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Omicron Variant: हे भगवान! महिला में न मिले ओमीक्रोन वैरिएंट, केरल की संक्रमित के सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग होगी

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Published : Dec 12, 2021, 8:49 PM IST

Updated : Dec 12, 2021, 9:04 PM IST

Omicron Variant के मामले देश में बढ़ रहे हैं. इस बीच रिम्स में केरल की कोरोना संक्रमित को इलाज के लिए भर्ती कराया गया है. संक्रमित का जुड़ाव केरल से होने के कारण वैरिएंट का पता लगाने के लिए genome sequencing कराने की तैयारी की जा रही है.

Genome sequencing of Kerala woman infected will be done on suspicion of Omicron variant
हे भगवान! महिला में न मिले ओमीक्रोन वैरिएंट

रांची: रिम्स के न्यू ट्रॉमा सेंटर में 50 वर्षीय कोरोना संक्रमित महिला को भर्ती किया गया है. यह महिला केरल की रहने वाली है और रांची के गोंदलीपोखर में रह रही थी. संक्रमित महिला कोरोना के एसिम्प्टोमेटिक लक्षण वाली है. उसकी जांच रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव निकलने के बाद महिला के सैंपल की genome sequencing भी कराई जाने की तैयारी की जा रही है, ताकि कोरोना के वैरिएंट का पता चल सके.

ये भी पढ़ें-Omicron Variant in Jharkhand: स्वास्थ्य विभाग अलर्ट, अधिकारियों ने सदर अस्पताल का किया निरीक्षण

गौरतलब है कि ट्रॉमा सेंटर में कोरोना के 2 संक्रमित मरीज पहले से भर्ती हैं. इनका इलाज किया जा रहा है. इस बीच रिम्स में कोरोना संक्रमित मरीज लाई गई. महिला में कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने के बाद उसे रिम्स के एंबुलेंस से ही ट्रॉमा सेंटर लाया गया. यहां रिम्स के न्यू ट्रॉमा सेंटर में उसे भर्ती कराया गया. इसी के साथ यहां कोरोना संक्रमित भर्ती मरीजों की संख्या तीन हो गई है. बाद में पता चला की महिला केरल की रहने वाली है. महिला का जुड़ाव केरल से होने के कारण ओमीक्रोन की आशंका में उसके सैंपल की genome sequencing कराने की तैयारी की जा रही है. महिला की ट्रवेल हिस्ट्री खंगाली जा रही है.


ओमीक्रोन को लेकर अलर्ट

इधर, देश में बढ़ रहे ओमीक्रोन वैरिएंट के मामलों को देखते हुए झारखंड स्वास्थ्य विभाग अलर्ट है. रिम्स प्रबंधन ने भी तैयारियां कर रखी हैं. फिलहाल रिम्स के न्यू ट्रामा सेंटर में ऑक्सीजन रहित बेड और आईसीयू के सारे इंतजाम रखे गए हैं ताकि यदि कोई गंभीर संक्रमित मरीज पहुंचे तो उसका तुरंत इलाज किया जा सके. इससे पहले रिम्स निदेशक डॉ. कामेश्वर प्रसाद ने ट्रॉमा सेंटर का निरीक्षण किया था. साथ ही डॉक्टर्स के साथ मंथन कर महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए थे.

ये है जीनोम सिक्वेंसिंग

बता दें कि हमारी कोशिकाओं में आनुवांशिक पदार्थ DNA, RNA होते हैं. इन पदार्थों को सामूहिक रूप से जीनोम कहा जाता है. एक जीन की तय जगह, दो जीन के बीच की दूरी, उसके आंतरिक हिस्सों के व्यवहार और उसके बीच की दूरी को समझने के लिए कई तरीकों से जीनोम सिक्वेंसिंग की जाती है. इससे पता चलता है कि किस तरह के बदलाव आए हैं. कोरोना वायरस की जीनोम मैपिंग या जीनोम सिक्वेंसिंग से पता चलता है कि वायरस पुराने वायरस से कितना अलग है. इससे ओमीक्रोन वैरिएंट की भी पहचान संभव है.

रांची: रिम्स के न्यू ट्रॉमा सेंटर में 50 वर्षीय कोरोना संक्रमित महिला को भर्ती किया गया है. यह महिला केरल की रहने वाली है और रांची के गोंदलीपोखर में रह रही थी. संक्रमित महिला कोरोना के एसिम्प्टोमेटिक लक्षण वाली है. उसकी जांच रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव निकलने के बाद महिला के सैंपल की genome sequencing भी कराई जाने की तैयारी की जा रही है, ताकि कोरोना के वैरिएंट का पता चल सके.

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गौरतलब है कि ट्रॉमा सेंटर में कोरोना के 2 संक्रमित मरीज पहले से भर्ती हैं. इनका इलाज किया जा रहा है. इस बीच रिम्स में कोरोना संक्रमित मरीज लाई गई. महिला में कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने के बाद उसे रिम्स के एंबुलेंस से ही ट्रॉमा सेंटर लाया गया. यहां रिम्स के न्यू ट्रॉमा सेंटर में उसे भर्ती कराया गया. इसी के साथ यहां कोरोना संक्रमित भर्ती मरीजों की संख्या तीन हो गई है. बाद में पता चला की महिला केरल की रहने वाली है. महिला का जुड़ाव केरल से होने के कारण ओमीक्रोन की आशंका में उसके सैंपल की genome sequencing कराने की तैयारी की जा रही है. महिला की ट्रवेल हिस्ट्री खंगाली जा रही है.


ओमीक्रोन को लेकर अलर्ट

इधर, देश में बढ़ रहे ओमीक्रोन वैरिएंट के मामलों को देखते हुए झारखंड स्वास्थ्य विभाग अलर्ट है. रिम्स प्रबंधन ने भी तैयारियां कर रखी हैं. फिलहाल रिम्स के न्यू ट्रामा सेंटर में ऑक्सीजन रहित बेड और आईसीयू के सारे इंतजाम रखे गए हैं ताकि यदि कोई गंभीर संक्रमित मरीज पहुंचे तो उसका तुरंत इलाज किया जा सके. इससे पहले रिम्स निदेशक डॉ. कामेश्वर प्रसाद ने ट्रॉमा सेंटर का निरीक्षण किया था. साथ ही डॉक्टर्स के साथ मंथन कर महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए थे.

ये है जीनोम सिक्वेंसिंग

बता दें कि हमारी कोशिकाओं में आनुवांशिक पदार्थ DNA, RNA होते हैं. इन पदार्थों को सामूहिक रूप से जीनोम कहा जाता है. एक जीन की तय जगह, दो जीन के बीच की दूरी, उसके आंतरिक हिस्सों के व्यवहार और उसके बीच की दूरी को समझने के लिए कई तरीकों से जीनोम सिक्वेंसिंग की जाती है. इससे पता चलता है कि किस तरह के बदलाव आए हैं. कोरोना वायरस की जीनोम मैपिंग या जीनोम सिक्वेंसिंग से पता चलता है कि वायरस पुराने वायरस से कितना अलग है. इससे ओमीक्रोन वैरिएंट की भी पहचान संभव है.

Last Updated : Dec 12, 2021, 9:04 PM IST
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