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मलेरिया मुक्त झारखंड बनाने में प्रदेश स्वास्थ्य विभाग प्रयासरत, राज्य में अभी भी हजारों मरीज हो रहे है बीमार - पलामू प्रमंडल में सबसे ज्यादा मलेरिया के मरीज

झारखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था काफी लचर अवस्था में है. राज्य में मलेरिया से बीमार होने वाले मरीजों की संख्या में कमी नहीं आ रही है, जो राज्य की स्वस्थ्य व्यवस्था की नाकामी को दर्शाता है. वहीं स्वास्थ्य विभाग के अपर निदेशक ने कहा कि सरकार ने कई योजनाएं इस संदर्भ में लाई है.

Health department of Jharkhand is constantly trying to make a malaria free state
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Published : Jan 11, 2020, 5:46 AM IST

रांची: देश में चिकित्सा पद्धति भले ही मजबूत हो रही है लेकिन झारखंड में आज भी कई ऐसे प्रांत है जहां मलेरिया, डेंगू, कालाजार, चिकनगुनिया के प्रकोप से लोग बीमार हो रहें है. वहीं, कुछ मरीजों की मौतें भी हो रही.

देखें पूरी खबर
झारखंड में मच्छर के काटने की वजह से होने वाली बीमारियों के मरीज हजारों की संख्या में देखे जाते है, खासकर मलेरिया के मरीज राज्य के विभिन्न जिलों में पाए गए है. झारखंड के नेशनल हेल्थ मिशन कार्यालय के अनुसार के विभिन्न जिलों में मलेरिया के आज भी हजारों मरीज पाए जाते है. जिनके लिए सरकार कई योजनाओं को ग्रामीण क्षेत्रों में क्रियान्वित की हुई है.

सरकारी आंकड़ों के अनुसारपिछले वर्षों में मलेरिया से ग्रसित मरीजों की संख्या

  • वर्ष 2015 में 104 800 मलेरिया के मरीज पाए गए
  • वर्ष 2016 में 14 14 14 मलेरिया के मरीज पाए गए
  • वर्ष 2017 में 94114 मलेरिया के मरीज पाए गए
  • वर्ष 2018 में 5 7095 मलेरिया के मरीज पाए गए


विभिन्न योजनाएं हैं क्रियान्वित
वहीं, सरकारी आंकड़ों के अनुसार मलेरिया से ग्रसित हुए 27 मरीजों की मौत भी हुई है. वहीं, स्वास्थय विभाग ने मलेरिया के प्रकोप से बचाने के लिए विभिन्न योजनाएं क्रियान्वित है, जैसे इनडोर रेसीडुएल स्प्रे का छिड़काव, लॉन्ग लास्टिंग इंसेक्टिसाइड ट्रीटेड नेट का वितरण, अर्ली डायग्नोसिस एंड कंपलीट ट्रीटमेंट, स्कूल अवेयरनेस प्रोग्राम, इंफॉर्मेशन, एजुकेशन कम्युनिकेशन सहित कई योजनाएं चलाकर मलेरिया पर काबू पाने का प्रयास सरकार लगातार कर रही है.

ये भी देखें- गौरी लंकेश मर्डर केस के आरोपी की कोर्ट में पेशी, धनबाद से SIT ने किया था गिरफ्तार


कई बीमारियां होती है मच्छर के काटने से
वहीं, मच्छरों के काटने से सिर्फ मलेरिया ही नहीं बल्कि फलेरिया, डेंगू चिकनगुनिया, जापानी इंसेफेलाइटिस, कालाजार सहित कई बीमारियां है. जिसका प्रकोप से बचने के लिए राज्य के विभिन्न जिलों में मलेरिया से जुड़े कर्मचारी और पदाधिकारी लोगों को सुझाव देते है.


इन इलाकों में ज्यादा मरीज
राज्य के पलामू प्रमंडल के लातेहार इलाका, कोल्हान के चाईबासा सरायकेला और संथाल इलाकों में मलेरिया से ग्रसित मरीजों की संख्या ज्यादा देखी जाती है. खासकर पिछले 3 वर्षों में लातेहार से सबसे ज्यादा मरीज मलेरिया से ग्रसित पाए गए है.

ये भी देखें- आपत्तिजनक हालत में भीड़ के हत्थे चढ़ा प्रेमी युगल, ग्रामीणों ने की जमकर पिटाई

वहीं, राज्य के जिलों में मलेरिया से ग्रसित मरीज को सही उपचार कराने हेतु डिस्ट्रिक्ट मलेरिया ऑफिसर को जिम्मेदारी दी गई है, ताकि मलेरिया से जुड़े मरीजों का जिले के सीएससी और सदर अस्पताल में उचित और समुचित इलाज हो सके.

