रांचीः झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन यानी जेएसएससी द्वारा सहायक आचार्य नियुक्ति विज्ञापन संख्या 13/2023 पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई है. झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र की खंडपीठ ने प्रार्थी के अधिवक्ता अमित कुमार तिवारी की दलील सुनने के बाद जेएसएससी को प्रतिवादी बनाते हुए राज्य सरकार, जेपीएससी, झारखंड राज्य शिक्षा परियोजना से चार सप्ताह में जवाब मांगा गया है. उन्होंने बताया कि जब तक आर्डर की कॉपी नहीं आ जाती है, तबतक आर्डर के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है.
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इस बाबत अधिवक्ता अमित कुमार तिवारी ने कहा कि यह नियमावली भेदभावपूर्ण थी. पूर्व स्कूली शिक्षा विभाग के प्राथमिक शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में कमेटी बनी थी. 55वें एजेंडा में बीआरपी और सीआरपी पर मंथन हुआ था. कमेटी ने बीआरपी और सीआरपी वालों को ज्यादा क्वालिफाइड पाया था. उस आधार पर शिक्षक नियुक्ति में रिजर्वेशन का सुझाव दिया गया था. उसी आधार पर साल 2022 की नियमावली की कंडिका 6 में बीआरपी और सीआरपी को 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था. लेकिन 2023 में नियमावली संशोधित कर दी गई है. उसमें बीआरपी और सीआरपी को हटा दिया गया. अब देखना है कि कोर्ट के आर्डर में क्या बातें हैं लेकिन ऑफ द रिकॉर्ड इस बात की चर्चा है कि हाई कोर्ट ने विज्ञापन पर रोक लगा दी है.
क्या है मामलाः साल 2023 में बनी नियमावली में बीआरपी और सीआरपी संविदाकर्मियों को सहायक आचार्य नियुक्ति में 50 फीसदी आरक्षण से वंचित कर दिया गया था. इसको बीआरपी (ब्लॉक रिसोर्स पर्सन) और सीआरपी (कलस्टर रिसोर्स पर्सन) की ओर से बहादुर महतो समेत अन्य ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. प्रार्थी के अधिवक्ता अमित कुमार तिवारी की ओर से दलील पेश की गई कि सहायक आचार्य नियुक्ति नियमावली 2022 में संविदा पर शिक्षा विभाग में काम कर रहे कर्मियों को 50 प्रतिशत आरक्षण की सुविधा दी गई थी. बाद में संशोधित नियमावली निकालकर आरक्षण की सुविधा को समाप्त कर दिया गया. साल 2023 में बनी नियमावली के मुताबिक सिर्फ पारा शिक्षकों को ही सहायक आचार्य की नियुक्ति में 50 फीसदी आरक्षण की सुविधा दी गई है. बता दें कि पिछले दिनों झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन की ओर से सहायक आचार्य के 26 हजार 1 पद के लिए विज्ञापन निकाला गया था.