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रांची के इस पंडाल में दिखेगा अंडमान-निकोबार के जारवा जनजाति का रहन सहन, कराया गया है इको फ्रेंडली पंडाल का निर्माण

रांची में दुर्गा पूजा काफी धूमधाम से मनाई जाती है. इस बार भी सभी पंडालों को काफी भव्य तरीके से सजाया गया है. वहीं मोरहाबादी स्थित गीतांजलि दुर्गा पूजा पंडाल में अंडमान-निकोबार के जारवा जनजाति का रहन सहन के थीम पर पंडाल का निर्माण किया गया है. वहीं, इस पंडाल की सबसे खास बात यह है कि पूरे पंडाल को इको फ्रेंडली बनाया गया है.

गीतांजलि दुर्गा पूजा पंडाल
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Published : Oct 5, 2019, 10:00 AM IST

रांची: शहर में दुर्गोत्सव बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है, 9 दिनों तक चलने वाला आस्था का महापर्व दुर्गा पूजा कलश स्थापना के साथ ही शुरू हो जाती है. इसके लिए सभी पूजा समितियां भव्य पंडाल का निर्माण कराती है.

देखें पूरी खबर

रांची के विभिंन पूजा पंडालों में अलग-अलग थीम के साथ पंडाल का निर्माण कराया जाता है. इस बार रांची के मोरहाबादी स्थित गीतांजलि क्लब दुर्गा पूजा समिति ने पूजा पंडाल में अंडमान निकोबार के जारवा जनजाति के रहन सहन और उसके उत्साह को दर्शाया गया है.

पंडाल और पूजा समिति के लोगों ने बताया कि झारखंड आदिवासी बहुल क्षेत्र है और ऐसे में अंडमान-निकोबार के जारवा जनजाति का रहन-सहन से झारखंड के लोगों को रूबरू कराने के उद्देश्य से इस पूजा पंडाल का निर्माण कराया गया है. हर साल गीतांजलि पूजा पंडाल अलग थीम के साथ अपनी भव्यता के लिए जानी जाती है.

ये भी देखें- शहीद जवानों के प्रति सीएम रघुवर दास ने जताया शोक, कहा- नक्सली लड़ रहे हैं झारखंड में आखिरी लड़ाई

इस बार लगभग 18 से 20 लाख की लागत से इस पूजा पंडाल का निर्माण कराया गया है. पंडाल के निर्माण के लिए पिछले 3 महीने से तैयारी की जा रही है. बंगाल के 30 एक्सपर्ट कारीगर भव्य पंडाल का निर्माण कर रहें हैं. साथ ही पर्यावरण के दृष्टिकोण से इको फ्रेंडली पंडाल बनाया गया हैं, जो श्रद्धालुओं को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने का काम करेगी.

रांची: शहर में दुर्गोत्सव बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है, 9 दिनों तक चलने वाला आस्था का महापर्व दुर्गा पूजा कलश स्थापना के साथ ही शुरू हो जाती है. इसके लिए सभी पूजा समितियां भव्य पंडाल का निर्माण कराती है.

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रांची के विभिंन पूजा पंडालों में अलग-अलग थीम के साथ पंडाल का निर्माण कराया जाता है. इस बार रांची के मोरहाबादी स्थित गीतांजलि क्लब दुर्गा पूजा समिति ने पूजा पंडाल में अंडमान निकोबार के जारवा जनजाति के रहन सहन और उसके उत्साह को दर्शाया गया है.

पंडाल और पूजा समिति के लोगों ने बताया कि झारखंड आदिवासी बहुल क्षेत्र है और ऐसे में अंडमान-निकोबार के जारवा जनजाति का रहन-सहन से झारखंड के लोगों को रूबरू कराने के उद्देश्य से इस पूजा पंडाल का निर्माण कराया गया है. हर साल गीतांजलि पूजा पंडाल अलग थीम के साथ अपनी भव्यता के लिए जानी जाती है.

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इस बार लगभग 18 से 20 लाख की लागत से इस पूजा पंडाल का निर्माण कराया गया है. पंडाल के निर्माण के लिए पिछले 3 महीने से तैयारी की जा रही है. बंगाल के 30 एक्सपर्ट कारीगर भव्य पंडाल का निर्माण कर रहें हैं. साथ ही पर्यावरण के दृष्टिकोण से इको फ्रेंडली पंडाल बनाया गया हैं, जो श्रद्धालुओं को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने का काम करेगी.

Intro:रांची
वकथ्रू...विजय कुमार गोप

राजधानी रांची में दुर्गोत्सव बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है 9 दिनों तक चलने वाला आस्था का महापर्व दुर्गा पूजा कलश स्थापना के साथ ही शुरू हो जाती है इसको लेकर पूजा समितियों द्वारा भव्य पंडाल का निर्माण कराया जाता है। रांची के विभिन्न पूजा पंडालों में अलग-अलग थीम के साथ पूजा पंडाल का निर्माण कराया जाते हैं। इस बार रांची के मोराबादी स्थित गीतांजलि क्लब दुर्गा पूजा समिति द्वारा निर्माण पूजा पंडाल में अंडमान निकोबार के जारवा जनजाति का रहन सहन और उसके उत्साह को दर्शाया गया है। पंडालों का भ्रमण करते हुए पूजा समिति के लोगों से बातचीत की हमारे संवाददाता विजय कुमार गोप ने कि आखिर किस उद्देश्य के साथ और कितने की लागत से पंडाल का निर्माण कराया गया है।


Body:झारखंड आदिवासी बहुल क्षेत्र माना जाता है ऐसे में अंडमान निकोबार के जारवा जनजाति लोगों के रहन-सहन से झारखंड के लोगों को रूबरू कराने के उद्देश्य से इस पूजा पंडाल का निर्माण कराया गया है हर वर्ष गीतांजलि पूजा पंडाल अलग टीम के साथ अपनी भव्यता को लेकर जानी जाती है इस बार लगभग 18 से 20 लाख की लागत से इस पूजा पंडाल का निर्माण कराया गया है पंडाल के निर्माण को लेकर पिछले 3 महीने से तैयारी की जा रही है बंगाल के 30 एक्सपर्ट कारीगरों द्वारा भव्य पंडाल का निर्माण कराया गया है साथ ही पर्यावरण के दृष्टिकोण से इको फ्रेंडली पंडाल बनाया जा रहे हैं जो श्रद्धालुओं को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने का काम करेगी।


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