रांची: झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद के अदालत में रास्ता के विवाद को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने नगर निगम और आरआरडीए के जवाब पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की.
मुख्य न्यायाधीश ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि शहर में जिस तरह से नगर निगम के अधिकारियों ने नक्शा पास किया है. उसे शहर का भट्ठा ही बैठा दिया है. उन्होंने सुनवाई के दौरान अधिवक्ता के बचाव किए जाने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि बेईमान अधिकारी को बचाई नहीं.
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अदालत ने व्यक्त की नाराजगी
सुनवाई के दौरान अदालत के पूछे गए प्रश्नों का आरआरडीए और नगर निगम के सकारात्मक जवाब नहीं दिए जाने पर अदालत ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की है. उन्होंने नगर निगम और आरआरडीए के अधिकारी को स्थल निरीक्षण कर सही-सही जवाब पेश करने का आदेश दिया है. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई होली के अवकाश के बाद होगी.
याचिकाकर्ता सत्यदेव सिंह ने रास्ता को लेकर जनहित याचिका दायर की है. उसी जनहित याचिका पर शुक्रवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता ने याचिका के माध्यम से रास्ता की मांग की है. उनका कहना है कि वह जिन रास्ते से चल रहे हैं, उसे बंद किया जा रहा है. एजी कार्यालय का कहना है कि वह जमीन एजी कार्यालय का है. इसलिए उस पर सार्वजनिक रास्ता नहीं दी जा सकती है.
निरीक्षण के बाद जवाब पेश करें अधिकारी
याचिकाकर्ता का कहना है कि वह लोग जिस जमीन पर घर बनाए हुए हैं. उसका एक रास्ता वही है. दूसरा कोई नहीं है. ऐसे में अगर यह रास्ता बंद कर दिया जाएगा तो वह कहां से जाएंगे. जिस पर अदालत ने रांची नगर निगम से पूछा था कि यह लोग जो मकान बनाए हैं. वह नक्शा पास करवाए हैं, या नहीं. जिस पर बताया गया कि सभी का नक्शा पास किया गया है. अदालत ने अधिकारी को स्थल निरीक्षण कर जवाब पेश करने को कहा है.