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झारखंड में जनसंख्या नियंत्रण पर स्वास्थ्य विभाग देगा जोर, बाल विवाह रोकने के लिए जारी हुआ टॉल फ्री कॉल नंबर - परिवार नियोजन के राज्य नोडल अधिकारी

झारखंड में बढ़ती जनसंख्या, मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए राज्य में बाल विवाह रोकने पर जोर दिया जाएगा. स्वास्थ्य विभाग की ओर से इसके लिए कार्यशाला सह प्रशिक्षण का आयोजन किया गया. इसमें परिवार नियोजन से जुड़ी कई जानकारियां दी गई और बाल विवाह रोकने के लिए टॉल फ्री कॉल नंबर भी दिया गया.

Jharkhand News
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Published : May 7, 2022, 12:30 PM IST

रांची: बाल विवाह के मामले में झारखंड देश में तीसरे स्थान पर है. कुछ महीने पहले आए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) के अनुसार झारखंड में 32.2 फीसदी यानी प्रत्येक 10 में से कम से कम तीन लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में कर दी जाती है. जिसकी वजह से जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ कम उम्र मां बनने की स्थिति में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर बढ़ने का भी खतरा बना रहता है. इस समस्या से निपटने के लिए अब महिला एवं बाल विकास विभाग के अलावा स्वास्थ्य विभाग भी आगे आया है ताकि बाल विवाह को कम कर मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को और कम किया जा सके और जनसंख्या नियंत्रण में भी मदद मिले.


नामकुम के IPH के सभागार में परिवार नियोजन के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. अनिल कुमार की अध्यक्षता में दो दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला सह प्रशिक्षण का आयोजन किया गया. नोडल पदाधिकारी डाॅ. अनिल कुमार ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कार्यशाला के उद्देश्यों के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि कार्यशाला का उद्देश्य परिवार नियोजन गतिविधियों एवं योजनाओं के बारे में अवगत कराना है. परिवार नियोजन सेवाओं के विस्तार के साथ-साथ दो बच्चों के जन्म के बीच में 3 से 5 वर्ष का अंतर लाकर मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाना है. उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर सभी योग्य दंपति तक पहुंचकर उसके इच्छानुसार परिवार नियोजन की सेवाओं को मुहैया कराने का लक्ष्य स्वास्थ्य विभाग ने रखा है. डाॅ. अनिल कुमार ने प्रखंड प्रशिक्षक दल (बीटीटी) परिवार नियोजन के कार्यदायित्व और इसके निरंतर सेवाओं के संबंध में जानकारी दी.

परिवार नियोजन की नई विधियों से कराया अवगत: परिवार नियोजन की दो नई गर्भ निरोधक विधि अंतरा इंजेक्शन और छाया टैबलेट के बारे में आम लोगों को जागरूक करने और इसे अपनाने के बारे में भी कार्यशाला में बताया गया. डॉ. अनिल ने सख्त निर्देश देते हुए कहा कि सभी लोग अपने कार्यदायित्व को समय पर पूरा करते हुए लक्ष्य के अनुरूप कार्य करें. उन्होंने परिवार नियोजन से संबंधित रिकार्ड कीपिंग व विभिन्न प्रकार के पंजी एवं फोलो-अप कार्ड के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी. परिवार नियोजन से संबंधित विभिन्न अस्थाई विधियों की आपूर्ति ससमय स्वास्थ्य उपकेन्द्र एवं सहिया तक पहुंच को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. परिवार नियोजन लॉजिस्टिक प्रबंधन सूचना पद्धति के माध्यम से ऑनलाईन इंडेंट और प्रत्येक माह अद्यतन शत प्रतिशत सुनिश्चित करने का निर्देश दिया, जिससे कार्यों में गति आ सके. उन्होंने कहा कि मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए बाल विवाह पर रोक लगाना आवश्यक है.


