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RIMS में खुलेआम मरीजों को सेवा देने के नाम पर दलाली, बिना अनुमति के काम कर रही थी निजी एजेंसी

रिम्स में खुलेआम मरीजों को सेवा देने के नाम पर दलाली करने का मामला सामने आया है. बिना प्रबंधन की अनुमति के रिम्स ट्रॉमा सेंटर में निजी एजेंसी काम कर रही थी. रिम्स के ट्रॉमा सेंटर में कोरोना पॉजिटिव मरीज का इलाज चल रहा था.

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Published : Dec 29, 2020, 12:35 PM IST

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नर्स सेवा देने के नाम पर ठगी

रांची: राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में खुलेआम मरीजों को सेवा देने के नाम पर निजी एजेंसियां मरीज और उनके परिजनों को ठगने का काम कर रहीं हैं. यह खुलासा तब हुआ जब बोकारो से आए एक मरीज ने ईटीवी सहित अन्य मीडिया के साथ अपना यह वाक्या साझा किया.

देखें पूरी खबर
नर्स सेवा देने की बात
मरीज के परिजन ने बताया कि वह अपने परिवार के किसी शख्स को कोविड-19 होने के बाद रिम्स के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया. जैसे ही वह भर्ती कराने की प्रक्रिया पूरी कर ट्रामा सेंटर बिल्डिंग से बाहर निकले तभी एक शख्स ने उसे नर्स सेवा देने की बात कही. मरीज के परिजन ने बताया कि नर्स सेवा की बात सुनकर वह भी उस ठग पर विश्वास कर गए.

उन्होंने अपने मरीज की सुविधा के लिए नर्स सेवा लेने के लिए तैयार हो गए. परिजन के मुताबिक उससे प्रतिदिन 1500 रुपये के हिसाब से चार्ज लेने की बात कही और 5 दिन का एडवांस मांगा. परिजन ने बताया कि पैसे मांगने वाला शख्स खुद को वैष्णवी हेल्थ केयर संस्था का कर्मचारी बता रहा था.

रिम्स के ट्रॉमा सेंटर में कोरोना पॉजिटिव मरीज का इलाज
पूरे मामले की जानकारी मिलते ही जब ईटीवी के संवाददाता ने वैष्णवी हेल्थ केयर संस्था के संचालक के फोन नंबर से बात की तो उन्होंने भी फोन पर यह कबूल किया कि प्रतिदिन 1500 रुपए के हिसाब से वे लोग रिम्स के ट्रॉमा सेंटर में कोरोना पॉजिटिव मरीज की सेवा करते हैं. इस पर जब हमारे संवाददाता ने उस शख्स से पूछा की आखिर सरकारी संस्था में बिना जानकारी के आप किस प्रकार से मरीजों की सेवा कर रहे है, तो इस पर उन्होंने बताया कि जस्ट डायल में नर्स सेवा देने के नाम से अपनी कंपनी को रजिस्टर कराया हुआ है. उसी आधार पर वह मरीजों को रिम्स के ट्रॉमा सेंटर में सुविधा दे रही है.

इसे भी पढ़ें-देवघरः 13 साइबर अपराधियों को पुलिस ने किया गिरफ्तार, नगद सहित कई समान हुए बरामद


कुछ निजी एजेंसियों को अनुमति
इसको लेकर जब हमारी टीम ने रिम्स के उपाधीक्षक डॉ. संजय कुमार से बात की तो उन्होंने बताया कि प्रबंधन और रिम्स के वरिष्ठ अधिकारी इस पूरे मामले से अनभिज्ञ हैं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि ट्रामा सेंटर के इंचार्ज डॉक्टर प्रदीप भट्टाचार्य ने कुछ निजी एजेंसियों को मरीजों की सेवा करने के लिए अनुमति दी है. लेकिन प्रदीप भट्टाचार्य की तरफ से इसकी जानकारी रिम्स के निदेशक और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं दी गई थी, जिसको लेकर मंगलवार को पूरे मामले पर पूरी जानकारी ली जाएगी.


रिम्स प्रबंधन की तरफ से जारी बयान बेबुनियाद
ईटीवी की टीम ने जब ट्रामा सेंटर के इंचार्ज डॉ. प्रदीप भट्टाचार्य से बात की तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि रिम्स प्रबंधन की तरफ से जारी किया गया बयान बिल्कुल ही बेबुनियाद है. उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि उनकी ओर से किसी भी निजी एजेंसियों को ट्रामा सेंटर में कोरोना पॉजिटिव मरीज की सेवा करने की अनुमति नहीं दी गई है.

