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कोल ब्लॉक नीलामी पर बोले पूर्व सीएम रघुवर दास, कहा- सच्चाई से मुंह मोड़ रही है हेमंत सरकार

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि राज्य सरकार विस्थापन और पुनर्वास के बहाने कॉल ब्लॉक नीलामी में व्यवधान डाल रही है. यह बेईमानी है. उन्होंने कहा है कि नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता है. यह नीलामी ऑनलाइन की जाएगी और कहीं से भी कोई ऑनलाइन ऑक्शन में भाग ले सकता है.

Former CM Raghubar Das
पूर्व सीएम रघुवर दास
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Published : Jun 24, 2020, 6:31 PM IST

रांची: पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बुधवार को कमर्शियल माइनिंग के लिए कॉल ब्लॉक की नीलामी पर राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के रुख की आलोचना की है. उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार विस्थापन और पुनर्वास के बहाने कॉल ब्लॉक नीलामी में व्यवधान डाल रही है. यह बेइमानी है. उन्होंने कहा है कि नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता है. यह नीलामी ऑनलाइन की जाएगी और कहीं से भी कोई ऑनलाइन ऑक्शन में भाग ले सकता है. वर्तमान नीलामी से राज्य को काफी राजस्व की प्राप्ति होगी. जिससे राज्य का विकास किया जा सकेगा.

ये भी पढ़ें: 3 माह बाद क्षेत्र लौटे मंत्री मिथिलेश ठाकुर, कहा- 6 माह में इतना विकास किया जो पिछले 6 साल में नहीं हुआ

साथ ही उन्होंने कहा कि कोल ब्लॉक नीलामी को लेकर मुख्यमंत्री खुद विरोधाभासी बयान देते रहे हैं. पहले कोरोना महामारी की बात कर इस प्रक्रिया को रोकने की आग्रह करते हैं और फिर इस मुद्दे पर झारखंड के सामाजिक ढांचा को नुकसान पहुंचाने का बहाना कर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट चली जाती है. यह सीधे सीधे सरकार का विकास विरोधी कदम है. कहीं न कहीं हेमंत सरकार सच्चाई से मुंह मोड़ रही है. उन्होंने कहा है कि जिस कांग्रेस की बैसाखी पर वर्तमान राज्य सरकार चल रही है. विस्थापन और पुनर्वासन, लाल पानी, काला पानी की समस्या उसी कांग्रेस की देन है. राज्य के मुख्यमंत्री और मंत्री कोल ब्लॉक को लेकर जो प्रतिक्रिया दे रहे हैं. उससे ऐसा लगता है कि उन्हें तथ्यों की जानकारी या तो नहीं है या केंद्र सरकार से टकराव का बहाना खोज रहे हैं. उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा कोयला खदानों की नीलामी प्रक्रिया शुरू किए जाने को राज्य हित में बताया है.

केंद्र सरकार के कोल ब्लॉक नीलामी के फैसले को झारखंड सरकार ने दी चुनौती

बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से वाणिज्यिक खनन के लिए कोल ब्लॉक की नीलामी प्रक्रिया शुरू करने के एक दिन बाद ही झारखंड सरकार ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. यह जानकारी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार को दी थी. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा था कि नीलामी प्रक्रिया बिना सामाजिक-आर्थिक-पर्यावरण सर्वे के शुरू करना वनों और आदिवासी आबादी की घोर उपेक्षा है. यह निर्णय संघीय ढांचा के विपरित भी है. इसलिए सरकार ने निर्णय लिया है कि केंद्र के इस कदम के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे. नीलामी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था कि कोल ब्लॉक आवंटन में पूरी तरह विदेशी निवेश की बात कही जा रही है. कोरोना के कारण पूरी दुनिया में लॉकडाउन है, ऐसे में विदेशी निवेशकों में समुचित प्रतिस्पर्धा का अभाव रहेगा. इस स्थिति में कोल ब्लॉक को बाजार मूल्य नहीं मिलेगा.

पर्यावरण को भी भारी नुकसान होगा. साथ ही कोयले के पुराने ढर्रे पर खनन से राज्य के वनवासी, आदिवासी और अन्य लोग फिर तबाह हो जाएंगे. मुख्यमंत्री ने कहा था कि केंद्र का यह बहुत बड़ा नीतिगत निर्णय है और इसमें राज्य सरकार को भरोसे में लेना जरूरी है. सोरेन ने कहा कि केंद्र ने हड़बड़ी में कोल ब्लॉक की नीलामी का निर्णय लिया है. राज्य सरकार ने केंद्र से खनन के विषय पर जल्दबाजी न करने का आग्रह किया था, लेकिन केंद्र की ओर पारदर्शिता अपनाने या राज्य को फायदा जैसा भरोसा नहीं दिलाया गया. दूसरी ओर कोल ब्लॉक की नीलामी शुरू कर दी गई. सीएम ने केंद्र से कोल ब्लॉक की नीलामी प्रक्रिया में आगे नहीं बढ़ने की मांग की. उन्होंने कहा था कि अगर ऐसा किया गया तो इस व्यवस्था को एक तरफा माना जाएगा.

