रांची: इन दिनों झारखंड की राजनीति में विपक्ष की ओर से अगर कोई सबसे मुखर नेता हैं तो वह हैं बाबूलाल मरांडी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) से जुड़े ऑफिस ऑफ प्रॉफिट की बात हो या मनी लांड्रिंग मामले में चल रही ईडी की कार्रवाई या फिर अन्य आपराधिक घटनाएं, बाबूलाल मरांडी (Former CM Babulal Marandi) सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते. दुमका पेट्रोल कांड और नाबालिग की रेप के बाद हत्या के मामले को उन्होंने जोर-शोर से उठाया. लिहाजा, यह कहना गलत नहीं होगा कि झारखंड में भाजपा के वह इकलौते ऐसे नेता हैं जो सोरेन परिवार पर सीधा हमला बोल रहे हैं. हाल के दिनों में संथाल में उनकी सक्रियता भी बढ़ी है. तमाम पब्लिक मीटिंग के दौरान वह सोरेन परिवार पर सवाल खड़े करते दिखते हैं. इसके लिए वह सोशल मीडिया का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं.
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दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सरकारी और पार्टी आधारित ट्वीटर अकाउंट से बाबूलाल मरांडी के सवालों पर जवाब शायद ही देखने को मिले. सत्ताधारी झामुमो भी ट्वीटर के जरिए सीधे-सीधे जवाब नहीं देती है. हां, यह जरूर है कि कभी-कभार प्रेस कांफ्रेंस में बाबूलाल मरांडी के आरोपों पर सवाल उठते हैं तो जवाब जरूर मिलता है. सबसे खास बात है कि भाजपा की तरफ से बड़े आदिवासी नेताओं में शुमार अर्जुन मुंडा, समीर उरांव और सुर्दर्शन भगत सरीखे नेता भी खुलकर सरकार को घेरते नहीं दिखते हैं.
अब सवाल है कि भाजपा के दूसरे बड़े आदिवासी नेता क्या चेक एंड बैलेंस की रणनीति के तहत ऐसा कर रहे हैं. आखिर सिर्फ बाबूलाल मरांडी ही क्यों सोरेन परिवार पर निशाना साधते रहते हैं. इसपर राजनीति के जानकारों की अपनी-अपनी राय है.
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वरिष्ठ पत्रकार हरिनारायण सिंह का कहना है कि पहली बात तो ये कि कल की भाजपा और आज की भाजपा में बहुत अंतर है. उनका मानना है कि पार्टी आलाकमान ने सभी नेताओं को सर्टेन काम दिया है. आदिवासी मुद्दों पर बोलने के लिए राज्य में बाबूलाल मरांडी से अच्छा विकल्प कोई नहीं है. खासकर संथाल के मामले पर सिर्फ वही बोल रहे हैं. यही वजह है कि संथाल में वह सबसे ज्यादा सक्रिय हैं. अर्जुन मुंडा को केंद्रीय जिम्मेदारी दी गई है. उनको स्थानीय स्तर पर बोलने पर जरूर रोक होगी. दीपक प्रकाश संगठन के काम में जुटे हुए हैं. आदिवासी इश्यू पर बाबूलाल मरांडी की जबरदस्त पकड़ है. उनकी बातों पर कोई चढ़ नहीं सकता. जहां तक समीर उरांव और सुदर्शन भगत की बात है तो ये दोनों अच्छे प्रवक्ता नहीं हैं. वरिष्ठ पत्रकार हरिनारायण सिंह ने कहा कि नुपूर शर्मा के बयान पर उपजे विवाद के बाद भाजपा ने अपनी रणनीति बदली है. यही वजह है कि ज्यादातर गंभीर मुद्दों पर प्रदेश प्रवक्ताओं के बजाए खुद प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश प्रेस कांफ्रेंस करते हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड में करिया मुंडा के बाद बाबूलाल मरांडी ही भाजपा के सबसे बड़े नेता हैं. उनमें योग्यता है, तभी तो जेवीएम पार्टी बनाकर विधायकों की फैक्ट्री खोल दी थी. अब भाजपा के लिए कांग्रेस चैलेंज नहीं है. झारखंड में भाजपा के सामने झामुमो चुनौती है. इसका मुकाबला आदिवासी नेता ही कर सकता है. इसलिए बाबूलाल मरांडी आक्रामक नजर आते हैं.
बाबूलाल मरांडी के कुछ हमलावर ट्वीट
- 26 अगस्त को उनके ट्वीट की खूब चर्चा हुई. उन्होंने लिखा कि माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी, आपने आईपीआरडी के जरिए मीडिया को धमकाया कि ईडी के किसी आरोपी के साथ आपका नाम न जोड़ा जाए.
- 26 अगस्त को सीएम ने ट्वीट किया कि विश्व आदिवासी दिवस पर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने आदिवासी समाज को शुभकामना संदेश देना भी उचित नहीं समझा. इसपर बाबूलाल मरांडी ने लिखा कि दुर्भाग्य तो झारखंड वासियों का है कि आदिवासी उत्थान के नाम पर झूटे वादे कर आपने सत्ता तो हासिल कर ली लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा लूटने का काम किया.
- 27 अगस्त को उन्होंने सोहराय भवन का जिक्र करते हुए लिखा कि मुख्यमंत्री जी आपने झारखंड को लूट का चारागाह बना दिया. खान मंत्री रहते खनन लीज लिया और उद्योग मंत्री रहते अपनी पत्नी के नाम आदिवास उद्योग की जमीन.
- 27 अगस्त को ही सत्ताधारी दल के विधायकों के लतरातू जाने पर उन्होंने ट्वीट कर सीधे-सीधे सीएम पर हमला बोला.
