रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश गौतम चौधरी की अदालत में राजधानी रांची के कांके ब्लॉक के राहे गांव के एक किसान की जमीन अधिग्रहण कर मुआवजा नहीं दिए जाने के मामले में दायर अवमाननावाद याचिका पर सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार के भूमि संरक्षण निदेशालय के निदेशक फनेन्द्र नाथ त्रिपाठी, रांची डीसी राहुल सिन्हा और लैंड एक्विजिशन ऑफिसर अंजना दास हाजिर हुए. अदालत ने कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए पूछा कि क्यों न उनके ऊपर अदालत के आदेश का अनुपालन न करने के कारण अवमानना की कार्रवाई की जाए.
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एक माह बाद होगी मामले की सुनवाईः राज्य सरकार के अधिवक्ता ने अदालत से आदेश अनुपालन के लिए समय की मांग की गई. अदालत ने उन्हें एक माह का समय दिया है. उनकी ओर से अदालत को बताया गया कि हाईकोर्ट की डबल बेंच के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट में याचिका लंबित है. इसलिए उन्हें समय दिया जाए. अदालत ने उन्हें एक माह का समय देते हुए मामले की सुनवाई को स्थगित कर दिया. मामले की अगली सुनवाई एक माह बाद होगी.
बगैर जमीन मालिक की अनुमति की जमीन पर तालाब खुदवाने का मामलाः बता दें कि रांची कांके के राहे गांव के एक व्यक्ति की लगभग दो एकड़ जमीन पर सरकार के द्वारा तालाब खुदवा दिया गया. जमीन के मालिक को इसकी सूचना नहीं दी गई. न ही उन्हें नोटिस किया गया. बगैर किसी नोटिस और सूचना के उनके जमीन पर तालाब बना दिया गया. उन्होंने अधिकारी के द्वारा किए गए इस कार्य का विरोध करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया. अदालत ने मामले पर सुनवाई के उपरांत यह माना कि अब उस जगह पर तालाब खुद वाया गया है. जिसमें सरकार का पैसा खर्च हुआ है. वहां अब उन्हें पुनर्वासित नहीं किया जा सकता है. इसलिए अदालत ने जमीन मालिक को मुआवजा देने का आदेश दिया है.
डबल बेंच के आदेश को सरकार ने दी है सुप्रीम कोर्ट में चुनौतीः सरकार ने एकल पीठ के आदेश को हाईकोर्ट के डबल बेंच में चुनौती दी. डबल बेंच ने भी मामले की सुनवाई के उपरांत एकल पीठ के आदेश को सही मानते हुए मुआवजा देने का आदेश दिया. अदालत के डबल बेंच ने इसके साथ ही सरकार को 25 हजार का जुर्माना भी लगाया, लेकिन सरकार ने डबल बेंच के आदेश का अनुपालन नहीं किया. उसके बाद प्रार्थी ने हाईकोर्ट में अवमानना वाद याचिका दायर की. उस याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि डबल बेंच के आदेश को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.