रांची: पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बुधवार को कमर्शियल माइनिंग के लिए कॉल ब्लॉक की नीलामी पर राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के रुख की आलोचना की है. उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार विस्थापन और पुनर्वास के बहाने कॉल ब्लॉक नीलामी में व्यवधान डाल रही है. यह बेइमानी है. उन्होंने कहा है कि नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता है. यह नीलामी ऑनलाइन की जाएगी और कहीं से भी कोई ऑनलाइन ऑक्शन में भाग ले सकता है. वर्तमान नीलामी से राज्य को काफी राजस्व की प्राप्ति होगी. जिससे राज्य का विकास किया जा सकेगा.

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साथ ही उन्होंने कहा कि कोल ब्लॉक नीलामी को लेकर मुख्यमंत्री खुद विरोधाभासी बयान देते रहे हैं. पहले कोरोना महामारी की बात कर इस प्रक्रिया को रोकने की आग्रह करते हैं और फिर इस मुद्दे पर झारखंड के सामाजिक ढांचा को नुकसान पहुंचाने का बहाना कर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट चली जाती है. यह सीधे सीधे सरकार का विकास विरोधी कदम है. कहीं न कहीं हेमंत सरकार सच्चाई से मुंह मोड़ रही है. उन्होंने कहा है कि जिस कांग्रेस की बैसाखी पर वर्तमान राज्य सरकार चल रही है. विस्थापन और पुनर्वासन, लाल पानी, काला पानी की समस्या उसी कांग्रेस की देन है. राज्य के मुख्यमंत्री और मंत्री कोल ब्लॉक को लेकर जो प्रतिक्रिया दे रहे हैं. उससे ऐसा लगता है कि उन्हें तथ्यों की जानकारी या तो नहीं है या केंद्र सरकार से टकराव का बहाना खोज रहे हैं. उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा कोयला खदानों की नीलामी प्रक्रिया शुरू किए जाने को राज्य हित में बताया है.

केंद्र सरकार के कोल ब्लॉक नीलामी के फैसले को झारखंड सरकार ने दी चुनौती

बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से वाणिज्यिक खनन के लिए कोल ब्लॉक की नीलामी प्रक्रिया शुरू करने के एक दिन बाद ही झारखंड सरकार ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. यह जानकारी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार को दी थी. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा था कि नीलामी प्रक्रिया बिना सामाजिक-आर्थिक-पर्यावरण सर्वे के शुरू करना वनों और आदिवासी आबादी की घोर उपेक्षा है. यह निर्णय संघीय ढांचा के विपरित भी है. इसलिए सरकार ने निर्णय लिया है कि केंद्र के इस कदम के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे. नीलामी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था कि कोल ब्लॉक आवंटन में पूरी तरह विदेशी निवेश की बात कही जा रही है. कोरोना के कारण पूरी दुनिया में लॉकडाउन है, ऐसे में विदेशी निवेशकों में समुचित प्रतिस्पर्धा का अभाव रहेगा. इस स्थिति में कोल ब्लॉक को बाजार मूल्य नहीं मिलेगा.

पर्यावरण को भी भारी नुकसान होगा. साथ ही कोयले के पुराने ढर्रे पर खनन से राज्य के वनवासी, आदिवासी और अन्य लोग फिर तबाह हो जाएंगे. मुख्यमंत्री ने कहा था कि केंद्र का यह बहुत बड़ा नीतिगत निर्णय है और इसमें राज्य सरकार को भरोसे में लेना जरूरी है. सोरेन ने कहा कि केंद्र ने हड़बड़ी में कोल ब्लॉक की नीलामी का निर्णय लिया है. राज्य सरकार ने केंद्र से खनन के विषय पर जल्दबाजी न करने का आग्रह किया था, लेकिन केंद्र की ओर पारदर्शिता अपनाने या राज्य को फायदा जैसा भरोसा नहीं दिलाया गया. दूसरी ओर कोल ब्लॉक की नीलामी शुरू कर दी गई. सीएम ने केंद्र से कोल ब्लॉक की नीलामी प्रक्रिया में आगे नहीं बढ़ने की मांग की. उन्होंने कहा था कि अगर ऐसा किया गया तो इस व्यवस्था को एक तरफा माना जाएगा.

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