गौरतलब है कि मलेरिया सहित मच्छरों से जुड़े अन्य बीमारियों को लेकर राज्य सरकार लगातार सजग है और सरकार इस पर काबू पाने के लिए विभिन्न योजनाओं को लोगों के बीच चला कर उसे जागृत करने की कोशिश कर रही है, लेकिन अभी तक झारखंड में मलेरिया से बीमार होने वाले लोगों की संख्या में काबू नहीं पाया गया है, जो निश्चित रूप से राज्य के स्वास्थ्य विभाग पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है.

रांची: देश में चिकित्सा पद्धति भले ही मजबूत हो रही है लेकिन झारखंड में आज भी कई ऐसे प्रांत है जहां मलेरिया, डेंगू, कालाजार, चिकनगुनिया के प्रकोप से लोग बीमार हो रहें है. वहीं, कुछ मरीजों की मौतें भी हो रही.

देखें पूरी खबर
झारखंड में मच्छर के काटने की वजह से होने वाली बीमारियों के मरीज हजारों की संख्या में देखे जाते है, खासकर मलेरिया के मरीज राज्य के विभिन्न जिलों में पाए गए है. झारखंड के नेशनल हेल्थ मिशन कार्यालय के अनुसार के विभिन्न जिलों में मलेरिया के आज भी हजारों मरीज पाए जाते है. जिनके लिए सरकार कई योजनाओं को ग्रामीण क्षेत्रों में क्रियान्वित की हुई है.

सरकारी आंकड़ों के अनुसारपिछले वर्षों में मलेरिया से ग्रसित मरीजों की संख्या

  • वर्ष 2015 में 104 800 मलेरिया के मरीज पाए गए
  • वर्ष 2016 में 14 14 14 मलेरिया के मरीज पाए गए
  • वर्ष 2017 में 94114 मलेरिया के मरीज पाए गए
  • वर्ष 2018 में 5 7095 मलेरिया के मरीज पाए गए


विभिन्न योजनाएं हैं क्रियान्वित
वहीं, सरकारी आंकड़ों के अनुसार मलेरिया से ग्रसित हुए 27 मरीजों की मौत भी हुई है. वहीं, स्वास्थय विभाग ने मलेरिया के प्रकोप से बचाने के लिए विभिन्न योजनाएं क्रियान्वित है, जैसे इनडोर रेसीडुएल स्प्रे का छिड़काव, लॉन्ग लास्टिंग इंसेक्टिसाइड ट्रीटेड नेट का वितरण, अर्ली डायग्नोसिस एंड कंपलीट ट्रीटमेंट, स्कूल अवेयरनेस प्रोग्राम, इंफॉर्मेशन, एजुकेशन कम्युनिकेशन सहित कई योजनाएं चलाकर मलेरिया पर काबू पाने का प्रयास सरकार लगातार कर रही है.

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कई बीमारियां होती है मच्छर के काटने से
वहीं, मच्छरों के काटने से सिर्फ मलेरिया ही नहीं बल्कि फलेरिया, डेंगू चिकनगुनिया, जापानी इंसेफेलाइटिस, कालाजार सहित कई बीमारियां है. जिसका प्रकोप से बचने के लिए राज्य के विभिन्न जिलों में मलेरिया से जुड़े कर्मचारी और पदाधिकारी लोगों को सुझाव देते है.


इन इलाकों में ज्यादा मरीज
राज्य के पलामू प्रमंडल के लातेहार इलाका, कोल्हान के चाईबासा सरायकेला और संथाल इलाकों में मलेरिया से ग्रसित मरीजों की संख्या ज्यादा देखी जाती है. खासकर पिछले 3 वर्षों में लातेहार से सबसे ज्यादा मरीज मलेरिया से ग्रसित पाए गए है.

ये भी देखें- आपत्तिजनक हालत में भीड़ के हत्थे चढ़ा प्रेमी युगल, ग्रामीणों ने की जमकर पिटाई

वहीं, राज्य के जिलों में मलेरिया से ग्रसित मरीज को सही उपचार कराने हेतु डिस्ट्रिक्ट मलेरिया ऑफिसर को जिम्मेदारी दी गई है, ताकि मलेरिया से जुड़े मरीजों का जिले के सीएससी और सदर अस्पताल में उचित और समुचित इलाज हो सके.