अगर रिम्स प्रबंधन इस तरह की बात कह रहा है तो वह निश्चित रूप से अपनी जिम्मेदारियों से बचना चाहता है. पूरे मामले की गहराई और सभी पक्षों से बात करने के बाद यह स्पष्ट हो रहा है कि वैष्णवी हेल्थ केयर संस्थान की तरफ से गलत तरीके से रिम्स जैसे बड़े सरकारी अस्पताल में मरीजों को सेवा देने के नाम पर मोटी रकम की उगाही की जा रही है. जब इसका खुलासा मीडिया की तरफ से किया गया है तो रिम्स के बड़े अधिकारी एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़कर अपनी जिम्मेदारियों से बचना चाहते हैं.

रांची: राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में खुलेआम मरीजों को सेवा देने के नाम पर निजी एजेंसियां मरीज और उनके परिजनों को ठगने का काम कर रहीं हैं. यह खुलासा तब हुआ जब बोकारो से आए एक मरीज ने ईटीवी सहित अन्य मीडिया के साथ अपना यह वाक्या साझा किया.

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नर्स सेवा देने की बातमरीज के परिजन ने बताया कि वह अपने परिवार के किसी शख्स को कोविड-19 होने के बाद रिम्स के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया. जैसे ही वह भर्ती कराने की प्रक्रिया पूरी कर ट्रामा सेंटर बिल्डिंग से बाहर निकले तभी एक शख्स ने उसे नर्स सेवा देने की बात कही. मरीज के परिजन ने बताया कि नर्स सेवा की बात सुनकर वह भी उस ठग पर विश्वास कर गए.

उन्होंने अपने मरीज की सुविधा के लिए नर्स सेवा लेने के लिए तैयार हो गए. परिजन के मुताबिक उससे प्रतिदिन 1500 रुपये के हिसाब से चार्ज लेने की बात कही और 5 दिन का एडवांस मांगा. परिजन ने बताया कि पैसे मांगने वाला शख्स खुद को वैष्णवी हेल्थ केयर संस्था का कर्मचारी बता रहा था.

रिम्स के ट्रॉमा सेंटर में कोरोना पॉजिटिव मरीज का इलाज
पूरे मामले की जानकारी मिलते ही जब ईटीवी के संवाददाता ने वैष्णवी हेल्थ केयर संस्था के संचालक के फोन नंबर से बात की तो उन्होंने भी फोन पर यह कबूल किया कि प्रतिदिन 1500 रुपए के हिसाब से वे लोग रिम्स के ट्रॉमा सेंटर में कोरोना पॉजिटिव मरीज की सेवा करते हैं. इस पर जब हमारे संवाददाता ने उस शख्स से पूछा की आखिर सरकारी संस्था में बिना जानकारी के आप किस प्रकार से मरीजों की सेवा कर रहे है, तो इस पर उन्होंने बताया कि जस्ट डायल में नर्स सेवा देने के नाम से अपनी कंपनी को रजिस्टर कराया हुआ है. उसी आधार पर वह मरीजों को रिम्स के ट्रॉमा सेंटर में सुविधा दे रही है.

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कुछ निजी एजेंसियों को अनुमति
इसको लेकर जब हमारी टीम ने रिम्स के उपाधीक्षक डॉ. संजय कुमार से बात की तो उन्होंने बताया कि प्रबंधन और रिम्स के वरिष्ठ अधिकारी इस पूरे मामले से अनभिज्ञ हैं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि ट्रामा सेंटर के इंचार्ज डॉक्टर प्रदीप भट्टाचार्य ने कुछ निजी एजेंसियों को मरीजों की सेवा करने के लिए अनुमति दी है. लेकिन प्रदीप भट्टाचार्य की तरफ से इसकी जानकारी रिम्स के निदेशक और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं दी गई थी, जिसको लेकर मंगलवार को पूरे मामले पर पूरी जानकारी ली जाएगी.


रिम्स प्रबंधन की तरफ से जारी बयान बेबुनियाद
ईटीवी की टीम ने जब ट्रामा सेंटर के इंचार्ज डॉ. प्रदीप भट्टाचार्य से बात की तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि रिम्स प्रबंधन की तरफ से जारी किया गया बयान बिल्कुल ही बेबुनियाद है. उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि उनकी ओर से किसी भी निजी एजेंसियों को ट्रामा सेंटर में कोरोना पॉजिटिव मरीज की सेवा करने की अनुमति नहीं दी गई है.

अगर रिम्स प्रबंधन इस तरह की बात कह रहा है तो वह निश्चित रूप से अपनी जिम्मेदारियों से बचना चाहता है. पूरे मामले की गहराई और सभी पक्षों से बात करने के बाद यह स्पष्ट हो रहा है कि वैष्णवी हेल्थ केयर संस्थान की तरफ से गलत तरीके से रिम्स जैसे बड़े सरकारी अस्पताल में मरीजों को सेवा देने के नाम पर मोटी रकम की उगाही की जा रही है. जब इसका खुलासा मीडिया की तरफ से किया गया है तो रिम्स के बड़े अधिकारी एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़कर अपनी जिम्मेदारियों से बचना चाहते हैं.

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