रांचीः झारखंड के शहरी क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी हुई है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है. इस खतरा को देखते हुए राज्य सरकार का पूरा ध्यान ग्रामीण क्षेत्रों पर देने की दावा कर रही है. बुधवार को कोरोना संक्रमण के ग्राफ की हकीकत जानने ईटीवी भारत की टीम हरा टांड़ पहुंची, जहां सरकार की दावा गांव की पगडंडियों पर दम तोड़ रही है. हालांकि, रांची सिविल सर्जन डॉ. विनोद कुमार कहते है कि सिर्फ हेल्थ स्क्रीनिंग नहीं की जाएगी, बल्कि कोरोना के लक्षण मिलने पर दवा भी दी जाएगी.
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क्या है हकीकत
सिविल सर्जन के दावों को परखने के लिए ईटीवी भारत की टीम सबसे पहले रांची से सटे हरा टांड़ गांव पहुंची. गांव के लोगों ने बताया कि जब से कोरोना महामारी आई है, तब से कोई स्वास्थ्य कर्मी, सखी दीदी, सहिया या सेविका सहायिका नहीं पहुंची है.
हालांकि, सरकार और जिला प्रशासन का दावा यह था कि लाइवली हुड से जुड़ी सखी मंडल की दीदी, सेविका-सहायिका, सहिया और एएनएम की मदद से सफल अभियान चलाया जाएगा. इस अभियान के तहत पंचायत स्तर पर एक-एक घर पहुंच कर कोरोना की स्क्रीनिंग की जाएगी और कोई लक्षण या सर्दी खांसी होने पर गांव में ही क्वारंटाइन और इलाज की व्यवस्था की जाएगी. स्थिति यह है कि घर तक तो दूर गांव में भी स्वास्थ्य महकमे की टीम नहीं पहुंची है.
गांवों में हुई मौत का डाटा करना तैयार
हेल्थ सर्वे अभियान के तहत एक अप्रैल से मई माह तक गांवों में हुई मौतों का डेटा तैयार किया जाना है, ताकि राज्य में पीएमजेजेबीवाई और पीएमएसबीवाई योजना से जुड़े 20 लाख लोगों में से किसी की मौत हो जाती है, तो उन्हें इस योजना का लाभ उपलब्ध कराई जा सके. लेकिन जिले के गांवों में कोरोना स्क्रीनिंग का काम ही सुस्त है, तो शेष कार्य का अंदाजा लगा सकते हैं.