गौरतलब है कि मलेरिया सहित मच्छरों से जुड़े अन्य बीमारियों को लेकर राज्य सरकार लगातार सजग है और सरकार इस पर काबू पाने के लिए विभिन्न योजनाओं को लोगों के बीच चला कर उसे जागृत करने की कोशिश कर रही है, लेकिन अभी तक झारखंड में मलेरिया से बीमार होने वाले लोगों की संख्या में काबू नहीं पाया गया है, जो निश्चित रूप से राज्य के स्वास्थ्य विभाग पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है.

Intro:देश में चिकित्सा पद्धति भले ही मजबूत हो रही है लेकिन झारखंड में आज भी कई ऐसे प्रांत है जहां मलेरिया, डेंगू,कालाजार, चिकनगुनिया के प्रकोप से लोग बीमार हो रहे हैं वहीं कुछ मरीजों की मौतें भी हो रही।

झारखंड में मच्छर के काटने की वजह से होने वाली बीमारियों के मरीज़ हजारों की संख्या में देखे जाते हैं, खासकर मलेरिया के मरीज राज्य के विभिन्न जिलों में पाये गए हैं।




Body:झारखंड के नेशनल हेल्थ मिशन कार्यालय के अनुसार के विभिन्न जिलों में मलेरिया के आज भी हजारों मरीज पाए जाते हैं जिनके लिए सरकार कई योजनाओं को ग्रामीण क्षेत्रों में क्रियान्वित की हुई है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष पिछले 5 वर्षों में मलेरिया से ग्रसित मरीजों की संख्या।

वर्ष 2015 में 104 800 मलेरिया के मरीज पाए गए।
वर्ष 2016 में 14 14 14 मलेरिया के मरीज पाए गए
वर्ष 2017 में 94114 मलेरिया के मरीज पाए गए
वर्ष 2018 में 5 7095 मलेरिया के मरीज पाए गए।

वहीं सरकारी आंकड़ों के अनुसार मलेरिया से ग्रसित हुए 27 मरीजों की मौत भी हुई है।

वहीं स्वास्थ विभाग के द्वारा मलेरिया के प्रकोप से बचाने के लिए विभिन्न योजनाएं क्रियान्वित है जैसे इनडोर रेसीडुएल स्प्रे का छिड़काव, लॉन्ग लास्टिंग इंसेक्टिसाइड ट्रीटेड नेट का वितरण, अर्ली डायग्नोसिस एंड कंपलीट ट्रीटमेंट, स्कूल अवेयरनेस प्रोग्राम, इंफॉर्मेशन, एजुकेशन कम्युनिकेशन सहित कई योजनाएं चलाकर मलेरिया पर काबू पाने का प्रयास सरकार द्वारा लगातार किया जा रहा है।

मच्छरों के काटने से सिर्फ मलेरिया ही नहीं बल्कि फलेरिया, डेंगू चिकनगुनिया, जापानी इंसेफेलाइटिस, कालाजार सहित कई बीमारियां हैं जिसका प्रकोप से बचने के लिए राज्य के विभिन्न जिलों में मलेरिया से जुड़े कर्मचारी एवं पदाधिकारियों के द्वारा लोगों को सुझाव दिये जाते हैं।

राज्य के पलामू प्रमंडल के लातेहार इलाके,कोल्हान के चाईबासा सरायकेला एवं संथाल इलाकों में मलेरिया से ग्रसित मरीजों की संख्या ज्यादा देखी जाती है खासकर पिछले 3 वर्षों में लातेहार से सबसे ज्यादा मरीज मलेरिया से ग्रसित पाए गए हैं।


Conclusion:वहीं राज्य के जिलों में मलेरिया से ग्रसित मरीज को सही उपचार कराने हेतु डिस्ट्रिक्ट मलेरिया ऑफिसर को जिम्मेदारी दी गई है ताकि मलेरिया से जुड़े मरीजों का जिले के सीएससी एवं सदर अस्पताल में उचित एवं समुचित इलाज हो सके।

गौरतलब है कि मलेरिया सहित मच्छरों से जुड़े अन्य बीमारियों को लेकर राज्य सरकार लगातार सजग है और सरकार इस पर काबू पाने के लिए विभिन्न योजनाओं को लोगों के बीच चला कर उसे जागृत करने की कोशिश कर रही है लेकिन अभी तक झारखंड में मलेरिया से बीमार होने वाले लोगों की संख्या में काबू नहीं पाया गया है जो निश्चित रूप से राज्य के स्वास्थ्य विभाग पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।

बाइट- भागवत मरांडी,अपर निदेशक,स्वास्थ्य विभाग।
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