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जेएसएससी नियमावली मामले पर सुनवाई, पूर्व महाधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का दिया हवाला

जेएसएससी नियमावली मामले पर मंगलवार को Jharkhand High Court में सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता की ओर से पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार ने पक्ष रखा.

Hearing on JSSC Manual case in Jharkhand High Court
Hearing on JSSC Manual case in Jharkhand High Court
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Published : Aug 23, 2022, 7:39 PM IST

रांची: झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के द्वारा होने वाली नियुक्ति के लिए संशोधित नियामवली के खिलाफ दायर याचिका पर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की डबल बेंच में मंगलवार को विस्तृत सुनवाई (Hearing on JSSC Manual case in Jharkhand High Court) शुरू हुई. प्रार्थी की ओर से पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार ने पक्ष रखा. बेंच के समक्ष उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों का हवाला दिया. डबल बेंच में सुनवाई की प्रक्रिया जारी है. अदालत में मामले की अगली सुनवाई 31 अगस्त के लिए निर्धारित की है. तब तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी गई है.

ये भी पढ़ें- जेएसएससी नियमावली मामले में सरकार के जवाब से झारखंड हाई कोर्ट असंतुष्ट, कई बिंदुओं पर जताई आपत्ति

प्रार्थी रमेश हांसदा की ओर से दायर याचिका में संशोधित नियमावली को चुनौती दी गयी है. याचिका में कहा गया है कि नयी नियमावली में राज्य के संस्थानों से ही दसवीं और प्लस टू की परीक्षा पास करने को अनिवार्य किया गया है. जो संविधान की मूल भावना और समानता के अधिकार का उल्लंघन है. वैसे उम्मीदवार जो राज्य के निवासी होते हुए भी राज्य के बाहर से पढ़ाई किए हों, उन्हें नियुक्ति परीक्षा से नहीं रोका जा सकता है.

नयी नियमावली में संशोधन कर क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं की श्रेणी से हिंदी और अंग्रेजी को बाहर कर दिया गया है. जबकि उर्दू, बांग्ला और उड़िया को रखा गया है. उर्दू को जनजातीय भाषा की श्रेणी में रखा जाना राजनीतिक फायदे के लिए है. राज्य के सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई का माध्यम भी हिंदी है. उर्दू की पढ़ाई एक खास वर्ग के लोग करते हैं. ऐसे में किसी खास वर्ग को सरकारी नौकरी में अधिक अवसर देना और हिंदी भाषी बाहुल अभ्यर्थियों के अवसर में कटौती करना संविधान की भावना के अनुरूप नहीं है. इसलिए नई नियमावली में निहित दोनों प्रावधानों को निरस्त किये जाने की मांग है.

रांची: झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के द्वारा होने वाली नियुक्ति के लिए संशोधित नियामवली के खिलाफ दायर याचिका पर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की डबल बेंच में मंगलवार को विस्तृत सुनवाई (Hearing on JSSC Manual case in Jharkhand High Court) शुरू हुई. प्रार्थी की ओर से पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार ने पक्ष रखा. बेंच के समक्ष उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों का हवाला दिया. डबल बेंच में सुनवाई की प्रक्रिया जारी है. अदालत में मामले की अगली सुनवाई 31 अगस्त के लिए निर्धारित की है. तब तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी गई है.

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प्रार्थी रमेश हांसदा की ओर से दायर याचिका में संशोधित नियमावली को चुनौती दी गयी है. याचिका में कहा गया है कि नयी नियमावली में राज्य के संस्थानों से ही दसवीं और प्लस टू की परीक्षा पास करने को अनिवार्य किया गया है. जो संविधान की मूल भावना और समानता के अधिकार का उल्लंघन है. वैसे उम्मीदवार जो राज्य के निवासी होते हुए भी राज्य के बाहर से पढ़ाई किए हों, उन्हें नियुक्ति परीक्षा से नहीं रोका जा सकता है.

नयी नियमावली में संशोधन कर क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं की श्रेणी से हिंदी और अंग्रेजी को बाहर कर दिया गया है. जबकि उर्दू, बांग्ला और उड़िया को रखा गया है. उर्दू को जनजातीय भाषा की श्रेणी में रखा जाना राजनीतिक फायदे के लिए है. राज्य के सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई का माध्यम भी हिंदी है. उर्दू की पढ़ाई एक खास वर्ग के लोग करते हैं. ऐसे में किसी खास वर्ग को सरकारी नौकरी में अधिक अवसर देना और हिंदी भाषी बाहुल अभ्यर्थियों के अवसर में कटौती करना संविधान की भावना के अनुरूप नहीं है. इसलिए नई नियमावली में निहित दोनों प्रावधानों को निरस्त किये जाने की मांग है.

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