रांचीः ओडिशा की आदिवासी राजनीतिज्ञ द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पहली महिला राज्यपाल हैं. साल 2015 में उन्होंने झारखंड के नौवीं और प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल के रूप में शपथ ग्रहण किया. इस तरह वो देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल बनीं. अपनी कार्यकुशलता की बदौलत आज वो एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हैं. अगर द्रौपदी मुर्मू चुनाव जीत कर राष्ट्रपति बन जाती हैं, तो वो पहली आदिवासी महिला होंगी जो देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचेंगी. इसको लेकर प्रदेश के आला नेताओं ने उन्हें ट्वीट कर बधाई दी है.
इसे भी पढ़ें- राष्ट्रपति चुनाव : द्रौपदी मुर्मू होंगी एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार
झारखंड में राज्यपाल बनने के साथ-साथ विवि के कुलाधिपति के रूप में उच्च शिक्षा में सुधार के लिए लगातार प्रयास करती रहीं है. अपने कार्यकाल में कई विवि के कुलपति व प्रतिकुलपति की नियुक्ति कीं. 10 दिसंबर 2016 को सभी विवि के लिए लोक अदालत लगाने का कार्य किया. जिसमें विवि शिक्षकों ,कर्मचारियों के लगभग पांच हजार मामलों का निबटारा कर लगभग 127 लाख रुपये लाभुकों के बीच बंटवाया.
इतना ही नहीं कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालयों लगातार निरीक्षण कर उसकी स्थिति को सुधारने का कार्य किया. विवि और कॉलेजों में नामांकन प्रक्रिया केंद्रीयकृत कराने के लिए चांसलर पोर्टल का निर्माण कराया. सुदुरवर्ती गांवों का दौरा कर लोगों से संवाद कर केंद्र और राज्य की योजनाओं का लाभ लेने की अपील करती थीं. आवासीय विद्यालयों की दशा में सुधार लाने सहित युवाओं को कौशल युक्त बनाने के लिए विभिन्न कौशल विकास केंद्रों का भ्रमण कर आवश्यक दिशा-निर्देश देती रहीं.
रांची विश्वविद्यालय के रेडियो खांची का उद्घाटन और इसके संचालन में इनकी अहम भूमिका रही है. रांची विश्वविद्यालय के रेडियो खांची को भारत सरकार के दूरसंचार विभाग द्वारा लगातार कई प्रोजेक्ट दिए जा रहे हैं. अब तक डेढ़ सौ से ज्यादा केंद्रीय प्रोजेक्ट पर यह कम्युनिटी रेडियो काम कर चुका है. इसमें राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू की भी अहम भूमिका रही है. इसके अलावा राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट का काम इनके कार्यकाल के दौरान ही हुआ है. रांची विश्वविद्यालय का मोराबादी कैंपस हो या फिर डीएसपीएमयू से जुड़े भवन भी इनके कार्यकाल में ही दुरुस्त किया गया है.
इतना ही नहीं कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालयों लगातार निरीक्षण कर उसकी स्थिति को सुधारने का कार्य किया. विवि और कॉलेजों में नामांकन प्रक्रिया केंद्रीयकृत कराने के लिए चांसलर पोर्टल का निर्माण कराया. सुदुरवर्ती गांवों का दौरा कर लोगों से संवाद कर केंद्र व राज्य की योजनाओं का लाभ लेने की अपील करती थीं. आवासीय विद्यालयों की दशा में सुधार लाने सहित युवाओं को कौशल युक्त बनाने के लिए विभिन्न कौशल विकास केंद्रों का भ्रमण कर आवश्यक दिशा-निर्देश देती रहीं.
राजनीतिक सफर पर एक नजर : 20 जून 1958 को ओडिशा में एक साधारण संथाल आदिवासी परिवार में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू ने 1997 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. वह 1997 में ओडिशा के रायरंगपुर में जिला बोर्ड की पार्षद चुनी गई थीं. राजनीति में आने के पहले वह श्री अरविंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायरंगपुर में मानद सहायक शिक्षक और सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में काम कर चुकी है. वह ओडिशा में दो बार विधायक रह चुकी हैं और उन्हें नवीन पटनायक सरकार में मंत्री पद पर भी काम करने का मौका मिला था. उस समय बीजू जनता दल और बीजेपी के गठबंधन की सरकार थी. ओडिशा विधानसभा ने द्रौपदी मुर्मू को सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से भी नवाजा था.