रांची: हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति 2016 मामले (High School Teacher Appointment case) में प्रार्थी सोनी कुमारी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अवमानना वाद पर सुनवाई 18 नवंबर को होगी. सोनी कुमारी की ओर से अवमानना वाद दाखिल करने वाले अधिवक्ता ललित कुमार ने बताया कि कंटेम्प्ट के मेरिट पर 18 को सुनवाई होगी. उसके बाद आगे कोर्ट पर निर्भर करता है क्या इस मामले में डायरेक्शन देती है. उन्होंने कहा कि हमने आवेदन के माध्यम से न्यायालय को जानकारी देने का प्रयास किया है कि 2 अगस्त को दिये गए सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर का झारखंड कर्मचारी चयन आयोग और राज्य सरकार की ओर से किस तरह से अवहेलना किया जा रहा है.
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प्रार्थी सोनी कुमारी ने झारखंड के मुख्य सचिव, शिक्षा सचिव, कार्मिक सचिव और जेएसएससी सचिव के खिलाफ अवमानना वाद दाखिल किया है. प्रार्थी का मानना है कि जेएसएससी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार रिजल्ट प्रकाशित नहीं कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने इस परीक्षा के लिए प्रकाशित अंतिम कट ऑफ को आधार मानते हुए स्टेट लेवल रिजल्ट प्रकाशित कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था. मगर जेएसएससी ने इसे नजरअंदाज कर मनमाने ढंग से रिजल्ट जारी करना शुरू किया है.
फिर लटक सकता है नियुक्ति प्रक्रिया: सुप्रीम कोर्ट में अवमानना वाद पर सुनवाई के बाद एक बार फिर हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया के लटकने की संभावना बढ़ गई है. जेएसएससी द्वारा इन दिनों इतिहास और नागरिक सहित विभिन्न विषयों में सीमित संख्या में अभ्यर्थियों को सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन के लिए बुलाया है. जिसके बाद यह विवाद गहराया है. आपको बता दें कि 2016 की नियोजन नीति के तहत झारखंड के 13 अनुसूचित जिलों के सभी तृतीय व चतुर्थ वर्गीय पदों को उसी जिले के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किया गया था. वहीं गैर अनुसूचित जिले में बाहरी अभ्यर्थियों को भी आवेदन करने की छूट दी गई थी. इसी नीति के तहत वर्ष 2016 में अनुसूचित जिलों में 8,423 और गैर अनुसूचित जिलों में 9,149 पदों पर हाई स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई थी.
13 अनुसूचित जिले के सभी तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों को उसी जिले के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किए जाने के विरोध में झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. हाई कोर्ट की लार्जर बेंच ने 21 सितंबर 2020 को राज्य सरकार की नियोजन नीति और हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति विज्ञापन को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए नियोजन नीति को असंवैधानिक बताते हुए निरस्त कर दिया था. हाई कोर्ट ने 13 जिलों में नियुक्त शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द करते हुए गैर अनुसूचित जिलों की नियुक्ति को बरकरार रखा था. हाई कोर्ट के लार्जर बेंच के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थी सत्यजीत कुमार एवं अन्य की ओर से एसएलपी दायर की गई जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त को इस मामले में फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार और जेएसएससी को प्रकाशित अंतिम मेधा सूची को आधार मानकर राज्यस्तरीय मेरिट लिस्ट जारी कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने को कहा था.