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महिला बटालियन की सिपाही प्रोन्नति मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई, हाईकोर्ट ने दो माह में मांगा जवाब

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Published : Nov 2, 2020, 10:33 PM IST

जैप-10 महिला बटालियन की सिपाही की प्रोन्नति मामले को लेकर दायर याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में जस्टिस डॉ. एसएन पाठक की अदालत ने सुनवाई के बाद सरकार से मामले में 8 सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है.

Hearing in High Court on constable promotion case of women battalion
महिला बटालियन की सिपाही प्रोन्नति मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई

रांचीः जैप-10 महिला बटालियन की सिपाही की प्रोन्नति मामले को लेकर दायर याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस डॉ. एसएन पाठक की अदालत ने सुनवाई के बाद सरकार से मामले में 8 सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. अदालत ने सरकार को अपने जवाब में यह बताने को कहा है कि महिला सिपाहियों की प्रोन्नति में क्या कठिनाई है? क्यों नहीं हो पा रही है? मामले की अगली सुनवाई जनवरी के प्रथम सप्ताह में होगी.

अधिवक्ता धीरज कुमार ने बताया कि सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता उर्मिला कच्छप की ओर से अधिवक्ता शुभाशीष सोरेन ने अदालत को जानकारी दी कि राज्य में झारखंड आर्म्ड पुलिस के लिए जैप 10, जो महिला बटालियन है. उसकी प्रोन्नति में सरकार ने अनदेखी की है. उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी है कि राज्य सरकार ने सिपाही की प्रोन्नति में पुरुष सिपाही और महिला सिपाही की अलग-अलग वरीयता सूची बनाई है जो कि गलत है. उनका कहना है कि जब सभी एक साथ नियुक्त हुए तो प्रोन्नति सूची भी एक साथ ही बननी चाहिए. उनके अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि सीआरपीएफ के महिला बटालियन के भी मामले में इस तरह के सामने आए थे जिस पर सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि उसे नियम के अनुरूप प्रोन्नति दिया जाना चाहिए.

ये भी पढ़े-रांचीः फिजिकल कोर्ट शुरू करने के लिए हाई कोर्ट ने अधिवक्ताओं से मांगे विचार

अगली सुनवाई जनवरी में
अधिवक्ता ने अदालत को यह भी बताया कि वर्ष 2012 में महिला और पुरुष सिपाहियों की वरीयता सूची एक ही होती थी लेकिन वर्ष 2017 में इस की वरीयता सूची महिला और पुरुष की अलग अलग कर दी. उन्होंने अदालत को बताया कि सरकार ने इस तरह से करके दोनों में डिस्क्रिमिनेशन किया है जो कि गलत है. मामले की अगली सुनवाई जनवरी के प्रथम सप्ताह में होगी.

रांचीः जैप-10 महिला बटालियन की सिपाही की प्रोन्नति मामले को लेकर दायर याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस डॉ. एसएन पाठक की अदालत ने सुनवाई के बाद सरकार से मामले में 8 सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. अदालत ने सरकार को अपने जवाब में यह बताने को कहा है कि महिला सिपाहियों की प्रोन्नति में क्या कठिनाई है? क्यों नहीं हो पा रही है? मामले की अगली सुनवाई जनवरी के प्रथम सप्ताह में होगी.

अधिवक्ता धीरज कुमार ने बताया कि सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता उर्मिला कच्छप की ओर से अधिवक्ता शुभाशीष सोरेन ने अदालत को जानकारी दी कि राज्य में झारखंड आर्म्ड पुलिस के लिए जैप 10, जो महिला बटालियन है. उसकी प्रोन्नति में सरकार ने अनदेखी की है. उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी है कि राज्य सरकार ने सिपाही की प्रोन्नति में पुरुष सिपाही और महिला सिपाही की अलग-अलग वरीयता सूची बनाई है जो कि गलत है. उनका कहना है कि जब सभी एक साथ नियुक्त हुए तो प्रोन्नति सूची भी एक साथ ही बननी चाहिए. उनके अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि सीआरपीएफ के महिला बटालियन के भी मामले में इस तरह के सामने आए थे जिस पर सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि उसे नियम के अनुरूप प्रोन्नति दिया जाना चाहिए.

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अगली सुनवाई जनवरी में
अधिवक्ता ने अदालत को यह भी बताया कि वर्ष 2012 में महिला और पुरुष सिपाहियों की वरीयता सूची एक ही होती थी लेकिन वर्ष 2017 में इस की वरीयता सूची महिला और पुरुष की अलग अलग कर दी. उन्होंने अदालत को बताया कि सरकार ने इस तरह से करके दोनों में डिस्क्रिमिनेशन किया है जो कि गलत है. मामले की अगली सुनवाई जनवरी के प्रथम सप्ताह में होगी.

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