रांची: झारखंड के लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना शुरू से ही एक बड़ी समस्या रही है. ऐसे में राज्य के लोगों के घरों तक पाइप से पानी पहुंचाने की योजना काफी कारगर साबित होती. भारत सरकार ने स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अपने फंड का उपयोग कर 2019 में हर घर नल जल योजना भी शुरू की है. लेकिन झारखंड में इस योजना की गति बहुत धीमी है.
राज्य में 61 लाख 69 हजार 152 घरों में नल का जल पहुंचाने का लक्ष्य है, लेकिन अब तक 27 लाख 62 हजार 359 घरों में ही नल जल का कनेक्शन दिया जा सका है. इसका मतलब यह है कि राज्य में करीब 34 लाख से अधिक घरों में 'हर घर, नल जल' योजना का कनेक्शन ही नहीं पहुंचा है.
जलमीनार की कमी: राजधानी रांची में भी इस योजना की गति काफी धीमी है. जानकारों का कहना है कि एक तरफ जहां राजधानी के कई इलाकों में घरों तक पाइप जल योजना नहीं पहुंची है, वहीं दूसरी तरफ राजधानी की बढ़ती आबादी के अनुरूप पर्याप्त संख्या में जलमीनार नहीं बनाये गये हैं. जबकि राज्य के शहरी क्षेत्रों की आबादी के लिए कम से कम 45 जल मीनार की आवश्यकता है, वहां लगभग 25 जल मीनार ही बनाये गये हैं.
साल भर बाद भी नहीं पहुंचा पानी: राजधानी में 'हर घर नल जल योजना' की स्थिति का जायजा लेने जब ईटीवी भारत की टीम शहरी क्षेत्र के चापू टोली पहुंची तो पाया कि 'हर घर नल जल योजना' के पाइप और नल एक साल पहले लगाए गए थे. लेकिन आज तक इसमें पानी ही नहीं आया. वहां रहने वाली महिलाओं ने पेयजल की समस्या का जिक्र करते हुए कहा कि पास के बोरिंग से पानी लाना पड़ता है. अधिकांश हैंडपंप खराब हैं, लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं जाता.
2024 के अंत तक पहुंचा दिया जाएगा सभी घरों में पानी: राज्य के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने राज्य में हर घर तक पेयजल पहुंचाने की योजना की गति धीमी होने की बात स्वीकार करते हुए कहा कि कोरोना के कारण हम दो साल पिछड़ गये. उन्होंने कहा कि नल जल योजना की पहुंच 04 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 50 प्रतिशत घरों तक पहुंच जाना एक उपलब्धि है. उन्होंने आश्वासन दिया कि वर्ष 2024 के अंत तक राज्य के सभी घरों में पाइप के जरिये पीने का पानी पहुंचा दिया जायेगा.