रांचीः झारखंड में बढ़ते कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच राज्य सरकार गंभीर है. सरकार एहतियात के तौर पर सभी कदम उठा रही है. अब इसको लेकर सरकार बड़ कदम उठाने जा रही है. सरकार अब उन जिलों में लॉकडाउन के नियमों को और भी सख्त करने का मन बना रही है जहां सबसे ज्यादा संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि राज्य सरकार के पास इस महामारी के इलाज को लेकर सीमित इंफ्रास्ट्रक्चर है, जबकि संक्रमण की दर उससे कहीं ज्यादा है. एक गणना के अनुसार जुलाई में शुरुआती 10 दिनों में ही 120 कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए, जबकि अप्रैल में यह आंकड़ा 82 का था और मई में 49 का.
वहीं जून में 95 पॉजिटिव मामले सामने आए थे. सरकारी आंकड़ों पर यकीन करें तो राज्य में अब तक 3,700 से अधिक लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. उनमें राज्य के एक कैबिनेट मंत्री, सत्तारूढ़ दल के विधायक समेत दो पूर्व विधायक भी शामिल हैं.
अधिक संक्रमण वाले जिलों पर है नजर
स्टेट सेक्रेटेरिएट के सूत्रों की मानें तो ऐसे जिलों पर नजर रखी जा रही है जहां अब तक कोरोना संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं. उन वल्नरेबल डिस्ट्रिक्ट में सबसे ज्यादा संक्रमितों की संख्या अब तक पूर्वी सिंहभूम में सामने आई है. उसके बाद रांची, सिमडेगा, धनबाद, हजारीबाग गुमला और चतरा जिले शामिल है. आंकड़ों के हिसाब से सबसे कम संक्रमण जामताड़ा और खूंटी जिले में पाया गया है.
पूर्वी सिंहभूम में है सबसे अधिक एक्टिव केस
वहीं अगर एक्टिव केस की बात करें तो अभी सबसे ज्यादा एक्टिव केस पूर्वी सिंहभूम में हैं, जबकि दूसरे नंबर पर रांची और उसके बाद धनबाद और कोडरमा है. हालांकि राज्य सरकार ने सभी जिलों के डिप्टी कमिश्नर को हिदायत दी है कि वह अपने अपने जिलों की स्थिति को देखते हुए लॉकडाउन के प्रावधानों को कड़ाई से लागू करें.
इसी क्रम में देवघर में जिला प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि झारखंड के बाहर से आने वाले लोगों को सबसे पहले कोविड-19 की जांच करानी होगी और जब तक उनके रिपोर्ट नेगेटिव नहीं आ जाती तब तक सरकारी क्वारंटाइन में रहना होगा.
31 जुलाई तक कड़ाई से लागू होगा लॉकडाउन
उसी तरह अलग-अलग जिलों के डिप्टी कमिश्नर ने ट्वीट कर स्पष्ट किया है कि लॉकडाउन 31 जुलाई तक रहेगा, इस दौरान रात के 10 बजे से लेकर सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू जैसी स्थिति होगी. हालांकि जरूरी सेवाएं चलती रहेंगी, लेकिन अभी भी झारखंड में शॉपिंग मॉल, सैलून, रेहड़ी वाले, सिनेमा हॉल, पार्क और मनोरंजन के साधन पर रोक लगी हुई है.
सबसे बड़ी बात है कि अभी तक झारखंड में मंदिरों के दरवाजे भी आम लोगों के लिए नहीं खोले गए हैं. संक्रमण की गंभीरता को इस बात से समझा जा सकता है कि राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद होम क्वारंटाइन में है. हालांकि उनकी टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आई है, जबकि पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर कोविड-19 इलाज करा रहे हैं. वहीं कुछ राजनेता सेल्फ आइसोलेशन में भी रह रहे हैं.
इस वजह से नहीं लगाना चाहती है सरकार पूर्ण लॉकडाउन
दरअसल सरकारी सूत्रों का मानना है कि कोविड-19 का संक्रमण झारखंड में बढ़ने की एक वजह प्रवासी मजदूरों का लौटना है. साथ ही राज्य सरकार ने साफ किया है कि झारखंड के स्थानीय लोगों में संक्रमण बाहर से आ रहे लोगों की वजह से फैल रहा है.
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इसी कारण झारखंड में ट्रेनों का परिचालन भी न के बराबर हो गया है. बिहार से आने वाली ट्रेन है झारखंड नहीं आ रही हैं दूसरी सबसे बड़ी वजह यह है कि आर्थिक गतिविधियां शुरू हो जाने के बाद उन्हें बंद करने पर लोगों के सामने जीविका का संकट पैदा हो जाएगा, जबकि झारखंड से सटे पड़ोसी राज्य बिहार में आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से खोल दी गई हैं. ऐसे में राज्य सरकार दोहरी मार झेल सकती है यही वजह है कि राज्य सरकार फिलहाल पूर्ण लॉकडाउन के पक्ष में नहीं है.