बाल विवाह रुकवाने के लिए 104 पर कर सकते हैं कॉल: स्वास्थ्य विभाग का टॉल फ्री कॉल नंबर 104 को भी प्रचारित करने का आह्वान किया गया ताकि इस कॉल नंबर का लोग सिर्फ बीमारी के इलाज के लिए सलाह लेने में न करें बल्कि आस पास में बाल विवाह होता देखें तो भी 104 पर कॉल करें. यह सुखद और समृद्ध झारखंड बनाने में मदद करने जैसा होगा. कार्यशाला में गुंजन खलखो, राज्य समन्वयक, परिवार नियोजन, डाॅ. स्वाति चेतन्या, सुदीप सान्याल और नवल किशोर भी उपस्थित थे.

रांची: बाल विवाह के मामले में झारखंड देश में तीसरे स्थान पर है. कुछ महीने पहले आए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) के अनुसार झारखंड में 32.2 फीसदी यानी प्रत्येक 10 में से कम से कम तीन लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में कर दी जाती है. जिसकी वजह से जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ कम उम्र मां बनने की स्थिति में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर बढ़ने का भी खतरा बना रहता है. इस समस्या से निपटने के लिए अब महिला एवं बाल विकास विभाग के अलावा स्वास्थ्य विभाग भी आगे आया है ताकि बाल विवाह को कम कर मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को और कम किया जा सके और जनसंख्या नियंत्रण में भी मदद मिले.


नामकुम के IPH के सभागार में परिवार नियोजन के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. अनिल कुमार की अध्यक्षता में दो दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला सह प्रशिक्षण का आयोजन किया गया. नोडल पदाधिकारी डाॅ. अनिल कुमार ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कार्यशाला के उद्देश्यों के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि कार्यशाला का उद्देश्य परिवार नियोजन गतिविधियों एवं योजनाओं के बारे में अवगत कराना है. परिवार नियोजन सेवाओं के विस्तार के साथ-साथ दो बच्चों के जन्म के बीच में 3 से 5 वर्ष का अंतर लाकर मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाना है. उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर सभी योग्य दंपति तक पहुंचकर उसके इच्छानुसार परिवार नियोजन की सेवाओं को मुहैया कराने का लक्ष्य स्वास्थ्य विभाग ने रखा है. डाॅ. अनिल कुमार ने प्रखंड प्रशिक्षक दल (बीटीटी) परिवार नियोजन के कार्यदायित्व और इसके निरंतर सेवाओं के संबंध में जानकारी दी.

परिवार नियोजन की नई विधियों से कराया अवगत: परिवार नियोजन की दो नई गर्भ निरोधक विधि अंतरा इंजेक्शन और छाया टैबलेट के बारे में आम लोगों को जागरूक करने और इसे अपनाने के बारे में भी कार्यशाला में बताया गया. डॉ. अनिल ने सख्त निर्देश देते हुए कहा कि सभी लोग अपने कार्यदायित्व को समय पर पूरा करते हुए लक्ष्य के अनुरूप कार्य करें. उन्होंने परिवार नियोजन से संबंधित रिकार्ड कीपिंग व विभिन्न प्रकार के पंजी एवं फोलो-अप कार्ड के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी. परिवार नियोजन से संबंधित विभिन्न अस्थाई विधियों की आपूर्ति ससमय स्वास्थ्य उपकेन्द्र एवं सहिया तक पहुंच को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. परिवार नियोजन लॉजिस्टिक प्रबंधन सूचना पद्धति के माध्यम से ऑनलाईन इंडेंट और प्रत्येक माह अद्यतन शत प्रतिशत सुनिश्चित करने का निर्देश दिया, जिससे कार्यों में गति आ सके. उन्होंने कहा कि मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए बाल विवाह पर रोक लगाना आवश्यक है.


बाल विवाह रुकवाने के लिए 104 पर कर सकते हैं कॉल: स्वास्थ्य विभाग का टॉल फ्री कॉल नंबर 104 को भी प्रचारित करने का आह्वान किया गया ताकि इस कॉल नंबर का लोग सिर्फ बीमारी के इलाज के लिए सलाह लेने में न करें बल्कि आस पास में बाल विवाह होता देखें तो भी 104 पर कॉल करें. यह सुखद और समृद्ध झारखंड बनाने में मदद करने जैसा होगा. कार्यशाला में गुंजन खलखो, राज्य समन्वयक, परिवार नियोजन, डाॅ. स्वाति चेतन्या, सुदीप सान्याल और नवल किशोर भी उपस्थित थे.

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