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रांचीः पूर्व सांसद रामटहल चौधरी ने पिछड़ों के लिए राज्य सरकार से मांगा 27% आरक्षण, कहा-पिछड़ों के साथ हो रहा अन्याय - पूर्व सांसद रामटहल चौधरी

रांची के पूर्व सांसद रामटहल चौधरी ने राज्य सरकार से पिछड़ों और अति पिछड़ों के लिए 27% आरक्षण की मांग की. उन्होंने कहा कि अभी प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के लोगों के साथ अन्याय हो रहा है. यहां पिछड़ों की आबादी करीब 55 प्रतिशत है और आरक्षण महज 18 फीसदी मिल रहा है.

Ramtahal Chaudhary
रामटहल चौधरी
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Published : Aug 21, 2020, 7:41 PM IST

रांची: पूर्व सांसद राम टहल चौधरी ने झारखंड सरकार से पिछड़ों और अति पिछड़ों के लिए 27% आरक्षण की मांग की है. उन्होंने कहा है कि अति पिछड़ों और पिछड़ों का आरक्षण एकीकृत बिहार झारखंड के समय 27 प्रतिशत था. झारखंड अलग राज्य बनने के बाद दोनों को मिलाकर महज 18 प्रतिशत ही आरक्षण रह गया है, जबकि केन्द्र सरकार की ओर से भी 27 प्रतिशत आरक्षण पिछड़ों को दिया जा रहा है. इस तरह पिछड़ा वर्ग के लोगों के साथ घोर अन्याय हो रहा है, जबकि यहां पिछड़ों की आबादी करीब 55 प्रतिशत है.

ये भी पढ़ें: धनबादः BJP नेता हत्या मामले में SIT का गठन, सुराग देने वाले लोगों को मिलेगा इनाम

साथ ही पूर्व सांसद ने कहा कि अलग झारखंड राज्य के आंदोलन को गति देने में पिछड़ों की अहम भूमिका रही है. इसलिए पिछड़े समुदाय को उनका हक दिया जाना चाहिए. उन्होंने मीडिया से कहा कि प्रदेश में पिछड़ों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की मांग वर्षों से होती रही है. चुनाव प्रचार में भी सभी पार्टी 27 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा करती रहती हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के भी घोषणा पत्र में इस वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया था. इसलिए समय आ गया है कि अब इस वर्ग को इसका हक दिया जाए.

मुख्यमंत्री से किया आग्रह

पिछड़े वर्ग के लोग अब अपने अधिकारों को समझ रहे हैं और आंदोलन के मूड में है. जिस पार्टी के द्वारा 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा, स्वाभाविक है पिछड़ों का झुकाव उसी पार्टी की ओर होगा. वहीं, मुख्यमंत्री से आग्रह करते हुए कहा है कि 27 प्रतिशत आरक्षण का जो लाभ अविभाजित बिहार और केन्द्र में मिल रहा है, उसे झारखंड में कम करके 18 प्रतिशत किया गया है, उसमें सुधार किया जाय. उन्होंने पिछड़ों के लिए यथाशीघ्र 27 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग की है.

रांची: पूर्व सांसद राम टहल चौधरी ने झारखंड सरकार से पिछड़ों और अति पिछड़ों के लिए 27% आरक्षण की मांग की है. उन्होंने कहा है कि अति पिछड़ों और पिछड़ों का आरक्षण एकीकृत बिहार झारखंड के समय 27 प्रतिशत था. झारखंड अलग राज्य बनने के बाद दोनों को मिलाकर महज 18 प्रतिशत ही आरक्षण रह गया है, जबकि केन्द्र सरकार की ओर से भी 27 प्रतिशत आरक्षण पिछड़ों को दिया जा रहा है. इस तरह पिछड़ा वर्ग के लोगों के साथ घोर अन्याय हो रहा है, जबकि यहां पिछड़ों की आबादी करीब 55 प्रतिशत है.

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साथ ही पूर्व सांसद ने कहा कि अलग झारखंड राज्य के आंदोलन को गति देने में पिछड़ों की अहम भूमिका रही है. इसलिए पिछड़े समुदाय को उनका हक दिया जाना चाहिए. उन्होंने मीडिया से कहा कि प्रदेश में पिछड़ों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की मांग वर्षों से होती रही है. चुनाव प्रचार में भी सभी पार्टी 27 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा करती रहती हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के भी घोषणा पत्र में इस वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया था. इसलिए समय आ गया है कि अब इस वर्ग को इसका हक दिया जाए.

मुख्यमंत्री से किया आग्रह

पिछड़े वर्ग के लोग अब अपने अधिकारों को समझ रहे हैं और आंदोलन के मूड में है. जिस पार्टी के द्वारा 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा, स्वाभाविक है पिछड़ों का झुकाव उसी पार्टी की ओर होगा. वहीं, मुख्यमंत्री से आग्रह करते हुए कहा है कि 27 प्रतिशत आरक्षण का जो लाभ अविभाजित बिहार और केन्द्र में मिल रहा है, उसे झारखंड में कम करके 18 प्रतिशत किया गया है, उसमें सुधार किया जाय. उन्होंने पिछड़ों के लिए यथाशीघ्र 27 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग की है.

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