रांची: झारखंड हाई कोर्ट से पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को बड़ी राहत मिली है. बुधवार को न्यायाधिश रंगन मुखोपाध्याय की अदालत ने सुनवाई के दौरान योगेंद्र साव की जमानत याचिका स्वीकार कर ली.
झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को झारखंड हाई कोर्ट से थोड़ी राहत मिली है. बुधवार को योगेंद्र साव को एससी-एसटी के दर्ज मामले में हाईकोर्ट ने जमानत याचिका स्वीकार कर ली. रंजन मुखोपाध्याय की अदालत ने योगेंद्र साव को जमानत की सुविधा प्रदान की है. पूर्व मंत्री के खिलाफ एक वीडियो के आधार पर बड़कागांव पीएस ने मामला दर्ज कराया गया था. बड़कागांव थाना प्रभारी परमानंद मेहरा ने इसको लेकर मामला दर्ज कराया था. इसी मामले पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने निचली अदालत ने दलील को निरस्त करते हुए जमानत की सुविधा प्रदान की है. लेकिन इसके बावजूद भी योगेंद्र साव जेल से नहीं निकल पाएंगे, क्योंकि उनपर एक और मामला है दर्ज है.
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मामले की सुनवाई के दौरान योगेंद्र साव के अधिवक्ता सचिन कुमार ने अदालत को बताया कि पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को झूठे मुकदमे में फंसाया गया है. तत्कालीन थाना इंचार्ज परमानंद नेहरा ने पूर्व मंत्री योगेंद्र साव पर जो आरोप लगाया है वह गलत और बेबुनियाद है. थाना इंचार्ज पर खुद मादक पदार्थों की तस्करी करने वालों की मददगार के रूप में संलिप्त पाया गया है. जिस पर उनके ऊपर विभागीय कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित भी किया था. उन्होंने हाई कोर्ट को बताया कि थाना प्रभारी की मनगढ़ंत कहानी के आधार पर केस किया गया, जो बेबुनियाद और निराधार है. झारखंड हाई कोर्ट ने दलीलों को सुनने के उपरांत पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव को जमानत की सुविधा प्रदान की है.