रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खनन पट्टा और परिवार से जुड़े शेल कंपनी मामले में दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होनी है. ऐसे में फिलहाल सभी की नजर हाई कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिकी हुई है. इस बीच राज्य में तेजी से बदल रहे सियासी परिस्थिति बदल रही है. आम लोगों में भी बदलती परिस्थिति की चर्चा जोरों पर है.
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पूर्व में मामले की सुनवाई के दौरान झारखंड हाई कोर्ट में ईडी की ओर से अदालत को जानकारी दी गई कि झारखंड में एजेंसी के द्वारा कार्रवाई की गई है. इससे जुड़ी रिपोर्ट हुए अदालत में पेश करना चाहते हैं. उनके आग्रह पर अदालत ने उन्हें सीलबंद रिपोर्ट पेश करने को कहा था. यह रिपोर्ट उन्हें रजिस्ट्रार जनरल के पास पेश करने को कहा था. अदालत में 17 मई को विशेष रूप से इस मामले की सुनवाई तय की गई थी. पूर्व में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खनन पट्टा मामले में झारखंड हाई कोर्ट से जारी नोटिस के आलोक में अपना जवाब पेश कर दिया था.
मुख्यमंत्री की ओर से उनके निजी अधिवक्ता अमृतांश वक्त ने हाई कोर्ट में जवाब पेश किया. मुख्यमंत्री के खिलाफ जो जनहित याचिका दायर की गई है वह जनहित का नहीं है. हाई कोर्ट पीआईएल रूल के अनुकूल यह याचिका दायर नहीं की गई है. नियम के अनुसार याचिकाकर्ता को अपनी क्रेडेंशियल डिस्क्लोज करना चाहिए था. जो कि नहीं किया गया है. याचिकाकर्ता पर यह आरोप लगाया गया है कि जानबूझकर बार-बार उनके परिवार की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए ऐसा काम किया जाता है. सरकार को अस्थिर करने का भी आरोप लगाया गया है.
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उन्होंने अपने जवाब में अदालत को यह जानकारी दी है कि भारतीय जनता पार्टी ने जो आरोप इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया के पास लगाया है. वही सभी आरोप इस जनहित याचिका में भी लगाया गया है. इससे स्पष्ट है कि यह स्वतंत्र होकर याचिका नहीं दायर किया गया है. जिससे स्पष्ट होता है कि सरकार को अस्थिर करने के लिए यह साजिश रची जा रही है. उन्हें भारत निर्वाचन आयोग से नोटिस जारी किया गया है. अब वे वहां पर रखेंगे. एक ही आरोप में दो जगह मामला चल रहा है. यह भी उचित नहीं है. उन्होंने जवाब के माध्यम से अदालत को यह भी जानकारी दी गई है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन पर जो हत्या का आरोप लगा था. जिसमें उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया है. उस मामले में याचिकाकर्ता के पिता मुख्य गवाह थे. इससे स्पष्ट होता है कि यह बार-बार उनके परिवार के प्रतिष्ठा धूमिल करना चाहते हैं. इसलिए इस जनहित याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए.
झारखंड हाइ कोर्ट में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के फिलाफ 11 फरवरी को जनहित याचिका दायर की गयी थी. प्रार्थी शिव शंकर शर्मा की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पीआईएल दाखिल किया था. प्रार्थी की ओर से इस जनहित याचिका में कहा गया था कि हेमंत सोरेन खनन मंत्री, मुख्यमंत्री और वन पर्यावरण विभाग के विभागीय मंत्री भी हैं. उन्होंने स्वंय पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए आवेदन दिया था और खनन पट्टा हासित किया है. ऐसा करना पद का दुरुपयोग है और जन प्रतिनिधि अधिनियम का उल्लंघन है. इसलिए इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराई जाए. साथ ही प्रार्थी ने हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग भी कोर्ट से की थी.