रांचीः भाजपा विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने शुक्रवार को झारखंड सरकार पर जमकर हमला बोला. रांची में प्रेसकॉन्फ्रेंस में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड में प्रशासन के संरक्षण में कोयले की लूट हो रही है. निरसा में हुआ खदान हादसा इसकी पोल खोल रहा है. भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बाबूलाल मरांडी ने धनबाद के निरसा कोयला खदान की घटना पर दुख भी जताया. पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने निरसा कोयला खदान में हादसे के लिए झारखंड सरकार को दोषी बताया और घटना की सीबीआई जांच की मांग की. बीजेपी कार्यालय में प्रेस को संबोधित करते हुए बाबूलाल मरांडी ने यह भी कहा कि मृतकों की संख्या 5 नहीं बल्कि 06 है.
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भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बाबूलाल मरांडी ने सरकार पर हकीकत छुपाने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने घटनास्थल का निरीक्षण किया था. वहां पर अवैध रूप से खनन हो रहा था. कोयला माफिया और कोयला खनन गिरोहों की ओर से गरीब लोगों से अवैध रूप से कोयले की खुदाई कराई जा रही थी. इसी दौरान हादसा हुआ. बाबूलाल मरांडी ने निरसा कोयला खदान में हुई लोगों की मौत के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि जिस तरह से झारखंड में अवैध रूप से खनन हो रहा है, उससे साफ लगता है कि राज्य में लुटेरों और माफियाओं का राज हो गया है, जिस पर अंकुश लगाने की जरूरत है.
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि जांच का आदेश सिर्फ दिखावा है. सरकार एक तरफ मरनेवालों की संख्या 5 बता रही है जबकि इसमें 06 लोगों की मौत हुई है. हमने जिला प्रशासन को इस बारे में जानकारी दी. इसके बावजूद कोई कदम नहीं उठाया गया है. कोयला खदान में भ्रष्टाचार चरम पर है. अवैध माइनिंग कराने में पुलिस प्रशासन की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. प्रेस कॉफ्रेंस में मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक, प्रवक्ता अमित सिंह और अशोक बड़ाईक मौजूद रहे.
भाषा विवाद पर यह बोले बाबूलालः झारखंड में भाषा विवाद पर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि डुमरी और टुंडी में क्यों इसका ज्यादा विरोध हो रहा है, यह समझने की जरूरत है.सरकार के अंदर ही इसको लेकर विवाद छिड़ गया है. हमसे यदि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन राय जानना चाहेंगे तो मैं भाषा नीति पर जरूर सलाह दूंगा. उन्होंने कहा कि झारखंड में 32 तरह के ट्राइब रहते हैं जिनकी अलग अलग बोली और भाषा है. इसी तरह अन्य क्षेत्रों में भी अलग भाषा बोली जाती है. ऐसे में सभी भाषा को सम्मान कैसे मिले उसके लिए भाषा नीति पर वे राय रखने के लिए तैयार हैं.