रांचीः झारखंड के गढ़वा जिले में वर्ष 2019 में करोड़ों रुपए की लागत से बने पार्क को तोड़कर मंत्री द्वारा घंटाघर बनाए जाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत राज्य सरकार के जवाब पर असंतुष्टि जाहिर करते हुए नाराजगी भी व्यक्त की और मामले में विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा.
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गढ़वा डीसी को जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा है. झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में गढ़वा जिले में वर्ष 2019 में करोड़ों की लागत से बने पार्क को तोड़कर मंत्री मिथिलेश ठाकुर के पिता के नाम से घंटाघर बनवाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई.
न्यायाधीश अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले में सुनवाई की. वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के अधिवक्ता ने अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. अदालत ने सरकार के अधिवक्ता से पूछा कि मामले में क्या स्थिति है.
सरकार की ओर से बताया गया कि डीसी ने मामले में जांच टीम गठित कर दी है. मामले की जांच करवाई जा रही है. जिस पर अदालत ने डीसी को जांच रिपोर्ट अदालत में पेश करने को कहा है. वहीं याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को जानकारी दी गई कि स्थानीय विधायक जो वर्तमान सरकार में मंत्री हैं.
कोर्ट ने मांगी अद्यतन स्थिति
वे 2 वर्ष पूर्व 2019 में करोड़ों की लागत से बने पार्क को तोड़कर अपने पिता के नाम पर घंटाघर का निर्माण करवा रहे हैं, यह गलत है और सरकार द्वारा जो कमाया जा रहा है कि काम रोक दिया गया है या गलत है. काम चल रहा है. अभी भी जिस पर अदालत ने राज्य सरकार को अद्यतन स्थिति के साथ जवाब पेश करने को कहा है.
बता दें कि याचिकाकर्ता अजय कुमार उपाध्याय ने गढ़वा में 2 वर्ष पूर्व करोड़ों रुपए की लागत से बने पार्क जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की कई प्रतिमाएं भी लगाई गईं थीं उस पार्क को तोड़कर स्थानीय विधायक द्वारा घंटाघर निर्माण कराए जाने के विरोध में जनहित याचिका दायर की गई है. उसी याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने मामले में गढ़वा डीसी से जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा है.