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राज्य में सुखाड़ जैसे हालात से चिंतित पूर्व मंत्री बंधु तिर्की, मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिख कही ये बात

झारखंड में इस साल मानसून काफी असामान्य रहा. जिसकी वजह से किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. अब झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने सीएम हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर विशेषज्ञों की कमेटी बनाकर किसानों के हित में फैसला लेने की बात कही है. Bandhu Tirkey wrote letter to CM hemant soren

Wild elephants have caused havoc in Bagodar giridih
Wild elephants have caused havoc in Bagodar giridih
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 18, 2023, 11:04 PM IST

रांची: राज्य के 24 में से 17 जिलों में सामान्य से कम वर्षा और मानसून के शुरुआती महीनों में वर्षा नहीं होने से उपजे हालात का व्यापक सर्वेक्षण कराकर किसानों के लिए जल्द राहत की घोषणा करने की मांग कांग्रेस ने मुख्यमंत्री से की है. झारखंड सरकार समन्वय समिति के सदस्य और राज्य कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा कि वर्ष 2022 में राज्य में पड़े भयावह सुखाड़ के बाद 2023 में भी हालात अच्छे नहीं है. बंधु तिर्की ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि इस वर्ष भी बहुत कम वर्षा होने की वजह से झारखंड के किसानों और ग्रामीण परिवार की स्थिति बेहद खराब हो गयी है.

ये भी पढ़ें: सुखाड़ जैसे हालात उत्पन्न होने के बाद पलामू जिला प्रशासन ने शुरू की तैयारी, डीसी ने अधिकारियों को दिए कई निर्देश

राज्य समन्वय समिति के सदस्य और पूर्व मंत्री बंधु तिर्की ने कहा कि जिन किसानों ने किसी तरह अपनी पूंजी लगाकर धान की रोपनी कर ली उनकी भी फसल बर्बाद हो गयी है. ऐसे में सरकार जल्द व्यापक रूप से सर्वेक्षण कराकर किसानों को उचित राहत राशि उपलब्ध कराएं. कांग्रेस नेता ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में इस बात पर भी चिंता जताई है कि वर्ष 2022 में सुखाड़ के पश्चात झारखंड के प्रभावित किसानों के हित में घोषित राहत राशि अभी तक नहीं मिली है.

जल्द विशेषज्ञों की कमेटी बनाएं मुख्यमंत्री- बंधु तिर्की: कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में सुखाड़ के हालात को देखते हुए जल्द एक उच्च स्तरीय समिति बनाकर इस आपदा से निपटने के लिए किसानों की मदद करने की अपील की है. साथ ही साथ फसल बीमा योजना के आवेदन की अंतिम तिथि को 30 अक्टूबर से आगे बढ़ाने की मांग की है, ताकि फसल बीमा की प्रक्रिया को आसानी से किसान पूरा कर सके.

इस वर्ष सिर्फ 07 जिलों में सामान्य मानसूनी वर्षा: राज्य में खेती किसानी का हाल इस लिए खराब है क्योंकि 24 में से सिर्फ 07 जिले ऐसे हैं जहां सामान्य रेंज में वर्षा हुई है. वहीं चतरा, रांची, पलामू सहित 17 जिले ऐसे हैं जहां सामान्य से कम वर्षा हुई है. समय पर बारिश नहीं होने की वजह से लगभग 10 लाख हेक्टेयर खेत खाली रह गए.

रांची: राज्य के 24 में से 17 जिलों में सामान्य से कम वर्षा और मानसून के शुरुआती महीनों में वर्षा नहीं होने से उपजे हालात का व्यापक सर्वेक्षण कराकर किसानों के लिए जल्द राहत की घोषणा करने की मांग कांग्रेस ने मुख्यमंत्री से की है. झारखंड सरकार समन्वय समिति के सदस्य और राज्य कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा कि वर्ष 2022 में राज्य में पड़े भयावह सुखाड़ के बाद 2023 में भी हालात अच्छे नहीं है. बंधु तिर्की ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि इस वर्ष भी बहुत कम वर्षा होने की वजह से झारखंड के किसानों और ग्रामीण परिवार की स्थिति बेहद खराब हो गयी है.

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राज्य समन्वय समिति के सदस्य और पूर्व मंत्री बंधु तिर्की ने कहा कि जिन किसानों ने किसी तरह अपनी पूंजी लगाकर धान की रोपनी कर ली उनकी भी फसल बर्बाद हो गयी है. ऐसे में सरकार जल्द व्यापक रूप से सर्वेक्षण कराकर किसानों को उचित राहत राशि उपलब्ध कराएं. कांग्रेस नेता ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में इस बात पर भी चिंता जताई है कि वर्ष 2022 में सुखाड़ के पश्चात झारखंड के प्रभावित किसानों के हित में घोषित राहत राशि अभी तक नहीं मिली है.

जल्द विशेषज्ञों की कमेटी बनाएं मुख्यमंत्री- बंधु तिर्की: कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में सुखाड़ के हालात को देखते हुए जल्द एक उच्च स्तरीय समिति बनाकर इस आपदा से निपटने के लिए किसानों की मदद करने की अपील की है. साथ ही साथ फसल बीमा योजना के आवेदन की अंतिम तिथि को 30 अक्टूबर से आगे बढ़ाने की मांग की है, ताकि फसल बीमा की प्रक्रिया को आसानी से किसान पूरा कर सके.

इस वर्ष सिर्फ 07 जिलों में सामान्य मानसूनी वर्षा: राज्य में खेती किसानी का हाल इस लिए खराब है क्योंकि 24 में से सिर्फ 07 जिले ऐसे हैं जहां सामान्य रेंज में वर्षा हुई है. वहीं चतरा, रांची, पलामू सहित 17 जिले ऐसे हैं जहां सामान्य से कम वर्षा हुई है. समय पर बारिश नहीं होने की वजह से लगभग 10 लाख हेक्टेयर खेत खाली रह गए.

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