- 28 अगस्त को उन्होंने लिखा कि राज्य जल रहा है और राजा सीटी बजाए, यह तो हम संताल आदिवासियों के डीएनए का पार्ट कहीं से भी नहीं है. दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा कि दुमका की बेटी की जान बचाई जा सकती थी. एक ओर रांची उपद्रव में घायल नदीम को राज्य सरकार एयर एंबुलेंस से सरकारी खर्च पर दिल्ली भेज मेदांता में इलाज करवाती है और दुमका की बेटी को रांची भेजने तक की व्यवस्था नहीं कर पाती.
- 30 अगस्त को उन्होंने लिखा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनका परिवार न सिर्फ आदिवासी, महिला विरोधी है बल्कि संतालों के भी दुश्मन हैं. उन्होंने ट्वीटर पर HEMANT AGAINST TRIBAL हैसटैग से अभियान भी चलाया.
- 31 अगस्त को उन्होंने लिखा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी आप अपने विधायकों के बारे में ये क्या बोल रहे हैं. उन्हें रांची के जू में लाकर किसी केज में बंद कर रखिये.
- 3 सितंबर को बांग्लादेशी घुसपैठ पर लिखा कि मुख्यमंत्री जी दिल पर हाथ रख कर सोचियेगा कि कहीं आप दुर्योधन की तरह अपने जनजाति समाज का विनाश करने के रास्ते तो नहीं निकल पड़े.
- 3 सितंबर का ट्वीट - मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी, संताल आदिवासियों के दुश्मन डीएसपी नूर मुस्तफा पर कार्रवाई करने में कहीं आपके हाथ पांव इसलिए तो नहीं फूल रहे कि वह आपके सोरेन परिवार का राजदार और साझेदार भी है.
- 4 सितंबर का ट्वीट - 14 वर्षीय नाबालिग आदिवासी युवती का अरमान अंसारी ने यौन शोष किया, गर्भवती किया, मार दिया, फिर फांसी पर लटका दिया. काश, ये पीड़ा झारखंड की भ्रष्ट- निकम्मी, आदिवासी समाज का दुश्मन बनी सरकार के मुख्यमंत्री हेमंत और उनका सोरेन परिवार यह समझ पाता.
- 14 सितंबर का ट्वीट - सुना है मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी को राजा कहलाने का जो शौक है वह यूं ही नहीं है. लोकपाल मामले में सीबीआई की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में सोरेन परिवार के 82 संपत्तियों का अबतक खुलासा हुआ है. ऐसे में उस परिवार के राजकुमार को राजा साहब के नाम से ही पुकारा जाना चाहिए.
- 19 सितंबर का ट्वीट - दुमका में लूट का विरोध करने पर अपराधियों ने कांस्टेबल सुजीत कुमार पर गोली दाग दी. हेमंत जी, आपको ये सोचने की जरूरत है कि पूरे झारखंड में विशेषकर आपके राजपाट वाले इलाके में अपराधियों का मनोबल इतना क्यू बढ़ गया है.
- 20 सितंबर का ट्वीट - लगता है मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी ने दिल्ली के शराब घोटाले के अंजाम से सबक नहीं ली.
- 23 सितंबर का ट्वीट - 1000 करोड़ रुपये की लूट सत्ता के संरक्षण में किये जाने की बात उजागर हुई है. क्या मुख्यमंत्री जी, आप अब भी यही कहेंगे कि आपके कमाऊ चेलों के साथ आपका नाम नहीं घसीटा जाए.
- 24 सितंबर का ट्वीट - हेमंत सोरेन जी ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो लेवी, रंगदारी वसूलने के लिए अपने विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा को AK-47 वाला एक दर्जन सरकारी गार्ड दिये थे.
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वरिष्ठ पत्रकार रवि प्रकाश का मानना है कि विपक्ष के रूप में प्रदेश भाजपा खुद डिवाइडेड नजर आ रही है. झारखंड भाजपा के भीतर ही कई विपक्ष है. यही वजह है कि एक राय होकर विरोध होता नहीं दिखता है. जिस दिन कॉन्फिडेंस मोशन था, उस दिन नीलकंठ सिंह मुंडा जरूर कुछ बोले लेकिन ज्यादातर नेताओं का रूख नॉर्मल था. जहां तक आपराधिक घटनाओं की बात है तो भाजपा सिर्फ वैसे मामलों को उठाती है, जहां हिन्दू-मुस्लिम का मामला होता है. रूपेश पांडेय की हत्या मामले में भी पार्टी मुखर दिखी थी. लेकिन जहां धार्मिक एंगल नहीं दिखता, उन मामलों को नहीं उठाया जाता है. जहां तक बाबूलाल मरांडी की बात है तो उनकी राजनीति संथाल में केंद्रीत रही है. वह संथाली नेता है. जब वह भाजपा में नहीं भी थे, तब भी संथाल पर फोकस्ड थे. सोरेन परिवार पर तो अटैक पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास भी करते थे. लेकिन इसका उन्हें घाटा हुआ. यही काम बाबूलाल मरांडी भी कर रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार रवि प्रकाश ने कहा कि जब रघुवर दास की सरकार थी, तब विपक्ष में रहे बाबूलाल मरांडी सरकार पर निशाना साधते थे. वह रघुवर दास पर व्यक्तिगत रूप से टिप्पणी नहीं करते थे. लेकिन अब उन्होंने स्टैंड बदल दिया है. अब वह व्यक्तिगत रूप से सवाल खड़े कर रहे हैं. लेकिन यह भी समझना चाहिए कि राजनीति में बार-बार व्यक्तिगत टिप्पणी को लोग तवज्जो नहीं देते हैं. अब बाबूलाल मरांडी जैसे वरिष्ठ झारखंडी नेता ऐसा क्यों कर रहे हैं, इसका जवाब वही दे सकते हैं.