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रांची: स्वास्थ्य विभाग ने लिया संज्ञान, गंभीर गर्भवती महिलाओं का पहले होगा इलाज, फिर कोरोना की होगी जांच - रांची न्यूज

रांची में स्वास्थ्य विभाग ने निर्देश जारी करते हुए कहा कि अगर कोई गंभीर अवस्था में गर्भवती महिला डिलीवरी के लिए अस्पताल पहुंचती है, तो उसे तत्काल प्रभाव से स्वास्थ्य कर्मी अपना प्रिकॉशन लेते हुए उसका इलाज करें.

Health department gave instructions
स्वास्थ्य विभाग ने दिया निर्देश
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Published : May 6, 2020, 3:36 PM IST

रांची: पिछले कुछ दिनों से गर्भवती महिलाओं के इलाज को लेकर लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसी के मद्देनजर स्वास्थ सचिव ने दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा है कि अगर गंभीर अवस्था में कोई गर्भवती महिला आती है, तो अस्पताल में तैनात चिकित्सकों को तुरंत ही गर्भवती महिला का तत्काल परिस्थितियों को देखते हुए उनका इलाज करना होगा.

देखें पूरी खबर

बता दें कि पिछले कुछ दिनों से कई निजी अस्पतालों में महिलाओं को यह कह कर लौटा दिया जा रहा था कि प्रेग्नेंट महिला को पहले कोविड-19 का जांच करना होगा, तभी उसका इलाज किया जाएगा. जिसको लेकर गंभीर गर्भवती महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. जिसके बाद मरीजों की परेशानी को देखते हुए स्वास्थ्य सचिव ने सख्त दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा है कि अगर कोई गंभीर अवस्था में गर्भवती महिला डिलीवरी के लिए अस्पताल पहुंचती है तो उसे तत्काल प्रभाव से स्वास्थ्य कर्मियों को अपना प्रिकॉशन लेते हुए उसका इलाज करें ना कि कोविड-19 के जांच के लिए उन्हें वापस भेज दें.

पिछले दिनों रिम्स और सदर अस्पताल का प्रसूति विभाग बंद होने के बाद डोरंडा में गर्भवती महिलाओं के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई थी. वहीं, औषधालय की इंचार्ज प्रभावती देवी बताती हैं कि लगातार डॉक्टर और नर्स इलाज करने में लगे हैं. रिम्स और सदर अस्पताल बंद होने के बाद 27 अप्रैल से 1 मई तक डोरंडा औषधालय में 50 से ज्यादा गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी कराई गई है, जिसमें कई महिलाओं का ऑपरेशन के माध्यम से डिलीवरी की गई है. वहीं, उन्होंने बताया कि सिर्फ ऐसी महिलाओं को ही कोविड-19 की जांच के लिए कहा जाता है जिनकी डिलीवरी में काफी समय है, लेकिन जो गर्भवती महिलाएं गंभीर अवस्था में आती है, उन्हें तुरंत ही स्वास्थ्य विभाग से मिले दिशा-निर्देश के अनुसार इलाज किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन में डायल 100 ने किया बेहतरीन काम, DGP एमवी राव ने ट्वीट कर मांगे सुझाव

वहीं, रांची के सिविल सर्जन वीबी प्रसाद ने पूरे मामले पर जानकारी देते हुए बताया कि पिछले कुछ दिनों में मिसकम्युनिकेशन होने की वजह से अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मी गर्भवती महिलाओं को कोविड-19 जांच कराने की सलाह दे रहे थे. लेकिन स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ विभाग की तरफ से सख्त दिशा-निर्देश मिलने के बाद सभी अस्पतालों में गंभीर गर्भवती महिलाओं का इलाज सबसे पहले किया जा रहा है. बता दें कि पिछले दिनों सदर अस्पताल और रिम्स में कोरोना की संक्रमित महिला ने बच्चे को जन्म दिया गया था, जिसके बाद स्वास्थ्य कर्मियों में काफी डर था और वह बिना जांच के किसी भी महिला की डिलीवरी नहीं कर रहे थे. इस पर स्वास्थ्य विभाग ने संज्ञान लेते हुए सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों को गंभीर गर्भवती महिलाओं का तुरंत इलाज करने का निर्देश दिया है.

रांची: पिछले कुछ दिनों से गर्भवती महिलाओं के इलाज को लेकर लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसी के मद्देनजर स्वास्थ सचिव ने दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा है कि अगर गंभीर अवस्था में कोई गर्भवती महिला आती है, तो अस्पताल में तैनात चिकित्सकों को तुरंत ही गर्भवती महिला का तत्काल परिस्थितियों को देखते हुए उनका इलाज करना होगा.

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बता दें कि पिछले कुछ दिनों से कई निजी अस्पतालों में महिलाओं को यह कह कर लौटा दिया जा रहा था कि प्रेग्नेंट महिला को पहले कोविड-19 का जांच करना होगा, तभी उसका इलाज किया जाएगा. जिसको लेकर गंभीर गर्भवती महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. जिसके बाद मरीजों की परेशानी को देखते हुए स्वास्थ्य सचिव ने सख्त दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा है कि अगर कोई गंभीर अवस्था में गर्भवती महिला डिलीवरी के लिए अस्पताल पहुंचती है तो उसे तत्काल प्रभाव से स्वास्थ्य कर्मियों को अपना प्रिकॉशन लेते हुए उसका इलाज करें ना कि कोविड-19 के जांच के लिए उन्हें वापस भेज दें.

पिछले दिनों रिम्स और सदर अस्पताल का प्रसूति विभाग बंद होने के बाद डोरंडा में गर्भवती महिलाओं के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई थी. वहीं, औषधालय की इंचार्ज प्रभावती देवी बताती हैं कि लगातार डॉक्टर और नर्स इलाज करने में लगे हैं. रिम्स और सदर अस्पताल बंद होने के बाद 27 अप्रैल से 1 मई तक डोरंडा औषधालय में 50 से ज्यादा गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी कराई गई है, जिसमें कई महिलाओं का ऑपरेशन के माध्यम से डिलीवरी की गई है. वहीं, उन्होंने बताया कि सिर्फ ऐसी महिलाओं को ही कोविड-19 की जांच के लिए कहा जाता है जिनकी डिलीवरी में काफी समय है, लेकिन जो गर्भवती महिलाएं गंभीर अवस्था में आती है, उन्हें तुरंत ही स्वास्थ्य विभाग से मिले दिशा-निर्देश के अनुसार इलाज किया जा रहा है.

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वहीं, रांची के सिविल सर्जन वीबी प्रसाद ने पूरे मामले पर जानकारी देते हुए बताया कि पिछले कुछ दिनों में मिसकम्युनिकेशन होने की वजह से अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मी गर्भवती महिलाओं को कोविड-19 जांच कराने की सलाह दे रहे थे. लेकिन स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ विभाग की तरफ से सख्त दिशा-निर्देश मिलने के बाद सभी अस्पतालों में गंभीर गर्भवती महिलाओं का इलाज सबसे पहले किया जा रहा है. बता दें कि पिछले दिनों सदर अस्पताल और रिम्स में कोरोना की संक्रमित महिला ने बच्चे को जन्म दिया गया था, जिसके बाद स्वास्थ्य कर्मियों में काफी डर था और वह बिना जांच के किसी भी महिला की डिलीवरी नहीं कर रहे थे. इस पर स्वास्थ्य विभाग ने संज्ञान लेते हुए सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों को गंभीर गर्भवती महिलाओं का तुरंत इलाज करने का निर्देश दिया है.

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