीठ ने प्रार्थीओं की याचिकाओं को खारिज कर दिया था. प्रार्थीओं ने अपील याचिका दायर कर एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी है. खंडपीठ ने अदालतों के अलग-अलग फैसले को देखते हुए मामले को लार्जर बेंच में ट्रांसफर किया है.