रांची: दलबदल मामले में बाबूलाल मरांडी की ओर से दायर याचिका पर बुधवार को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान विधानसभा अध्यक्ष की ओर से वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा. उन्होंने अदालत को बताया कि विधानसभा अध्यक्ष की ओर से जो स्वत: संज्ञान लेकर नोटिस जारी किया गया है, उस पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं होगी. अदालत ने कहा कि आप इस बात को लेकर लिखित शपथ पत्र दें. मामले की अगली सुनवाई 14 जनवरी को होगी.
इससे पहले बुधवार को बाबूलाल मरांडी दलबदल मामले में झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो को बड़ा झटका लगा. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया. मुख्य न्यायाधीश की अदालत में विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा. सिब्बल ने इस मामले में नोटिस जारी करने की मांग की, जिस पर अदालत ने उन्हें हाई कोर्ट जाने की बात कही. मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि ये मामला झारखंड हाई कोर्ट में सूचीबद्ध है लिहाजा सुप्रीम कोर्ट में इसकी सुनवाई की जरूरत नहीं है. उन्होंने ये भी कहा कि याचिकाकर्ता हाईकोर्ट के समक्ष दलील देने के लिए स्वतंत्र हैं और वे हाईकोर्ट से इस मामले को तेजी से निपटाने का अनुरोध कर सकते हैं.
क्या है पूरा मामला
झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने बीजेपी में जेवीएम के विलय पर स्वतः संज्ञान लेते हुए बाबूलाल मरांडी को नोटिस जारी किया था. इस नोटिस को बीजेपी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने इस मामले में कहा कि बिना किसी शिकायत पर स्वतः संज्ञान लेकर नोटिस जारी करने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष को नहीं है. हाईकोर्ट के स्टे के कुछ घंटे बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक भूषण तिर्की की शिकायत पर विधानसभा अध्यक्ष ने बाबूलाल मरांडी को दोबारा नोटिस जारी किया.