नई दिल्ली: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने झारखंड के बोकारो में कोयला ब्लॉक के आवंटन में गड़बड़ी के मामले में चार दोषियों को तीन-तीन साल की सश्रम कैद और कुल एक करोड़ चालीस लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है. कोर्ट ने इस मामले में दोषी कंपनी डोमको पर पचास लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. स्पेशल कोर्ट के जज अरुण भारद्वाज ने ये फैसला सुनाया.
कोर्ट ने दोषी बिनय प्रकाश को तीन साल की सश्रम कैद और अलग-अलग धाराओं का दोषी करार देते हुए कुल पचास लाख रुपये का जुर्माना लगाया. बिनय प्रकाश डोमको कंपनी का मैनेजिंग डायरेक्टर भी है. कोर्ट ने दोषी वसंत दीवाकर मंजरेकर को तीन साल की सश्रम कैद और अलग-अलग धाराओं का दोषी करार देते हुए कुल बीस लाख रुपये का जुर्माना लगाया. कोर्ट ने दोषी परमानंद मंडल को तीन साल की सश्रम कैद और दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया. कोर्ट ने दोषी संजय खंडेलवाल को तीन साल की सश्रम कैद और दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया.
ये भी पढ़ें- ईडी ने होटल ली लैक के खाते से जब्त किए 11.92 लाख, कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले में हुई कार्रवाई
14 सितंबर को कोर्ट ने इन आरोपियों को दोषी करार दिया था. कोर्ट ने रांची की डोमको (DOMCO) नामक कंपनी को दोषी ठहराया था. डोमको कंपनी के अलावा कोर्ट ने जिन लोगों को दोषी ठहराया था उनमें बिनय प्रकाश, वसंत दीवाकर मंजरेकर, परमानंद मंडल, मनोज कुमार गुप्ता और संजय खंडेलवाल शामिल हैं. बिनय प्रकाश डोमको कंपनी के तत्कालीन प्रबंध निदेशक थे जबकि वसंत दीवाकर मंजरेकर और परमानंद मंडल तत्कालीन निदेशक थे. संजय खंडेलवाल कंपनी के चार्टर्ड अकाउंटेंटे थे.
डोमको कंपनी ने कोयला मंत्रालय और स्टील मंत्रालय को पश्चिमी बोकारो कोलफील्ड में लालगढ़ कोयला ब्लॉक के आवंटन के लिए आवेदन दिया था. कंपनी और उसके निदेशकों ने कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल करने के लिए मंत्रालय को झूठी सूचना दी. कंपनी और उसके प्रतिनिधियों ने आवंटन के लिए बनी स्क्रीनिंग कमेटी को भी गलत सूचना दी. सीबीआई के मुताबिक आरोपी बिनय प्रकाश ने कोयला ब्लॉक के आवंटन के बाद कंपनी के शेयर बेचकर सात करोड़ रुपये का लाभ अर्जित किया. इस मामले में ईडी ने छह करोड़ की संपति जब्त की है.
क्या है मामला
साल 2005 में डेमको प्राइवेट लिमिटेड ने फर्जी कागजातों के आधार पर बोकारो के लालगढ़ नार्थ कोल ब्लॉक का आवंटन लिया था. सीबीआई ने साल 2014 में गड़बड़ी को लेकर एफआईआर दर्ज की, जिसके बाद कंपनी के रांची और दिल्ली स्थित दफ्तरों में छापेमारी की थी. जांच में यह बात सामने आई थी कि कंपनी को कैप्टिव कोल ब्लॉक मिला था, लेकिन कंपनी ने प्रीमियम शेयर जारी कर सात करोड़ की अवैध कमाई कर ली. सीबीआई द्वारा जांच में गड़बड़ी पाए जाने के बाद ईडी ने अवैध संपत्ति अर्जित किए जाने और उसके निवेश के पहलुओं पर जांच शुरू की थी.