रांची: झारखंड प्रशासनिक सेवा, चतुर्थ सीमित बैच के पदाधिकारी आशुतोष कुमार को गबन के आरोप में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है. चतरा के कार्यपालक दंडाधिकारी सह प्रभारी जिला कल्याण पदाधिकारी के पद पर रहते हुए उन पर सरकार के 43 अलग-अलग खातों से 6 करोड़ 48 लाख रुपए की अवैध तरीके से निकासी का आरोप था. इस मामले में निलंबन के बाद चतरा उपायुक्त ने 5 जुलाई 2018 को प्रपत्र क में आरोप गठित कर कार्मिक, प्रशासनिक सुधार और राजभाषा विभाग को तथ्य उपलब्ध कराया था.
नियम विरुद्ध तरीके से पैसे ट्रांस्फर
2 नवंबर 2017 से पहले जिला कल्याण शाखा चतरा की ओर से 12 बैंक खातों का संचालन हो रहा था, लेकिन 2 नवंबर 2017 को ही जिला ग्रामीण विकास अभिकरण चतरा के निचले तल में आग लगने के बाद आशुतोष कुमार ने 12 बैंक खातों की जगह सिर्फ 3 बैंक खातों का रोकड़ पंजी में जिक्र किया और शेष 9 खातों के पैसे अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर लिया. आशुतोष कुमार पर यह भी आरोप है कि उन्होंने छात्रवृत्ति मद में प्राप्त दो करोड़ 25 लाख 41 हजार 457 रुपए की राशि को नियम विरुद्ध तरीके से 11 विद्यालय प्रबंधन समिति और बैंक खाता की सूची बनाकर आईसीआईसीआई बैंक चतरा को उपलब्ध कराई.
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8 बैंक खातों में राशि की गई थी ट्रांसफर
बैंक मैनेजर ने आशुतोष कुमार की ओर से उपलब्ध कराई गई 8 बैंक खातों में राशि ट्रांसफर कर दी. शेष राशि को उन्होंने नाजिर, इंद्रदेव, उनके पुत्र और परिजनों के तीन खातों में ट्रांसफर कर दी. जब मैंनेजर को को इसकी भनक लगी और इस बारे में पूछा गया तो उस राशि को फिर वापस लौटा दिया गया.
इस राशि को सरकार के एसबीआई के खाते में जमा करा दिया गया. बाद में आशुतोष कुमार ने छात्रवृत्ति की एसबीआई में पड़ी राशि को सेवानिवृत्त प्रखंड कल्याण पदाधिकारी मिथिलेश मिश्रा और विराट टेलीकॉम अनन्या इन्फोटेक नाम के एनजीओ संचालक सूरज अग्रवाल के खाते में एक साजिश के तहत ट्रांसफर करा दिया गया. बाद में इन दोनों के खातों से राशि को नाजिर और उसके परिजनों के खाते में डलवा दिया गया. जांच में यह भी पता चला कि छात्रवृत्ति के लिए जो 11 विद्यालय प्रबंधन समिति बनाई गई थी, उसमें से 8 फर्जी थे.
मामले को लटकाने का किया गया था पूरा प्रयास
कुल 8 आरोप को आधार बनाते हुए 25 जुलाई 2018 को आशुतोष कुमार को निलंबित कर दिया गया था. 24 दिसंबर 2018 को उन्होंने अपने आरोपों के खिलाफ स्पष्टीकरण दिया. इसकी समीक्षा के बाद 5 फरवरी 2019 को उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू हुई. इस पूरे मामले की जांच की जिम्मेदारी भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अफसर विनोद चंद्र झा को दी गई थी. विनोद चंद्र झा ने 6 जून 2019 को अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें आशुतोष कुमार पर लगे सभी आरोपों को सही बताया गया.
इस रिपोर्ट के आधार पर विभाग ने 20 नवंबर 2019 को आशुतोष कुमार से पूछा कि इतने गंभीर आरोप के आधार पर क्यों ना उन्हें सेवा से बर्खास्त किया जाए. इस पर आशुतोष कुमार ने 19 दिसंबर 2019 को अपने ऊपर आरोपों से जुड़े कागजात की मांग की. इसके बाद आशुतोष कुमार ने पत्राचार के जरिए पूरे मामले को लटकाने की पूरी कोशिश की, लेकिन सेवा से बर्खास्त करने का फैसला ले लिया गया.