ETV Bharat / state

राज्यपाल रमेश बैस ने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को लिखी चिट्ठी, पारसनाथ को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने पर पुनर्विचार की मांग

जैन धर्मावलंबियों के पवित्र स्थल पारसनाथ को झारखंड सरकार ने पर्यटन स्थल घोषित किया है. जिसके बाद जैन समाज इसका विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि इससे इस जगह की पवित्रता भंग हो जाएगी. इसे लेकर राज्यपाल रमेश बैस ने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को चिट्ठी लिख कर इस मामले में पुनर्विचार करने की बात कही है (Ramesh Bais wrote letter to Minister Bhupendra Yadav).

governor Ramesh Bais
governor Ramesh Bais
author img

By

Published : Dec 23, 2022, 8:32 PM IST

रांची: झारखंड सरकार ने जैन धर्मावलंबियों के पवित्र स्थल को पर्यटन स्थल घोषित किया है. इसका विरोध जैन समाज की ओर से किया जा रहा है. इस विवाद के बीच राज्यपाल रमेश बैस ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव को चिठ्ठी लिखी है. उन्होंने इस पर समीक्षा करने और पुनर्विचार करने की बात कही है.



जैन धर्मावलंबियों का पवित्र स्थल को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के फैसले पर विवाद हो गया है. इस बीच राज्यपाल रमेश बैस ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव को चिठ्ठी लिखी है. राज्यपाल रमेश बैस ने गिरिडीह में जैन धर्मावलम्बियों के तीर्थ स्थल पारसनाथ के संदर्भ में पत्र लिखकर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा है कि झारखंड सरकार की अनुशंसा पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा इसे 2019 में वन्य जीव अभयारण्य का एक भाग घोषित कर इको सेंसेटिव जोन के अंतर्गत रखा गया है.

राज्यपाल रमेश बैस ने चिट्ठी में लिखा कि झारखंड सरकार ने इसे पर्यटन स्थल घोषित किया गया. इस पवित्र स्थल में मांस-मदिरा समेत अन्य कई प्रतिबंधित पदार्थों के सेवन की शिकायतें भी आ रही हैं. अपने पत्र में राज्यपाल ने कहा है कि यह पवित्र स्थल दुनिया भर में जैन धर्मावलम्बियों का सबसे बड़ा तीर्थस्थल है. उनके 24 में से 20 तीर्थंकरों के निर्वाण (मोक्ष) स्थल है. यह पूरे विश्व के जैन समाज के लोगों की आस्था से जुड़ा है. पारसनाथ को झारखंड सरकार ने पर्यटन स्थल घोषित किए जाने पर जैन समाज का मानना है कि इससे यहां की पवित्रता भंग होगी.

राज्यपाल ने अपनी चिट्ठी ने लिखा है कि इस संदर्भ में कई ज्ञापन प्राप्त हुए और उनसे जबलपुर, दमोह, उदयपुर, आगरा और अन्य जगहों से जैन समाज के कई प्रतिनिधि मिलने आये और उन्होंने इस पर अपनी आपत्ति प्रकट की. इस संदर्भ में विश्व जैन संगठन ने 26 मार्च 2022, 6 जून 2022, 2 अगस्त 2022 और 11 दिसंबर 2022 को देशव्यापी शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन 'श्री सम्मेद शिखर जी बचाओ आंदोलन' के नाम से किया गया.

राज्यपाल ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव से कहा है कि यह मामला जैन समाज के लोगों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है, उनकी भावनाओं को आहत न पहुंचे, इस दृष्टि से उनकी आस्था को ध्यान में रखते हुए इस विषय की फिर से समीक्षा और पुनर्विचार किया जाना चाहिए ताकि इस पवित्र स्थल की पवित्रता को ठेस न पहुंचे. पारसनाथ पर्वतराज व मधुबन को पवित्र जैन तीर्थस्थल ही रहने दिया जाय.

रांची: झारखंड सरकार ने जैन धर्मावलंबियों के पवित्र स्थल को पर्यटन स्थल घोषित किया है. इसका विरोध जैन समाज की ओर से किया जा रहा है. इस विवाद के बीच राज्यपाल रमेश बैस ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव को चिठ्ठी लिखी है. उन्होंने इस पर समीक्षा करने और पुनर्विचार करने की बात कही है.



जैन धर्मावलंबियों का पवित्र स्थल को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के फैसले पर विवाद हो गया है. इस बीच राज्यपाल रमेश बैस ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव को चिठ्ठी लिखी है. राज्यपाल रमेश बैस ने गिरिडीह में जैन धर्मावलम्बियों के तीर्थ स्थल पारसनाथ के संदर्भ में पत्र लिखकर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा है कि झारखंड सरकार की अनुशंसा पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा इसे 2019 में वन्य जीव अभयारण्य का एक भाग घोषित कर इको सेंसेटिव जोन के अंतर्गत रखा गया है.

राज्यपाल रमेश बैस ने चिट्ठी में लिखा कि झारखंड सरकार ने इसे पर्यटन स्थल घोषित किया गया. इस पवित्र स्थल में मांस-मदिरा समेत अन्य कई प्रतिबंधित पदार्थों के सेवन की शिकायतें भी आ रही हैं. अपने पत्र में राज्यपाल ने कहा है कि यह पवित्र स्थल दुनिया भर में जैन धर्मावलम्बियों का सबसे बड़ा तीर्थस्थल है. उनके 24 में से 20 तीर्थंकरों के निर्वाण (मोक्ष) स्थल है. यह पूरे विश्व के जैन समाज के लोगों की आस्था से जुड़ा है. पारसनाथ को झारखंड सरकार ने पर्यटन स्थल घोषित किए जाने पर जैन समाज का मानना है कि इससे यहां की पवित्रता भंग होगी.

राज्यपाल ने अपनी चिट्ठी ने लिखा है कि इस संदर्भ में कई ज्ञापन प्राप्त हुए और उनसे जबलपुर, दमोह, उदयपुर, आगरा और अन्य जगहों से जैन समाज के कई प्रतिनिधि मिलने आये और उन्होंने इस पर अपनी आपत्ति प्रकट की. इस संदर्भ में विश्व जैन संगठन ने 26 मार्च 2022, 6 जून 2022, 2 अगस्त 2022 और 11 दिसंबर 2022 को देशव्यापी शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन 'श्री सम्मेद शिखर जी बचाओ आंदोलन' के नाम से किया गया.

राज्यपाल ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव से कहा है कि यह मामला जैन समाज के लोगों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है, उनकी भावनाओं को आहत न पहुंचे, इस दृष्टि से उनकी आस्था को ध्यान में रखते हुए इस विषय की फिर से समीक्षा और पुनर्विचार किया जाना चाहिए ताकि इस पवित्र स्थल की पवित्रता को ठेस न पहुंचे. पारसनाथ पर्वतराज व मधुबन को पवित्र जैन तीर्थस्थल ही रहने दिया जाय.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.