रांची: हाई कोर्ट भवन निर्माण में गड़बड़ी को लेकर दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद और रत्नाकर भेंगरा की अदालत में हुई, जिसमें 30 दिनों के अंदर डीपीआर बनाने का आदेश दिया गया है.
पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से पूछा गया था कि नए भवन का निर्माण कार्य कितना पूरा हुआ है और बचे काम का विस्तृत ब्यौरा मांगा गया. सरकार की ओर से दाखिल किए गए जवाब पर हाई कोर्ट ने एक महीने में डीपीआर बनाने का निर्देश दिया है. बता दें कि झारखंड हाई कोर्ट में अधिवक्ता राजीव कुमार ने जनहित याचिका दाखिल की है और याचिका के माध्यम से कहा है कि अधिकारी और भवन निर्माण कराने वाले संवेदक की मिलीभगत से वित्तीय अनियमितता हुई है.
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शुरुआत में हाई कोर्ट भवन निर्माण के लिए 365 करोड़ रुपए की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई थी, लेकिन बाद में 100 करोड़ घटाकर संवेदक को 265 करोड़ में टेंडर दिया गया था. वर्तमान में इसकी लागत बढ़ाकर लगभग 697 करोड़ रुपए कर दिया गया है. इस राशि के लिए सरकार से अनुमति भी नहीं ली गई है और ना ही नया टेंडर किया गया है.
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वादी ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है, साथ ही तत्कालीन मुख्य सचिव और संवेदक की भूमिका की भी जांच की मांग की है. झारखंड हाई कोर्ट के नए भवन का निर्माण कार्य नगड़ी अंचल के तिरिल मौजा में 165 एकड़ जमीन में किया जा रहा है.