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वित्तीय गड़बड़ी के आरोपी पूर्व कुलपति के मामले पर झारखंड हाई कोर्ट में हुई सुनवाई, प्रार्थी ने याचिका ली वापस

झारखंड हाई कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बिनोवा भावे विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डाॅ. अरविंद कुमार की क्वैशिंग याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने दोनों पक्षों को सुना. इसके साथ ही प्रार्थी के आग्रह को स्वीकार करते हुए याचिका वापस लेने की अनुमति प्रदान किया.

Jharkhand High Court
झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Jun 9, 2020, 12:30 AM IST

रांची: झारखंड हाई कोर्ट में न्यायाधीश अनिल कुमार चाैधरी की अदालत ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बिनोवा भावे विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डाॅ. अरविंद कुमार की क्वैशिंग याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने दोनों पक्षों को सुना. इसके साथ ही प्रार्थी के आग्रह को स्वीकार करते हुए याचिका वापस लेने की अनुमति दी. प्रार्थी को यह छूट दी कि वह निचली अदालत में उचित समय पर अपनी बात कहे. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने पक्ष रखा. उन्होंने प्रार्थी को निर्दोष बताया.

ये भी पढ़ें: रांचीः कांग्रेस विधायक दल की बैठक, राज्यसभा चुनाव में जीत की रणनीति है मुख्य एजेंडा

वहीं, एसीबी की ओर से अधिवक्ता टीएन वर्मा ने विरोध करते हुए अदालत को बताया कि पूर्व में पीइ दर्ज कर मामले की जांच की गयी थी. 15 मामलों में एसीबी ने नियमों की अनदेखी कर वित्तीय गड़बड़ी पकड़ी थी. इसमें करोड़ों रुपए का मामला शामिल था. उन सभी मामलों में विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डॉ. अरविंद कुमार, कुलसचिव डॉ. ईनाम नवी सिद्दीकी और वित्त पदाधिकारी नवीन कुमार सिन्हा को आरोपी बनाते हुए प्राथमिकी दर्ज की गई है. कुलपति डॉ. अरविंद कुमार ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए बगैर बजट प्रावधान के करोड़ों रुपए की खरीदारी की. इसके लिए निविदा भी नहीं मांगी गई. नियमों की अनदेखी कर खरीदारी की गई.

रांची: झारखंड हाई कोर्ट में न्यायाधीश अनिल कुमार चाैधरी की अदालत ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बिनोवा भावे विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डाॅ. अरविंद कुमार की क्वैशिंग याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने दोनों पक्षों को सुना. इसके साथ ही प्रार्थी के आग्रह को स्वीकार करते हुए याचिका वापस लेने की अनुमति दी. प्रार्थी को यह छूट दी कि वह निचली अदालत में उचित समय पर अपनी बात कहे. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने पक्ष रखा. उन्होंने प्रार्थी को निर्दोष बताया.

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वहीं, एसीबी की ओर से अधिवक्ता टीएन वर्मा ने विरोध करते हुए अदालत को बताया कि पूर्व में पीइ दर्ज कर मामले की जांच की गयी थी. 15 मामलों में एसीबी ने नियमों की अनदेखी कर वित्तीय गड़बड़ी पकड़ी थी. इसमें करोड़ों रुपए का मामला शामिल था. उन सभी मामलों में विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डॉ. अरविंद कुमार, कुलसचिव डॉ. ईनाम नवी सिद्दीकी और वित्त पदाधिकारी नवीन कुमार सिन्हा को आरोपी बनाते हुए प्राथमिकी दर्ज की गई है. कुलपति डॉ. अरविंद कुमार ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए बगैर बजट प्रावधान के करोड़ों रुपए की खरीदारी की. इसके लिए निविदा भी नहीं मांगी गई. नियमों की अनदेखी कर खरीदारी की गई.

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