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हाई कोर्ट भवन निर्माण मामले में हुई सुनवाई, 30 दिनों के अंदर डीपीआर बनाने का दिया आदेश

हाई कोर्ट भवन निर्माण में गड़बड़ी को लेकर दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें सरकार की ओर से दाखिल किए गए जवाब पर हाई कोर्ट ने एक महीने में डीपीआर बनाने का निर्देश दिया है.

हाई कोर्ट भवन निर्माण मामले में झारखंड हाई कोर्ट में हुई सुनवाई
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Published : Oct 18, 2019, 9:00 PM IST

Updated : Oct 19, 2019, 3:40 PM IST

रांची: हाई कोर्ट भवन निर्माण में गड़बड़ी को लेकर दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद और रत्नाकर भेंगरा की अदालत में हुई, जिसमें 30 दिनों के अंदर डीपीआर बनाने का आदेश दिया गया है.

अधिवक्ता राजीव कुमार का बयान

पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से पूछा गया था कि नए भवन का निर्माण कार्य कितना पूरा हुआ है और बचे काम का विस्तृत ब्यौरा मांगा गया. सरकार की ओर से दाखिल किए गए जवाब पर हाई कोर्ट ने एक महीने में डीपीआर बनाने का निर्देश दिया है. बता दें कि झारखंड हाई कोर्ट में अधिवक्ता राजीव कुमार ने जनहित याचिका दाखिल की है और याचिका के माध्यम से कहा है कि अधिकारी और भवन निर्माण कराने वाले संवेदक की मिलीभगत से वित्तीय अनियमितता हुई है.

ये भी पढ़ें-आरक्षण मामले पर झारखंड हाई कोर्ट में हुई सुनवाई, अदालत ने रखा फैसला सुरक्षित

शुरुआत में हाई कोर्ट भवन निर्माण के लिए 365 करोड़ रुपए की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई थी, लेकिन बाद में 100 करोड़ घटाकर संवेदक को 265 करोड़ में टेंडर दिया गया था. वर्तमान में इसकी लागत बढ़ाकर लगभग 697 करोड़ रुपए कर दिया गया है. इस राशि के लिए सरकार से अनुमति भी नहीं ली गई है और ना ही नया टेंडर किया गया है.

ये भी पढ़ें-PMC बैंक घोटाला : सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार, कहा- हाई कोर्ट में करें अपील

वादी ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है, साथ ही तत्कालीन मुख्य सचिव और संवेदक की भूमिका की भी जांच की मांग की है. झारखंड हाई कोर्ट के नए भवन का निर्माण कार्य नगड़ी अंचल के तिरिल मौजा में 165 एकड़ जमीन में किया जा रहा है.

रांची: हाई कोर्ट भवन निर्माण में गड़बड़ी को लेकर दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद और रत्नाकर भेंगरा की अदालत में हुई, जिसमें 30 दिनों के अंदर डीपीआर बनाने का आदेश दिया गया है.

अधिवक्ता राजीव कुमार का बयान

पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से पूछा गया था कि नए भवन का निर्माण कार्य कितना पूरा हुआ है और बचे काम का विस्तृत ब्यौरा मांगा गया. सरकार की ओर से दाखिल किए गए जवाब पर हाई कोर्ट ने एक महीने में डीपीआर बनाने का निर्देश दिया है. बता दें कि झारखंड हाई कोर्ट में अधिवक्ता राजीव कुमार ने जनहित याचिका दाखिल की है और याचिका के माध्यम से कहा है कि अधिकारी और भवन निर्माण कराने वाले संवेदक की मिलीभगत से वित्तीय अनियमितता हुई है.

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शुरुआत में हाई कोर्ट भवन निर्माण के लिए 365 करोड़ रुपए की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई थी, लेकिन बाद में 100 करोड़ घटाकर संवेदक को 265 करोड़ में टेंडर दिया गया था. वर्तमान में इसकी लागत बढ़ाकर लगभग 697 करोड़ रुपए कर दिया गया है. इस राशि के लिए सरकार से अनुमति भी नहीं ली गई है और ना ही नया टेंडर किया गया है.

ये भी पढ़ें-PMC बैंक घोटाला : सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार, कहा- हाई कोर्ट में करें अपील

वादी ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है, साथ ही तत्कालीन मुख्य सचिव और संवेदक की भूमिका की भी जांच की मांग की है. झारखंड हाई कोर्ट के नए भवन का निर्माण कार्य नगड़ी अंचल के तिरिल मौजा में 165 एकड़ जमीन में किया जा रहा है.

Intro:रांची
बाइट--राजीव कुमार अधिवक्ता झारखंड हाई कोर्ट

हाईकोर्ट ने भवन निर्माण में गड़बड़ी को लेकर दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद और रत्नाकर भेंगरा की अदालत में हुई। अदालत ने सुनवाई करते हुए। 30 दिनों के अंदर डीपीआर बनाने का आदेश दिया है पिछले सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से पूछा कि नए भवन का निर्माण कार्य कितना पूरा हुआ है और बचे काम का विस्तृत ब्यौरा मांगा था सरकार की ओर से दाखिल किया गया जवाब पर हाईकोर्ट ने एक माह में डीपीआर बनाने का निर्देश दिया है








Body:आपको बता दें कि झारखंड हाईकोर्ट में अधिवक्ता राजीव कुमार ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है और याचिका के माध्यम से कहा गया है कि अधिकारियों और निर्माण कराने वाले संवेदक रामकृपाल कंट्रक्शन लिमिटेड की मिलीभगत से वित्तीय अनियमितता हुई है शुरुआत में हाईकोर्ट भवन निर्माण के लिए 365 करो रुपए की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई थी बाद में 100 करोड़ घटाकर संवेदक को 365 करोड़ में टेंडर दे दिया गया वर्तमान में इसकी लागत बढ़ाकर लगभग 697 करो रुपए हो गया बड़ी राशि के लिए सरकार से अनुमति भी नहीं ली गई और ना ही नया टेंडर किया गया वादी ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है साथ ही तत्कालीन मुख्य सचिव व संवेदक की भूमिका की भी जांच की मांग की है झारखंड हाई कोर्ट के नए भवन का निर्माण नगड़ी अंचल के तिरिल मौजा(धुर्वा) मैं 165 एकड़ जमीन में हाईकोर्ट निर्माण का कार्य किया जा रहा


Conclusion:
Last Updated : Oct 19, 2019, 3:40 PM IST
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