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मोरहाबादी से दुकान हटाने के मामले पर हाई कोर्ट गंभीर, राज्य सरकार और नगर निगम से मांगा जवाब - रांची खबर

मोरहाबादी से फुटपाथ दुकानदार को हटाए जाने के मामले में झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने इस मामले में 3 मार्च से पहले राज्य सरकार और रांची नगर निगम को अपना जवाब पेश करने का आदेश दिया है.

Jharkhand High Court
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Published : Feb 22, 2022, 9:42 PM IST

रांची: मोरहाबादी से फुटपाथ दुकानदार को हटाए जाने के विरोध में दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य सरकार और रांची नगर निगम को जवाब पेश करने का आदेश दिया है. उन्हें 3 मार्च से पूर्व अपना जवाब अदालत में शपथ पत्र के माध्यम से पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 3 मार्च को निर्धारित की गई है.

ये भी पढ़ें- मोरहाबादी गैंगवार के बाद बेरोजगार हुए सैंकड़ों दुकानदार, सुरक्षा के नाम पर छीन ली गई रोजी रोटी

झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजेश शंकर की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को जानकारी दी गई कि सालों से मोरहाबादी में फुटपाथ दुकानदार ठेला-खोमचा लगाकर अपने परिवार का पालन पोषण करते थे, एकाएक बिना किसी सूचना के, बिना किसी कारण बताए हुए नगर निगम ने उन्हें वहां से हटा दिया, जो गलत है. उन्होंने अदालत से गुहार लगाई कि जब तक उन लोगों के लिए अस्थाई दुकानों की व्यवस्था नहीं होती तब तक उन्हें वहां दुकान लगाने की अनुमति दी जाए.

वहीं, राज्य सरकार और नगर निगम की ओर से अदालत को जानकारी दी गई कि वहां से हटाए गए दुकानदारों के लिए स्थाई दुकान की व्यवस्था की जा रही है. शीघ्र ही उन लोगों को स्थाई दुकान दे दी जाएगी. वहां लॉ एंड ऑर्डर का प्रॉब्लम हो गया था. इस कारण से उन्हें वहां से हटाना जरूरी हो गया, इसलिए खाली कराया गया है. अदालत नें मौखिक रूप से कहा कि लॉए एंड ऑर्डर आपके हाथ में है, तो किसी को भी कहीं से उसके नाम पर हटा दिया जाएगा. दुकानदारों को वहां से हटाना इस समस्या का समाधान है? अदालत ने राज्य सरकार और रांची नगर निगम को जवाब पेश करने को कहा है.

27 जनवरी को मोरहाबादी में गोलीबारी हुई थी जिसमें एक अपराधी की मौत हो गई थी. उसके बाद 28 जनवरी को शाम 6:00 बजे जिला प्रशासन ने मोरहाबादी में निषेधाज्ञा लागू कर दी. साथ ही पूरे इलाका में 144 लगा दिया गया. वहां के गुमटी ठेला-खोमचा लगाने वालों को वहां से अपनी दुकान को हटाने का आदेश जारी कर दिया गया. उसके बाद उन दुकानदारों के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई. उन्होंने सरकार और नगर निगम से दुकान लगाने की गुहार लगाई. जब समस्या का समाधान नहीं हुआ तो हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. उसी याचिका पर सुनवाई हुई.

रांची: मोरहाबादी से फुटपाथ दुकानदार को हटाए जाने के विरोध में दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य सरकार और रांची नगर निगम को जवाब पेश करने का आदेश दिया है. उन्हें 3 मार्च से पूर्व अपना जवाब अदालत में शपथ पत्र के माध्यम से पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 3 मार्च को निर्धारित की गई है.

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झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजेश शंकर की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को जानकारी दी गई कि सालों से मोरहाबादी में फुटपाथ दुकानदार ठेला-खोमचा लगाकर अपने परिवार का पालन पोषण करते थे, एकाएक बिना किसी सूचना के, बिना किसी कारण बताए हुए नगर निगम ने उन्हें वहां से हटा दिया, जो गलत है. उन्होंने अदालत से गुहार लगाई कि जब तक उन लोगों के लिए अस्थाई दुकानों की व्यवस्था नहीं होती तब तक उन्हें वहां दुकान लगाने की अनुमति दी जाए.

वहीं, राज्य सरकार और नगर निगम की ओर से अदालत को जानकारी दी गई कि वहां से हटाए गए दुकानदारों के लिए स्थाई दुकान की व्यवस्था की जा रही है. शीघ्र ही उन लोगों को स्थाई दुकान दे दी जाएगी. वहां लॉ एंड ऑर्डर का प्रॉब्लम हो गया था. इस कारण से उन्हें वहां से हटाना जरूरी हो गया, इसलिए खाली कराया गया है. अदालत नें मौखिक रूप से कहा कि लॉए एंड ऑर्डर आपके हाथ में है, तो किसी को भी कहीं से उसके नाम पर हटा दिया जाएगा. दुकानदारों को वहां से हटाना इस समस्या का समाधान है? अदालत ने राज्य सरकार और रांची नगर निगम को जवाब पेश करने को कहा है.

27 जनवरी को मोरहाबादी में गोलीबारी हुई थी जिसमें एक अपराधी की मौत हो गई थी. उसके बाद 28 जनवरी को शाम 6:00 बजे जिला प्रशासन ने मोरहाबादी में निषेधाज्ञा लागू कर दी. साथ ही पूरे इलाका में 144 लगा दिया गया. वहां के गुमटी ठेला-खोमचा लगाने वालों को वहां से अपनी दुकान को हटाने का आदेश जारी कर दिया गया. उसके बाद उन दुकानदारों के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई. उन्होंने सरकार और नगर निगम से दुकान लगाने की गुहार लगाई. जब समस्या का समाधान नहीं हुआ तो हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. उसी याचिका पर सुनवाई हुई.

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