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लॉ-यूनिवर्सिटी में फंड की मांग पर हाई कोर्ट में सुनवाई, अदालत ने सरकार से मांगा जबाब

झारखंड हाई कोर्ट में लॉ-यूनिवर्सिटी में फंड की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने सरकार को 8 जनवरी तक यह बताने को कहा है कि वह एनएलयू को नियमित फंड देगी या नहीं.

Hearing in High Court on demand for funds in Law-University in ranchi
लॉ-यूनिवर्सिटी में फंड की मांग पर हाई कोर्ट में सुनवाई
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Published : Dec 11, 2020, 8:38 PM IST

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में लॉ-यूनिवर्सिटी में फंड की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि अगर सरकार लॉ-यूनिवर्सिटी नहीं चलाना चाहती है तो इसे बंद कर दें? अदालत ने सरकार को 8 जनवरी तक यह बताने को कहा है कि वह एनएलयू को नियमित फंड देगी या नहीं.

पीआईएल से बंद हो सकता है विश्वविद्यालय

अदालत ने कहा कि यह यूनिवर्सिटी राज्य का गौरव है. पूर्वी क्षेत्र में यूनिवर्सिटी ने अपनी पहचान बनायी है. पैसे के लिए यूनिवर्सिटी के कुलपति सरकार के अधिकारियों के पास हर दिन जा रहे हैं. कई दफ्तरों का चक्कर लगा रहे हैं. कुलपति पद की गरिमा भी होती है, लेकिन सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है. कोर्ट ने कहा कि जिस एक्ट के तहत यूनिवर्सिटी का गठन किया गया है, उसमें साफ है कि इसे चलाने के लिए सरकार बार कौंसिल, बार एसोसिएशन और अन्य से आर्थिक मदद मिलेगी. ऐसे में सरकार इसे मदद करने से इनकार नहीं कर सकती. कोर्ट ने कहा कि यह विश्वविद्यालय पीआईएल से बना है. अगर यही स्थिति रही तो पीआईएल से यह बंद भी हो जाएगी. इसलिए सरकार को गंभीरता से सोचना होगा.

ये भी पढ़ें-IIT और IIM के 214 छात्र बर्खास्त, HC के वकील ने कहा- छात्र सीनेट और मैनेजमेंट के सामने कर सकते हैं अपील


70 करोड़ रुपये जारी किए

इस मामले में सरकार की ओर से बताया गया कि लॉ-यूनिवर्सिटी को झारखंड सरकार ने एक मुश्त 50 करोड़ रुपए स्थापना के समय ही दिए हैं. इसके बाद कैबिनेट ने फैसला लिया था कि सरकार यूनिवर्सिटी को अब आर्थिक मदद नहीं कर सकती. इसके बाद फिर विश्वविद्यालय को 70 करोड़ जारी किए गए हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि जो पैसे जारी किए गए हैं, उसमें 39 करोड़ तो पीडब्ल्यूडी के बकाए में ही चल गए. ऐसे में यूनिवर्सिटी के अन्य काम कैसे होंगे. दूसरे राज्यों में सरकार इस तरह के विश्वविद्यालयों को नियमित फंड देती है. यहां भी सरकार को नियमित फंड देने पर विचार करना होगा.


भवन, लाइब्रेरी और अन्य सुविधाओं की कमी

झारखंड हाईकोर्ट में बार एसोसिएशन ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि यूनिवर्सिटी को राज्य सरकार की ओर से सहयोग नहीं किया जा रहा है. इस कारण पुस्तकालय और अन्य भवनों का निर्माण नहीं हो पा रहा है. यहां के छात्रों को काफी परेशानी हो रही है. यूनिवर्सिटी में सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हो पा रही है. खाली जमीन पर चारदीवारी नहीं होने पर भी जवाब मांगा. सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि यूनिवर्सिटी कैंपस के सामने विश्वविद्यालय की जमीन खाली है, लेकिन इसकी चारदीवारी नहीं की जा रही है. इस कारण परेशानी हो रही है. चारदीवारी नहीं होने पर भविष्य में यूनिवर्सिटी को परेशानी हो सकती है. कोर्ट ने इस मामले में भी सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में लॉ-यूनिवर्सिटी में फंड की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि अगर सरकार लॉ-यूनिवर्सिटी नहीं चलाना चाहती है तो इसे बंद कर दें? अदालत ने सरकार को 8 जनवरी तक यह बताने को कहा है कि वह एनएलयू को नियमित फंड देगी या नहीं.

पीआईएल से बंद हो सकता है विश्वविद्यालय

अदालत ने कहा कि यह यूनिवर्सिटी राज्य का गौरव है. पूर्वी क्षेत्र में यूनिवर्सिटी ने अपनी पहचान बनायी है. पैसे के लिए यूनिवर्सिटी के कुलपति सरकार के अधिकारियों के पास हर दिन जा रहे हैं. कई दफ्तरों का चक्कर लगा रहे हैं. कुलपति पद की गरिमा भी होती है, लेकिन सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है. कोर्ट ने कहा कि जिस एक्ट के तहत यूनिवर्सिटी का गठन किया गया है, उसमें साफ है कि इसे चलाने के लिए सरकार बार कौंसिल, बार एसोसिएशन और अन्य से आर्थिक मदद मिलेगी. ऐसे में सरकार इसे मदद करने से इनकार नहीं कर सकती. कोर्ट ने कहा कि यह विश्वविद्यालय पीआईएल से बना है. अगर यही स्थिति रही तो पीआईएल से यह बंद भी हो जाएगी. इसलिए सरकार को गंभीरता से सोचना होगा.

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70 करोड़ रुपये जारी किए

इस मामले में सरकार की ओर से बताया गया कि लॉ-यूनिवर्सिटी को झारखंड सरकार ने एक मुश्त 50 करोड़ रुपए स्थापना के समय ही दिए हैं. इसके बाद कैबिनेट ने फैसला लिया था कि सरकार यूनिवर्सिटी को अब आर्थिक मदद नहीं कर सकती. इसके बाद फिर विश्वविद्यालय को 70 करोड़ जारी किए गए हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि जो पैसे जारी किए गए हैं, उसमें 39 करोड़ तो पीडब्ल्यूडी के बकाए में ही चल गए. ऐसे में यूनिवर्सिटी के अन्य काम कैसे होंगे. दूसरे राज्यों में सरकार इस तरह के विश्वविद्यालयों को नियमित फंड देती है. यहां भी सरकार को नियमित फंड देने पर विचार करना होगा.


भवन, लाइब्रेरी और अन्य सुविधाओं की कमी

झारखंड हाईकोर्ट में बार एसोसिएशन ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि यूनिवर्सिटी को राज्य सरकार की ओर से सहयोग नहीं किया जा रहा है. इस कारण पुस्तकालय और अन्य भवनों का निर्माण नहीं हो पा रहा है. यहां के छात्रों को काफी परेशानी हो रही है. यूनिवर्सिटी में सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हो पा रही है. खाली जमीन पर चारदीवारी नहीं होने पर भी जवाब मांगा. सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि यूनिवर्सिटी कैंपस के सामने विश्वविद्यालय की जमीन खाली है, लेकिन इसकी चारदीवारी नहीं की जा रही है. इस कारण परेशानी हो रही है. चारदीवारी नहीं होने पर भविष्य में यूनिवर्सिटी को परेशानी हो सकती है. कोर्ट ने इस मामले में भी सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

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